सुविधा : बांह पर एक इंप्लांट और पांच साल तक गर्भाधान से मुक्ति
सुविधा : बांह पर एक इंप्लांट और पांच साल तक गर्भाधान से मुक्ति सुविधा : बांह पर एक इंप्लांट और पांच साल तक गर्भाधान से मुक्तिसुविधा : बांह पर एक इंप्लांट और पांच साल तक गर्भाधान से मुक्तिसुविधा : बांह...

सुविधा : बांह पर एक इंप्लांट और पांच साल तक गर्भाधान से मुक्ति दूसरे चरण में नालंदा और गया में शुरू होगी गर्भनिरोधक की नई तकनीक इंप्लांट की सुविधा महिलाओं को मिलेगा तीन से पांच साल तक गर्भनिरोधक साधनों से छुटकारा फोटो : सदर प्रशिक्षण : सदर अस्पताल में शनिवार को इंप्लांट गर्भनिरोधक तकनीक की जानकारी देते ट्रेनर मिराजुद्दीन अंसारी व अन्य। बिहारशरीफ, एक संवाददाता। पटना और भागलपुर के बाद दूसरे चरण में नालंदा और गया जिले के अस्पतालों में महिलाओं को गर्भनिरोधक की नई तकनीक इंप्लाट (एक तरह की सूई) की सुविधा मिलेगी। सदर अस्पताल में शनिवार को स्वास्थ्य स्वस्थ्यकर्मियों को इसका प्रशिक्षण दिया गया। पहले चरण में आठ प्रखंडों के कर्मियों ने प्रशिक्षण लिया। प्रशिक्षक मिराजुद्दीन अंसारी ने बताया कि पहले चरण में पटना और भागलपुर में इसे अपनाने के सकारात्मक नतीजे सामने आए हैं। दोनों जिलों में इंप्लांट का प्रयोग महिलाओं द्वारा न केवल खुले मन से स्वीकार किया गया, बल्कि इसके प्रभावी परिणामों ने इसे लोकप्रिय भी बना दिया। इसी सफलता के आधार पर अब नालंदा सहित अन्य जिलों में इसका विस्तार किया जा रहा है। बांह पर एक इंप्लांट और पांच साल तक गर्भाधान से मुक्ति। इसे लेने से महिलाओं को तीन से पांच साल तक गर्भनिरोधक साधनों से छुटकारा मिलेगी। उपाधीक्षक डॉ. कुमकुम प्रसाद ने बताया कि यह तकनीक महिलाओं के लिए दीर्घकालिक, सुरक्षित एवं सुविधाजनक गर्भनिरोधक विकल्प उपलब्ध कराती है। उन्होंने बताया कि इंप्लांट एक छोटा, पतला और लचीला प्लास्टिक का रॉड होता है, इसे प्रशिक्षित स्वास्थ्यकर्मी महिला की ऊपरी भुजा के अंदर त्वचा के नीचे प्रत्यारोपित करते हैं। यह रॉड धीरे-धीरे एक विशेष हॉर्मोन रिलीज करता है, जो तीन से पांच सालों तक गर्भधारण से बचाव करता है। इंप्लांट तकनीक के कई फायदे हैं। पहला, यह दीर्घकालिक गर्भनिरोधक है, जिससे बार-बार गर्भनिरोधक गोलियों या अन्य साधनों के प्रयोग की आवश्यकता नहीं होती। दूसरा, यह पूरी तरह से रिवर्सिबल है, यानी जब भी महिला चाहे, उसे निकलवा सकती है और फिर से प्रजनन की संभावना बनी रहती है। तीसरा, इसके कुप्रभाव नगण्य हैं और यह स्तनपान कर रही महिलाओं के लिए भी सुरक्षित है। जिले के प्रमुख प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में इस सेवा को लागू करने के लिए एक विस्तृत योजना बनाई गई है। महिलाएं इस तकनीक को अपनाती हैं तो न केवल अनियोजित गर्भधारण से बचा जा सकेगा, बल्कि मातृ मृत्यु दर एवं शिशु मृत्यु दर में भी कमी आएगी। आज भी ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाएं पारंपरिक गर्भनिरोधक उपायों पर निर्भर हैं, जिनमें से कई असफल हो जाते हैं। ऐसे में इंप्लांट जैसी आधुनिक तकनीकें उन्हें भरोसेमंद विकल्प देती हैं। उन्होंने कहा कि आज की महिलाएं पढ़ी-लिखी हैं, आत्मनिर्भर हैं और अपनी प्रजनन से जुड़ी जिम्मेदारियों को खुद तय करना चाहती हैं। इंप्लांट उन्हें यह स्वतंत्रता और सुविधा दोनों प्रदान करता है। प्रशिक्षण कार्यक्रम में सौरभ तिवारी, साजिद हुसैन, संजीव कुमार, उज्जवल कुमार, मो. इरफान, संजय कुमार आजाद व अन्य शामिल थे।
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