जमुई: पर्यटकों की घाटी में गुलाबों की जगह बिछी इंसानों की लाशें
22 अप्रैल 2025 को जम्मू कश्मीर के पहलगाम घाटी में आतंकी हमले में 26 लोग मारे गए और 17 घायल हुए। डॉ. गौरी शंकर पासवान ने इस घटना को मानवता के खिलाफ एक अपराध बताया। उन्होंने कहा कि आतंकवाद का कोई धर्म...

जमुई। नगर प्रतिनिधि विगत 22 अप्रैल 2025 को जम्मू कश्मीर के पहलगाम घाटी में आतंकी हमले में कुल 26 लोग मारे गए और लगभग 17 घायल हो गए थे। इस पर विश्व शांति व एकजुटता संगठन के सदस्य एवं केकेएम कॉलेज के अर्थशास्त्र विभागाध्यक्ष डॉ.गौरी शंकर पासवान ने दु:ख व्यक्त करते हुए अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि पर्यटकों की घाटी में गुलाबों की जगह बिछी इंसानों की लाशें आतंकवादियों की अमानवीय और हृदय विदारक आतंकी घटना है। भारत की जन्नत में जलजला कश्मीर की वादियों में बहा निर्दोषों का खून आतंक के नंगा नाच का द्योतक है और कुछ नहीं। उन्होंने कहा कि आतंकवाद की न कोई जाति होती है, ना ही कोई धर्म। वह सिर्फ और सिर्फ मानवता का दुश्मन होता है। सबसे दर्दनाक बात तो यह है कि आतंकियों के द्वारा बच्चों और महिलाओं को अलग करके पुरुषों का धर्म पूछ कर उन्हें गोली मारी गई थी। यह कुकृत्य और जघन्य अपराध माफी के लायक नहीं है। भीषण आतंकी हमले ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। इस निर्मम कृत्य ने मानवता को शर्मसार कर दिया है। केंद्र सरकार द्वारा सिंधु जल संधि को निलंबित करना, राजनयिक संबंधों को घटाना,तथा दोषियों को न्याय के कटघरे में लाकर दंड देने का संकल्प लेना यह प्राथमिक उपचार है। किंतु इससे बात नहीं बनेगी। इसका परमानेंट इलाज होना चाहिए।
प्रो.पासवान ने कहा कि पहलगाम आतंकी हमला ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि यह मानवता के विरुद्ध एक अपराध है, जिसे भारत के साथ साथ यहां की जनता भी किसी भी रूप में बर्दाश्त नहीं कर सकती है। पाकिस्तान का सिर्फ निंदा करना और उसपर कूटनीतिक करवाई पर्याप्त नहीं है।हमें एक होकर आतंक की खिलाफ लड़ना होगा और ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए कठोर कदम उठाने होंगे। आतंक के नंगे नाच को जड़ से समाप्त करना ही अब एकमात्र रास्ता है। तभी वहां पर शांति की नदियां बहेंगी। उन्होंने कहा कि पहलगाम का आतंकी हमला अचानक एक्सीडेट नहीं, बल्कि सोची समझी आतंकी योजना थी । पाकिस्तान को अब दो टूक शब्दों में वैश्विक मंच पर जवाबदेह ठहराना चाहिए। पाकिस्तान को ,आतंक प्रायोजित देश घोषित करने की दिशा में निर्णायक कदम उठाने होंगे। यह केवल भारत की सुरक्षा का सवाल नहीं है. यह मानवता की रक्षा का मामला है. जब तक पाकिस्तान की धरती पर पल रहे 'आतंकी अंडों को जड़ से नहीं उखाड़ जाएगा, तब तक दक्षिण एशिया में शांति एक सपना ही बनी रहेगी।
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