हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर : गर्भवती महिलाओं और नवजातों का अब भी नहीं हो रहा पूरा इलाजज
हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर : गर्भवती महिलाओं और नवजातों का अब भी नहीं हो रहा पूरा इलाजहेल्थ एंड वेलनेस सेंटर : गर्भवती महिलाओं और नवजातों का अब भी नहीं हो रहा पूरा इलाजहेल्थ एंड वेलनेस सेंटर : गर्भवती...

हिन्दुस्तान पड़ताल : हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर : गर्भवती महिलाओं और नवजातों का अब भी नहीं हो रहा पूरा इलाज बंध्याकरण और नसबंदी के लिए करते हैं रेफर नवजात व बुजुर्गों को बीमारी के लक्षण के आधार पर भेजते हैं हायर सेंटर संचारी और गैर संचारी रोग के प्रबंधन में वेलनेस सेंटर ठीक से कर रहा काम 202 सीएचओ के हवाले 270 हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर फोटो : किचनी सेंटर : हरनौत के किचनी हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर में बुजुर्ग रोगी का इलाज करते स्वास्थ्यकर्मी। बिहारशरीफ, हिन्दुस्तान टीम। जिला में ग्रामीण इलाकों में चिकित्सीय सेवाओं को मजबूत किया जा रहा है।
इसके लिए गांवों के सभी अस्पतालों को हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर बना दिया गया है। उसके सफल संचालन की जिम्मेदारी वहां के सीएचओ (सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी) की तैनाती कर दी गयी है। जिला में 270 हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर चल रहे हैं। इनकी देखभाल के लिए 202 सीएचओ को लगाया गया है। कई सीएचओ को पास वाले सेंटर का प्रभार दिया गया है। ताकि, वहां आए रोगियों को बेहतर चिकित्सीय सेवा मिल सके। लेकिन, अब भी इन वेलनेस सेंटरों पर गर्भवती महिलाओं और नवजात का पूरा इलाज नहीं हो रहा है। बंध्याकरण और नसबंदी के लिए भी मरीज को रेफर किया जाता है। हद तो यह कि कई सेंटरों पर परिवार नियोजन के लिए कॉपर-टी लगाने तक की सुविधा नहीं है। हालांकि, लगभग 112 सेंटरों पर दक्ष नर्स कॉपर-टी लगा रही हैं। जबकि, अन्य सेंटरों पर आए लोगों को प्राथमिक स्वास्थ्य केद्रों पर रेफर किया जाता है। इसी तरह नवजात व बुजुर्गों को बीमारी के लक्षण के आधार पर उन्हें हायर सेंटर भेजा जाता है। हालांकि संचारी और गैर संचारी रोग के प्रबंधन में वेलनेस सेंटर ठीक से काम कर रहा है। जांच के बाद भेजा जाता है बड़ा अस्पताल : नर्स प्रिती कुमारी ने बताया कि पहले की तुलना में हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर में काफी सुविधाएं बढ़ी हैं। यहां रक्तचाप, मधुमेह और हीमोग्लोबीन की जांच की जाती है। इसमें किसी तरह की गड़बड़ी या अन्य शारीरिक परेशानी होने पर रोगियों को प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र भेजा जाता है। वेलनेस सेंटर का नियमित नहीं खुलना अब भी चुनौती : ग्रामीणों की मानें, तो दूर दराज गांवों में बने हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर नियमित नहीं खुलते हैं। जबकि, कई केंद्रों पर बिना किसी सूचना के स्वास्थ्यकर्मी गायब रहते हैं। डीपीएम श्याम कुमार निर्मल के निरीक्षण में ये बातें कई बार सामने आयी है। एनएच 20 के बगल में बने मोरा तालाब हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर में ताला लटका मिला था। जबकि, 25 मई के निरीक्षण में इस्लामपुर प्रखंड के बैरा कोचरा, केवाली और परशुराय हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर में ताला लटका मिला था। वहीं, धमौली में सीएचओ गायब मिले थे। उनपर कार्रवाई भी हुई थी। ऐसे में कई सेंटरों पर रोगियों को इलाज कराने में परेशानी