बोले कटिहार : रोड पर मक्का सुखाने से हो रहे हादसे, उजड़ रहे परिवार
कटिहार जिले में सड़कों पर मक्का सुखाने के कारण सड़क दुर्घटनाओं की समस्या बढ़ती जा रही है। जनवरी से जून 2024 के बीच 150 सड़क दुर्घटनाओं में 99 लोगों की मौत और 117 लोग घायल हुए। प्रशासन ने कई क्षेत्रों...
कटिहार जिले में सड़कों पर मक्का सुखाने की समस्या गंभीर होती जा रही है। इस साल जनवरी से जून 2024 के बीच 150 सड़क दुर्घटनाओं में 99 लोगों की मौत और 117 लोग घायल हुए। इनमें से अधिकांश हिट एंड रन मामले थे। प्रशासन ने जिले के कई स्थानों को ब्लैक स्पॉट के रूप में चिह्नित किया है, जहां सड़क पर फैला मक्का हादसों का बड़ा कारण है। इन घटनाओं में न केवल जीवन खो रहे हैं, बल्कि कई परिवार उजड़ रहे हैं, जो सुरक्षा के व्यापक उपायों की मांग कर रहे हैं। संवाद के दौरान जिले के लोगों ने इस गंभीर समस्या से निबटने के लिए प्रशासन से कठोर कदम उठाने की मांग की।
06 माह में 150 सड़क दुर्घटनाएं हुई हैं जिले में
10 से अधिक हैं जिले में ब्लैक स्पॉट्स, होती है दुर्घटना
01 हजार से अधिक किसानों को है जाल की जरूरत
हर साल मक्का की फसल कटने के बाद जिले की सड़कों पर जीवन की एक अलग ही कहानी बिछ जाती है। ये पीले दाने जो किसानों की मेहनत का प्रतीक हैं, अक्सर कई परिवारों के उजड़ने का कारण भी बन जाते हैं। जनवरी से जून 2024 तक कटिहार जिले में 150 सड़क दुर्घटनाओं में 99 लोगों की मौत और 117 लोग घायल हुए। इनमें से अधिकतर हादसे हिट एंड रन मामलों से जुड़े थे, जो अनियंत्रित वाहनों और मक्का के ढेरों की वजह से हुए।
मौत के मोड़, दर्द की कहानियां :
जिले में कई जगहें अब ब्लैक स्पॉट्स के रूप में जानी जाती हैं, जहां हादसों की संख्या लगातार बढ़ रही है। पोठिया थाना क्षेत्र का खोटा मोड़, कोढ़ा थाना के गेराबाड़ी, दिघरी पेट्रोल पंप और कोलासी, कुरसेला का सिमरगाछ और कटारिया पुल, प्राणपुर का खुशहालपुर और बुद्ध नगर, बलरामपुर का बाजरगांव-ये सभी ऐसे स्थान हैं, जहां सड़कों पर बिखरा मक्का कई परिवारों के लिए काल साबित हो चुका है। इन जगहों पर हर हादसा किसी न किसी घर की खुशियों को छीन लेता है।
फसल सुखाने की नहीं है जगह :
खुले में सुखाने की मजबूरी कटिहार जिले के किसान आमतौर पर सड़कों के किनारे या बीच में मक्का सुखाते हैं, क्योंकि पर्याप्त सुखाने के मैदान उपलब्ध नहीं हैं। सड़क पर फैले मक्के से गुजरते वाहन अक्सर फिसल जाते हैं, जिससे बाइक और साइकिल सवारों की जान पर बन आती है। कई बार तो मासूम बच्चे भी इन हादसों का शिकार हो जाते हैं, जिनके सपने इन सड़कों पर ही बिखर जाते हैं।
आवश्यक हैं सुरक्षा के उपाय :
परिक्षेत्र के लोगों ने कृषि विभाग से इस समस्या को देखते हुए किसानों के लिए अनुदानित मूल्य पर जाल की सुविधा देने का मांग है, ताकि वे अपने मक्के को सुरक्षित तरीके से सुखा सकें। प्रशासन की अपील है कि किसान सड़कों पर मक्का सुखाने से बचें और तय स्थानों पर ही अनाज सुखाएं। इससे न केवल दुर्घटनाओं में कमी आएगी, बल्कि कई परिवार उजड़ने से भी बच सकेंगे। अगर यह जागरूकता समय पर आ जाए, तो शायद इन सड़कों पर बिखरे मक्के के दाने सिर्फ मेहनत का प्रतीक बनें, किसी की त्रासदी का नहीं।
