रबी को बासंतीय फसल कहें और खरीफ को शारदीय, डिप्टी सीएम बोले- किसानों से सरल हिन्दी में बात करें
बिहार सरकार के उप-मुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा ने कृषि विभाग के अफसरों से कहा है कि वो रबी फसलों को बासंतीय फसल कहें और खरीफ को शारदीय फसल कहें। कृषि मंत्री ने किसानों के साथ सरद हिन्दी में बात करने कहा है।

बिहार के उप-मुख्यमंत्री और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के नेता विजय कुमार सिन्हा ने कृषि विभाग के अफसरों से कहा है कि वो रबी फसों को बासंतीय फसल कहें और खरीफ फसलों को शारदीय फसल बताया करें। नीतीश कुमार की सरकार में कृषि मंत्रालय की बागडोर संभाल रहे विजय कुमार सिन्हा ने कृषि विभाग के अधिकारियों से कहा कि किसानों से हिन्दी के सरल शब्दों में बात करनी चाहिए, जिसे वो आसानी से समझ सकें। विजय सिन्हा ने मंगलवार को पटना में कृषि विभाग के खरीफ महाअभियान 2025 कार्यशाला और समीक्षा बैठक को संबोधित करते हुए यह सलाह अधिकारियों को दी है।
डिप्टी सीएम विजय कुमार सिन्हा ने कहा कि राज्य सरकार किसानों की आय बढ़ाने और जलवायु अनुकूल टिकाऊ खेती के लिए लगातार प्रयास कर रही है। जैविक खेती को काफी बढ़ावा दिया जा रहा है। कार्यक्रम को लेकर सिन्हा ने एक ट्वीट भी किया है और कहा कि बिहार की उर्वर भूमि, कर्मठ किसान और एनडीए की डबल इंजन सरकार की दूरदर्शी नीतियां एक दिशा में चलें तो खेत हरियाली से लहलहाता है और समृद्धि का नया इतिहास लिखा जाता है। महाभियान केवल खेती का अभियान नहीं है, यह किसान को अन्नदाता से उद्यमी बनाने की दिशा में ठोस प्रयास है।
22 को जिला स्तरीय कार्यशाला से खरीफ अभियान की होगी शुरुआत
मंत्री ने अधिकारियों को खरीफ सीजन के लिए बीज, उर्वरक, सिंचाई, कृषि यंत्र जैसी चीजों की समुचित व्यवस्था करने का निर्देश दिया है। बताते चलें कि खरीफ की फसल मॉनसून आने के बाद जून-जुलाई में बोई और सितंबर-अक्टूबर में काटी जाती है। वहीं, रबी की फसल मॉनसून जाने के बाद अक्टूबर-नवंबर में बोई और बसंत ऋतु के दौरान मार्च-अप्रैल में काटी जाती है। विजय सिन्हा ने फसल कटाई के समय के मौसम के हिसाब से रबी को बासंतीय और खरीफ को शारदीय कहने की बात की है।
मां का खाना है मखाना, विजय सिन्हा बोले
पटना में ही एक दूसरे कार्यक्रम में उप-मुख्यमंत्री विजय सिन्हा ने मखाना को मां का खाना बताया। मंगलवार को मखाना पर राष्ट्रीय संगोष्ठी में विजय सिन्हा ने कहा कि सरकार द्वारा घोषित मखाना बोर्ड का सकारात्मक प्रभाव दिखने लगा है। लगभग 50 हजार मखाना उत्पादक किसानों को सीधे ऋण उपलब्ध कराया जाएगा।