खून दे रहा था दर्द, आयरन चिलेटरी ने दी राहत
- विश्व थैलेसीमिया डे (आठ मई) पर विशेष रोजाना पांच से छह बच्चों को चढ़

भागलपुर, वरीय संवाददाता जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (मायागंज अस्पताल) में इलाज को आ रहे मासूम बच्चों को उनको चढ़ाया गया खून दर्द दे रहा था। इस दर्द को दूर करने में बच्चों के माता-पिता की जेब ढीली हो जा रही थी। क्योंकि इस दर्द का इंतजाम अस्पताल के पास नहीं था। ऐसे में विभाग तक ये बात पहुंचाई गई तो बीते एक साल से थैलेसीमिया के शिकार बच्चों को ये दर्द छू तक नहीं पा रही है और वे मुस्कुराहट के साथ अपनी जिंदगी गुजार रहे हैं। मायागंज अस्पताल में संचालित थैलेसीमिया डे केयर सेंटर पर एक साल पहले तक रोजाना दस से 12 थैलेसीमिया के शिकार बच्चे इलाज को आते थे।
रोजाना पांच से छह बच्चों को खून चढ़ाया जाता है। ऐसे बच्चों को खून चढ़ाए जाने के बाद उनमें आयरन की मात्रा बढ़ जाती थी। जिसे चिकित्सकीय भाषा में आयरन ओवरलोड कहा जाता है। डे केयर सेंटर के नोडल प्रभारी डॉ. राकेश कुमार बताते हैं कि आयरन ओवरलोड होने की दशा में न केवल बच्चों की त्वचा का रंग बदल जाता है, बल्कि उनके जोड़ों में दर्द की समस्या सता रही है। यहां तक ये समस्या बार-बार होती है तो उसके लीवर, हृदय रोग के साथ-साथ थायराइड संबंधी बीमारी हो जाती है। आयरन चिलेटर की दवा मिलनी हुई शुरू तो मिली राहत मायागंज अस्पताल के पीजी शिशु रोग विभाग के अध्यक्ष डॉ. अंकुर प्रियदर्शी ने बताया कि अप्रैल 2023 से थैलेसीमिया के शिकार बच्चों को आयरन चिलेटर की दवा मिलनी शुरू हुई थी। लेकिन नवंबर 2023 में ये दवा मिलनी बंद हो गई थी। जुलाई 2024 से एक बार फिर से बच्चों को आयरन चिलेटर की दवा दिया जाने लगा। जिससे बच्चों को दर्द व अन्य सेहत संबंधी समस्या से राहत मिलने लगी है। आयरन चिलेटर की दवा निजी बाजार में बहुत महंगी होती है। एक थैलेसीमिया के बच्चे को निजी दवा की दुकान से आयरन चिलेटर की दवा खरीदने पर रोजाना 90 से 100 रुपया खर्च करना पड़ता है। जबकि अस्पताल के थैलेसीमिया डे केयर सेंटर पर ये दवा पूरी तरह से निशुल्क मिल रही है। ल्यूको फिल्टर की सुविधा से मिली बच्चों को संक्रमण से निजात मायागंज अस्पताल के थैलेसीमिया डे केयर सेंटर पर थैलेसीमिया के शिकार बच्चों को खून चढ़ाते वक्त ल्यूको फिल्टर का इस्तेमाल किया जाता है। जनवरी 2024 से मायागंज अस्पताल के थैलेसीमिया डे केयर सेंटर पर बीते दो माह से ये सुविधा मिल रही है। इसका परिणाम ये हुआ कि इस सेंटर पर खून चढ़ाने के बाद जो थैलेसीमिया के शिकार बच्चों को साइड इफेक्ट की जो दर 20 प्रतिशत थी, वह घटकर 2.0 से 2.5 प्रतिशत पर आ गई है। बाजार में ल्यूको फिल्टर से खून चढ़वाने के एवज में एक हजार रुपये तक वसूला जाता है, जबकि इस केंद्र पर ये सुविधा मुफ्त है। अगर थैलेसीमिया के शिकार बच्चों को खून चढ़वाने की जरूरत है तो वह अपने जिले के सरकारी ब्लड बैंक सेंटर से चढ़वा लें। अस्पताल के थैलेसीमिया डे केयर सेंटर पर सिर्फ भागलपुर जिले के ही थैलेसीमिया के शिकार बच्चों को खून चढ़वाने की व्यवस्था है। : डॉ. अंकुर प्रियदर्शी, अध्यक्ष पीजी शिशु रोग विभाग मायागंज अस्पताल
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