बच्चों का हेल्थ कार्ड बनाने में बिहार दूसरे स्थान पर, पहले नंबर पर कौन; इलाज-दवा सब मुफ्त
जिसका हेल्थ आईडी कार्ड बनता है, उनके स्वास्थ्य से संबंधित जानकारी का रिकॉर्ड ऑनलाइन रखा जाता है। ऐसे में अगर किसी बच्चे की तबीयत खराब होती है तो ऑनलाइन रिकॉर्ड के आधार पर उसका तुरंत इलाज शुरू हो जाएगा। वहीं देशभर के तमाम सरकारी हॉस्पीटल में मुफ्त इलाज होगा।

बिहार के आंगनबाड़ी केंद्रों में अबतक 26.15% बच्चों का हेल्थ कार्ड बना। इसके साथ ही बिहार देशभर में दूसरे स्थान पर पहुंच गया। बिहार से ज्यादा केवल महाराष्ट्र के आंगनबाड़ी केंद्रों में 30.63 फीसदी बच्चों का हेल्थ आईडी कार्ड बना है। बता दें कि दिसंबर तक राज्य के आधे से अधिक आंगनबाड़ी केंद्रों में एक भी बच्चे का कार्ड नहीं बना था। पूरे राज्य के आंगनबाड़ी केंद्रों को मिलाकर 1435 बच्चों का ही हेल्थ आईडी कार्ड बना था। लेकिन दिसंबर से समेकित बाल विकास सेवाएं (आईसीडीएस) निदेशालय ने विशेष अभियान शुरू किया।
इसके बाद हर महीने हजारों बच्चों का हेल्थ आईडी कार्ड बनने लगा। पांच माह यानी दिसंबर से अप्रैल तक 29 लाख आठ हजार 420 यानी 26.15 फीसदी बच्चों का हेल्थ आईडी कार्ड बन चुका है। वर्तमान में 95 लाख के लगभग राज्यभर के आंगनबाड़ी केंद्र में बच्चें पंजीकृत हैं।
हर बच्चे का ऑनलाइन रिकाॅर्ड रखा जाएगा
जिसका हेल्थ आईडी कार्ड बनता है, उनके स्वास्थ्य से संबंधित जानकारी का रिकॉर्ड ऑनलाइन रखा जाता है। ऐसे में अगर किसी बच्चे की तबीयत खराब होती है तो ऑनलाइन रिकॉर्ड के आधार पर उसका तुरंत इलाज शुरू हो जाएगा। वहीं देशभर के तमाम सरकारी हॉस्पीटल में मुफ्त इलाज होगा। मुफ्त दवा भी मिलेगी। जिन बच्चों का हेल्थ आईडी कार्ड रहेगा वो उन्हें डॉक्टर की पर्ची भी रखने की जरूरत नहीं होती है।