शिकायतें:
1. सड़कों पर मक्का सुखाने से फिसलन के कारण बाइक और साइकिल सवारों के लिए जानलेवा हादसे हो रहे हैं।
2. कई बार अनाज सुखाने के कारण वाहनों की रफ्तार पर असर पड़ता है, जिससे जाम की समस्या बढ़ जाती है।
3. ब्लैक स्पॉट्स पर दुर्घटनाएं बढ़ रही हैं, लेकिन प्रशासन की कार्रवाई धीमी है।
4. पर्याप्त सुखाने के मैदानों की कमी के कारण किसान मजबूरन सड़कों का इस्तेमाल कर रहे हैं।
5. जागरूकता के अभाव में कई लोग सड़क सुरक्षा नियमों का पालन नहीं कर रहे हैं।
सुझाव:
1. किसानों को मक्का सुखाने के लिए पर्याप्त खुले मैदान और अनुदानित जाल की व्यवस्था की जाए।
2. ब्लैक स्पॉट्स पर सुरक्षा संकेतक और स्पीड ब्रेकर लगाए जाएं।
3. सड़कों पर मक्का सुखाने पर सख्त प्रतिबंध लगे और नियमित निरीक्षण हो।
4. ग्रामीण क्षेत्रों में छोटे-छोटे सुखाने केंद्र बनाए जाएं, ताकि सड़कों पर अनाज न फैलाना पड़े।
5. जागरूकता बढ़ाने के लिए पंचायत स्तर पर विशेष अभियान चलाए जाएं।
इनकी भी सुनें
1. सड़कों पर मक्का सुखाने से हादसों का खतरा बढ़ गया है, लेकिन अगर हम अपने कृषि उत्पादों को सही जगह सुखाएं, तो दुर्घटनाओं को रोका जा सकता है। सामूहिक जागरूकता से हम इन खतरों से बच सकते हैं।
-पिंटर यादव
2. हमें सड़कों पर मक्का सुखाने से बचना चाहिए और सुरक्षित विकल्पों की ओर बढ़ना चाहिए। इससे न केवल हादसे कम होंगे, बल्कि हमारा क्षेत्र भी सुरक्षित रहेगा।
-शीतल यादव
3. मक्का सुखाने के लिए खुले मैदानों और विशेष क्षेत्रों का उपयोग करना चाहिए, ताकि सड़कों पर दुर्घटनाएं कम हों और यात्रियों की सुरक्षा बढ़े।
-विनोद यादव
4. अगर हम सड़कों को मक्का सुखाने से मुक्त रखें, तो दुर्घटनाओं में कमी आ सकती है। इसके लिए सामुदायिक समर्थन और जागरूकता की जरूरत है।
-साजन कुमार
5. किसानों को मक्का सुखाने के लिए वैकल्पिक स्थान उपलब्ध कराने से हादसों में कमी आ सकती है। यह कदम हमारे समाज को सुरक्षित बनाएगा।
-अनीश कुमार
6. सड़कों पर मक्का सुखाने से होने वाले हादसों को रोकने के लिए हमें अपने क्षेत्र में जागरूकता अभियान चलाना चाहिए।
-राहुल कुमार
7. हमें सड़कों पर मक्का सुखाने की प्रवृत्ति को बदलने की जरूरत है, ताकि यातायात सुरक्षित रहे और दुर्घटनाओं से बचा जा सके।
-संतोष यादव
8. सामुदायिक सहयोग से हम सड़कों को मक्का सुखाने से मुक्त कर सकते हैं और अपने क्षेत्र को सुरक्षित बना सकते हैं।
-राहुल कुमार
9. अगर हम मिलकर सड़कों पर मक्का सुखाने से बचें, तो जीवन की सुरक्षा सुनिश्चित कर सकते हैं।
-राजा कुमार
10. सड़कों पर मक्का सुखाने से बचना ही सबसे सुरक्षित विकल्प है। हमें अपने परिवार और समाज की सुरक्षा का ख्याल रखना चाहिए।
-सिंटू कुमार
11. सामूहिक प्रयास से हम सड़कों पर मक्का सुखाने की समस्या का समाधान कर सकते हैं और दुर्घटनाओं से बच सकते हैं।
-मोहन
12. सुरक्षित यातायात के लिए सड़कों से मक्का हटाना जरूरी है। यह कदम हमें सुरक्षित भविष्य की ओर ले जाएगा।
-बिट्टू