हो रही है। मानकों पर जांच व इलाज की स्थिति : नालंदा जिला के हेल्थ एंड वेलनेस सेंटरों को अब 12 मानकों पर परखा जाएगा। इसके लिए कई स्तर पर काम चल रहा है। कुछ सेंटर एनक्वास से प्रमाणित भी हो चुके हैं। जबकि, अन्य केंद्रों पर गुणवत्ता को बेहतर करने का प्रयास किया जा रहा है। जिला में 22 हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर निजी भवनों में चल रहे हैं। जबकि, 56 केंद्र अन्य सरकारी भवनों में चल रहे हैं। हरनौत प्रखंड का किचनी हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर भी निजी मकान में चल रहा है। कहते हैं अधिकारी : पहले की तुलना में गांवों के अस्पतालों में चिकित्सीय सुविधाएं काफी बढ़ी हैं। 12 मानकों पर हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर को बेहतर बनाया जा रहा है। पहले ग्रामीणों को रक्तचाप व मधुमेह जांच के लिए भी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर जाना पड़ता था। अब वे इन सेंटरों पर ही जाकर जांच करवा रहे हैं। इससे बुजुर्गों, बच्चों व गर्भवती महिलाओं को काफी लाभ मिल रहा है। इसे और बेहतर बनाने का प्रयास किया जा रहा है। कुछ सेंटर अब भी निजी भवनों में चल रहे हैं। उसके लिए जल्द भवन बनवाने का प्रयास किया जाएगा। श्याम कुमार निर्मल, डीपीएम, जिला स्वास्थ्य प्रबंधक ये हैं 12 मानक 1. गर्भावस्था और प्रसव के दौरान देखभाल : ठीक ठाक चल रहा है। आशा कार्यकर्ता के माध्यम से स्थानीय केंद्रों में भी माह में एक बार नियमित जांच की व्यवस्था है। किसी तरह की परेशानी होने पर महिला वेलनेस सेंटर पर जाकर जांच करा रही हैं। वहां उनका रक्तचाप, मधुमेह व हीमोग्लोबीन जांच की जाती है। इसमें गड़बड़ी मिलने पर या अन्य परेशानी होने पर तुरंत हायर सेंटर भेजा जाता है। 2. नवजात और शिशु स्वास्थ्य सेवाएं : इसमें सामान्य तौर पर सर्दी, बुखार व अन्य छोटी मोटी बीमारियों को ही देखा जाता है। उसकी दवाएं भी दी जाती है। जबकि, गंभीर होने पर तुरंत रेफर किया जाता है। 3. बाल व किशोर स्वास्थ्य सेवाएं : इसका भी हाल सामान्य है। लक्षणों के आधार पर वहां तैनात कर्मी दवाएं देते हैं। जबकि, गंभीर अवस्था में उन्हें भेज देते हैं। 4. परिवार नियोजन : अस्थाई साधन सभी केंद्रों पर उपलब्ध हैं। वहां लोगों को परामर्श भी दिया जाता है। 5. संचारी रोग प्रबंधन : इसमें सिर्फ जांच की व्यवस्था है। यक्ष्मा, कुष्ठ व अन्य संचारी रोगों की पहचान कर संदेहास्पद मरीजों को पुष्टि के लिए जिला मुख्यालय भेजा जाता है। 6. गैर संचारी रोग प्रबंधन : मधुमेह, रक्तचाप जैसी जांच की सुविधा सभी केंद्रों पर उपलब्ध है। इस सुविधा का सबसे अधिक उपयोग हो रहा है। इसका लाभ लोगों को मिलने लगा है। 7. साधारण बीमारियों का प्रबंधन : इसकी स्थिति भी ठीक है। इसमें सिरदर्द, उल्टी, बुखार व अन्य सामान्य बीमारियों का इलाज किया जाता है। 8. मौखिक स्वास्थ्य देखभाल : सीएचओ व नर्स को कई चक्र का प्रशिक्षण दिया जा चुका है। इसके लिए यहां के स्वास्थ्यकर्मी ग्रामीणों के बीच जाकर जागरूकता भी फैला रहे हैं। स्थानीय समितियां इसमें सहयोग कर रही है। 9. बुजुर्ग स्वास्थ्य देखभाल : उनके रक्तचाप, मधुमेह व हीमोग्लोबीन की जांच नियमित तौर पर की जाती है। 10. मानसिक स्वास्थ्य देखभाल : सिर्फ लक्षण के आधार पर लोगों की जांच के बाद रेफर कर दिया जाता है। 11. अस्पताल की साफ सफाई : जांच के दौरान वेलनेस सेंटर की साफ सफाई का भी आकलन किया जाएगा। 12. लोगों का फीडबैक : इन बिंदुओं पर लोगों से राय ली जाएगी। रोगियों को मिलने वाली सुविधाओं व उनकी राय को जाना जाएगा।
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