गुरु गृह है नालंदा की पावन धरती-मोरारी बापू
राजगीर कन्वेंशन सेंटर में 7 दिवसीय कार्यक्रम की हुई शुरुआत गुरु गृह है नालंदा की पावन धरती-मोरारी बापू गुरु गृह है नालंदा की पावन धरती-मोरारी बापू

राजगीर कन्वेंशन सेंटर में 7 दिवसीय कार्यक्रम की हुई शुरुआत केन्द्रीय मंत्री नित्यानंद राय समेत कई गणमान्य हुए शामिल श्रद्धालुओं से खचाखच भर गया कन्वेंशन सेंटर का सभागार फोटो: मोरारी बापू01-राजगीर के कन्वेंशन सेंटर में मंच पर विराजमान मोरारी बापू। मोरारी बापू02-राजगीर के कन्वेंशन सेंटर में कथा सुनते श्रद्धालु। राजगीर, निज संवाददाता। अंतरराष्ट्रीय कन्वेशन सेंटर में शनिवार से विश्वप्रसिद्ध कथावाचक मोरारी बापू के 7 दिवसीय रामकथा वाचन का कार्यक्रम प्रारंभ हुआ। केन्द्रीय मंत्री नित्यानंद राय, दक्षिण बिहार केन्द्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति कामेश्वर नारायण सिंह, साध्वी संप्रज्ञा जी महाराज, गुरुद्वारा के हरेन्द्र प्रताप सिंह समेत कई गणमान्य कार्यक्रम में शामिल हुए। कन्वेंशन सेंटर का सभागार श्रद्धालुओं से खचाखच भर गया।
मोरारी बापू ने सात दिवसीय कार्यक्रम का नाम मानस नालंदा विश्वविद्यालय रखा है। उन्होंने कहा कि नालंदा की पावन धरती गुरु गृह है। यहां ज्ञान प्राप्त की इच्छा लेकर आने वाले लोगों को स्वयं ही ज्ञान की प्राप्ति हो जाती है। इतिहास के पन्नों में ऐसे कई महानुभावों के नाम दर्ज है। भगवान बुद्ध व महावीर की तरह ही वे भी इस धरती को प्रणाम करने और विश्वविद्यालय में स्वाध्याय करने आये हैं। उपनिषद में कहा गया है कि स्वाध्याय के बिना प्रवचन व्यर्थ है। ज्ञानपीठ के प्रति सम्मान प्रकट करना राजपीठ का कर्तव्य है। माता-बहनों के प्रति सम्मान है ऑपरेशन सिंदूर: उन्होंने 22 कई को हुए आतंकी हमले की निंदा करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री ने ऑपरेशन सिंदूर चलाकर माता-बहनों के प्रति सम्मान का भाव दिखाया है। सिंदूर, सुहागिनों का श्रृंगार होता है। यह उनके अराध्य देव भगवान बजरंगबली का भी श्रृंगार है। 800 साल पुराने ज्ञानपीठ को विदेशी आततायियों ने खंड-खंड कर दिया। यहां बने तीन ग्रंथालय, रत्नागर, रतन गति और रतन रंजन को आग के हवाले कर दिया। यह आग आज भी ज्ञानपुंज बनकर देश में अपनी रौशनी फैला रहा है। आने वाला समय भारत का होगा: केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि स्वामी विवेकानंद के अनुसार आने वाला समय भारत का होगा। ऐसा आज महसूस भी हो रहा है। सनातन धर्म के लोगों के लिए सेवा सत्कार का भाव है। सहयोग करना सनातन धर्म का जीवन आचरण है। मानव सेवा ही इसका मूलमंत्र है। यही कारण है सनातन कभी समाप्त नहीं हो सकता। सत्संग से साहस मिलता है। कुलपति ने कहा कि रामकथा एक विश्वविद्यालय के समान है। इसमें जीवन जीने, परिवार को चलाने, देश-दुनिया को संचालत करने और लोगों की भावनाओं को समझने का ज्ञान समाहित है। जिस तरह भटका हुआ नाविक ध्रुव तारा देखकर अपनी दिशा तय करता है, उसी तरह रामकथा सुनकर आदमी अपने जीवन की दिशा तय करता है।
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।