एरोपॉनिक यूनिट : चंडी में पहली बार टीशु कल्चर पौधे से हवा में तैयार हुए आलू बीज
एरोपॉनिक यूनिट : चंडी में पहली बार टीशु कल्चर पौधे से हवा में तैयार हुए आलू बीजएरोपॉनिक यूनिट : चंडी में पहली बार टीशु कल्चर पौधे से हवा में तैयार हुए आलू बीजएरोपॉनिक यूनिट : चंडी में पहली बार टीशु...

हिन्दुस्तान एक्सक्लूसिव: एरोपॉनिक यूनिट : चंडी में पहली बार टीशु कल्चर पौधे से हवा में तैयार हुए आलू बीज दिसंबर में लगाये गये थे पौधे, अप्रैल में एक लाख 20 हजार तैयार हुए आलू बीज इस साल शेड नेट तो अगले साल से खुले मैदान में तैयार किये जाएंगे बीज किसानों को खेती के लिए साल 2028 से अनुदान पर मिलने लगेंगे उन्नत बीज फोटो सीओई : चंडी के सीओई की एरोपॉनिक यूनिट में तैयार आलू के बीज। बिहारशरीफ, कार्यालय प्रतिनिधि इंतजार खत्म हुआ। प्रयोग सफल रहा है। बिहार के एकलौते चंडी के सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर वेजिटेबल (सीओई) कैंपस में स्थापित एरोपॉनिक यूनिट में पहली बार टीशु कल्चर के पौधे से बिना मिट्टी के हवा में आलू के बीच तैयार किया गया है। पिछले साल दिसंबर में छह उन्नत प्रभेदों के टिशु कल्चर के पौधे लगाये गये थे। तैयार बीज की हार्वेस्टिंग कर ली गयी है। करीब एक लाख 20 हजार आलू बीज की उपज हुई है। खास यह कि साल 2028 से एरोपॉनिक तकनीक से तैयार उन्नत बीज किसानों को यहां से मिलने लगेंगे। खास यह भी कि पारंपरिक खेती के मुकाबले एरोपॉनिक तकनीक से तैयार बीज से खेती करने पर छह से सात गुना अधिक उपज मिलेगी। इतना ही नहीं इस तकनीकी से तैयार आलू बीज में बीमारियां बहुत कम लगती हैं। हालांकि, पहली बार एरोपॉनिक यूनिट में शुरू की गयी हवा में खेती देर से हुई थी। इस कारण उम्मीद के अनुसार उपज नहीं मिल पायी है। अब शेड नेट में लगाये जाएंगे बीज: एरोपॉनिट यूनिट में थर्ड जेनरेशन के टीशु कल्चर के पौधे लगाये गये थे। अच्छी तरह से देखभाल के बाद फोर्थ जेनरेशन का मटर दाने के आकार में बीज तैयार हुए हैं। अब इसे अगले सप्ताह से शेड नेट में लगाया जाएगा। अगले साल तक फिफ्थ जेनरेशन का बीज तैयार होगा। उसके बाद फिफ्थ जेनरेशन के बीज को खुले मैदान में लगाया जाएगा । तीसरे साल सिक्स जेनरेशन का बीज मिलेगा। तैयार बीज से पहले सीओई में खेती कर ट्रायल किया जाएगा। परिणाम उम्मीद के अनुसार आएंगे तो फिर किसानों को खेती-बाड़ी के लिए बीज मिलने लगेगा। एरोपॉनिक तकनीकी के बारे में जानेंगे किसान: चंडी के प्रखंड उद्यान पदाधिकारी पवन कुमार पंकज कहते हैं कि सीओई में सालोंभर बिहार के विभिन्न जिलों के किसानों को सब्जी की उन्नत खेती की बारीकियां सिखायी जाती हैं। अब इसमें एक और नया आयाम जुड़ गया है। किसानों को सब्जी की खेती के साथ ही एरोपॉनिक यूनिट में की जा रही आलू की खेती की बारीकियां व इस तकनीक की जानकारियां भी दी जाएंगी। क्या है एरोपॉनिक तकनीक: हवा में खेती को एरोपॉनिक्स तकनीक कहते हैं। खासकर आलू की। यह मिट्टीरहित विधि है, जहां पौधे उगाए जाते हैं। इस तकनीक में पौधों के लिए पानी में मिश्रित पोषक तत्वों के घोल को समय-समय पर बॉक्स में डाला जाता है। ताकि, पौधे पूरी तरह से विकसित हो सकें। हवा में लटकती जड़ें पोषक तत्वों को अवशोषित करती हैं। पारंपरिक खेती की तुलना में एरोपॉनिक विधि से आलू की खेती करने पर अधिक पैदावार मिलती है। कहते हैं अधिकारी: चंडी के सीईओ में स्थापित एरोपॉनिक यूनिट में पहली बार टिशु कल्चर पौधे से आलू बीज तैयार किया गया है। अब शेड नेट और खुले मैदान में बीज को तैयार किया जाएगा। सबकुछ ठीकठाक रहा तो बीमारीरहित आलू के उन्नत बीज साल 2928 से किसानों को अनुदान पर मिलने लगेंगे। एरोपॉनिक तकनीक से तैयार बीज की खेती से पैदावार अच्छी मिलेगी। राकेश कुमार, सहायक निदेशक, उद्यान विभाग , नालंदा
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