13. हमें सड़कों को मक्का सुखाने से मुक्त रखने की दिशा में सामूहिक प्रयास करना चाहिए, ताकि दुर्घटनाओं में कमी आए।
-ललित कुमार
14. अगर हम सड़कों पर मक्का सुखाने से बचें, तो जीवन सुरक्षित रहेगा और दुर्घटनाएं कम होंगी।
-मनोज
15. सड़कों को मक्का सुखाने से मुक्त रखना हमारे समाज के सुरक्षित भविष्य के लिए जरूरी है।
-सभापति यादव
16. सड़कों पर मक्का सुखाने से बचने से न केवल दुर्घटनाएं कम होंगी, बल्कि यातायात भी सुरक्षित रहेगा।
-ललित कुमार
17. मक्का सुखाने के लिए विशेष स्थानों का उपयोग करना चाहिए, ताकि सड़कों पर हादसे न हों।
-रामचंद्र
18.हमें सड़कों पर मक्का सुखाने से बचना चाहिए और सुरक्षित विकल्प अपनाने चाहिए, ताकि हमारे क्षेत्र में दुर्घटनाएं कम हों।
-मनोज महतो
बोले जिम्मेदार
सड़कों पर मक्का सुखाने से बढ़ती दुर्घटनाएं गंभीर चिंता का विषय हैं। हम ब्लैक स्पॉट्स की पहचान कर चुके हैं और इन क्षेत्रों में सुरक्षा बढ़ाने के प्रयास जारी हैं। किसानों से अपील है कि वे सड़कों पर मक्का न सुखाएं । हम जल्द ही ग्रामीण क्षेत्रों में सुरक्षित सुखाने की वैकल्पिक व्यवस्था करेंगे, ताकि सड़क दुर्घटनाओं में कमी लाई जा सके और लोगों की जान बचाई जा सके। जागरूकता ही सबसे बड़ा बचाव है।
-बालमुकुंद प्रसाद, डीटीओ, कटिहार
बोले कटिहार असर
क्लास रूम में लगे पंखे, पेयजल और सुरक्षा की हुई व्यवस्था
कटिहार। 'बोले कटिहार' मुहिम का असर के बी झा कॉलेज में साफ नजर आ रहा है। 24 जनवरी को हिन्दुस्तान अखबार में प्रकाशित 'हमारी आवाज पहुंचे विश्वविद्यालय, जल्द कराए चुनाव, कॉलेज में है मूलभूत सुविधाओं का अभाव' शीर्षक से खबर छपने के बाद कॉलेज प्रशासन ने छात्रों की समस्याओं पर ध्यान देना शुरू किया है। पिछले दिनों अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के सदस्यों ने भी कॉलेज प्रशासन को कई बार ज्ञापन देकर कुव्यवस्थाओं पर संज्ञान लेने की मांग की थी। बोले कटिहार के प्रकाशन के बाद प्रशासन ने तत्काल कदम उठाए हैं। डिग्री पार्ट थर्ड की परीक्षा फिलहाल कॉलेज में चल रही है, जिसमें महिला कॉलेज की छात्राओं का सेंटर बनाया गया है। परीक्षा के दौरान बढ़ती गर्मी और असुविधाओं को देखते हुए कॉलेज प्रशासन ने हर क्लास रूम और इनडोर स्टेडियम में पंखों की व्यवस्था की है। इसके साथ ही शुद्ध पेय जल, मेडिकल सहायता और छात्राओं की सुरक्षा के लिए मेन गेट पर गार्ड की तैनाती की गई है। इस सुधार को लेकर एबीवीपी कार्यकर्ताओं ने प्रधानाचार्य हरेंद्र सिंह और परीक्षा नियंत्रक जीतेश सर का तहे दिल से धन्यवाद किया है। एबीवीपी के प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य विक्रांत सिंह, कमल ठाकुर, रोहन प्रसाद, नगर मंत्री राजा यादव, नगर सह मंत्री रवि सिंह, विशाल सिंह, राहुल मिश्र, सिद्धार्थ कुमार, सावन कुमार समेत सैकड़ों छात्रों ने 'बोले कटिहार' मुहिम और हिन्दुस्तान अखबार के प्रति आभार जताया है। छात्र-छात्राओं का कहना है कि इस पहल से कॉलेज प्रशासन का रुख बदला है और वे उम्मीद कर रहे हैं कि आगे भी इस तरह के सुधार जारी रहेंगे।
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