Ganga River Pollution Crisis Lack of Sewage Treatment Plants in Buxar नालों के पानी के ट्रीटमेंट की व्यवस्था नहीं, शहर की गंदगी गिर रही गंगा में, Buxar Hindi News - Hindustan
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नालों के पानी के ट्रीटमेंट की व्यवस्था नहीं, शहर की गंदगी गिर रही गंगा में

बक्सर में गंगा को बचाने के लिए कई योजनाएं चल रही हैं, लेकिन धरातल पर कोई कार्य नहीं हो रहा है। जिले में कोई सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट नहीं है, जिससे लाखों लीटर गंदा पानी प्रतिदिन गंगा में गिर रहा है।...

Newswrap हिन्दुस्तान, बक्सरMon, 9 June 2025 09:11 PM
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नालों के पानी के ट्रीटमेंट की व्यवस्था नहीं, शहर की गंदगी गिर रही गंगा में

पांचवां दिन ------------- अनदेखी मैली हो रही गंगा को बचाने के लिए केन्द्र व राज्य सरकार द्वारा कई योजनाएं चल रही है, लेकिन धरातल पर नहीं दिखती अबतक जिले में कहीं भी सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट नहीं लगा है बुडको व नप सीवरेज के साथ एसटीपी का निर्माण नहीं हुआ 01 लाख 80 हजार की आबादी वाले शहर के घरों से गंदा पानी 02 अरब 55 करोड़ 88 लाख 35 हजार की प्रशासनिक स्वीकृति फोटो संख्या-22, कैप्सन- सती घाट के पास गंगा में जाता नाले का गंदा पानी। बक्सर, हिन्दुस्तान प्रतिनिधि। शहर के नालों के पानी के ट्रीटमेंट की अबतक कोई व्यवस्था नहीं है।

शहर के सभी छोटे-बड़े नालों से प्रतिदिन लाखों गैलन गंदा व कचरायुक्त पानी सीधे गंगा नदी समेत नहरों व अन्य सहायक नदियों में गिरती है। इधर, मैली हो रही गंगा को बचाने के लिए सरकार द्वारा कई योजनाएं चल रही है। लेकिन धरातल पर कोई कार्य नहीं दिख रहा है। गंगा स्वच्छता पर कभी-कभार सिर्फ जागरूकता अभियान ही चलाया जाता है। बावजूद हर स्तर पर हर दिन गंगा को प्रदूषित किया जा रहा है। आश्चर्य की बात है कि अबतक जिले में कहीं भी सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट नहीं है और ना हीं सुदृढ़ ड्रेनेज सिस्टम की व्यवस्था है। बुडको व नप सीवरेज के साथ एसटीपी का निर्माण आज तक पूरा नहीं कर सका। इस कारण गंगा में शहर के नालों का गंदा पानी खुलेआम आज भी गिर रहा है। जानकारों की मानें तो नमामि गंगे योजना के तहत कितने सालों से काम हो रहा है, लेकिन सच्चाई यह है कि एक भी बूंद सीवरेज का पानी गंगा में जाने से रोका नहीं जा सका है। करीब 01 लाख 80 हजार की घनी आबादी वाले बक्सर शहर के घरों से निकलने वाले लाखों लीटर गंदा पानी नाली व नालों से होते हुए गंगा किनारे मौजूद 07 मुख्य नालों से बहते हुए सीधे गंगा में गिर रही है। साथ ही गंगा की पवित्र जल को प्रदूषित कर रहे है। इतना ही नहीं शहर में गंगा किनारे कई ऐसे जगह है, जहां अक्सर भारी मात्रा में कचरा डाले जाते है। कुछ इसी तरह का हाल नहरों की भी है। प्रशासनिक स्तर पर नाकामी छिपाने के लिए छठ महापर्व के दौरान कचरों के ऊपर मिट्टी भर दिया जाता है या फिर हरे रंग के कपड़े से ढंक दिया जाता है। सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट को चयनित किये स्थल गंदा पानी को ट्रीटमेंट के बाद गंगा में प्रवाहित करने के लिए केंद्र प्रायोजित अटल नवीकरण और शहरी परिवर्तन मिशन यानी अमृत 2.0 अंतर्गत शहर में सीवरेज नेटवर्क परियोजना यानी एसटीपी के लिए 02 अरब 55 करोड़ 88 लाख 35 हजार की प्रशासनिक स्वीकृति मिल गई है। इसे अमलीजामा पहनाने के लिए प्रकिया तेजी से चल रही है। पूर्व में सर्वे कर छह स्थल का चयन कर लिया गया है। एसटीपी से शहर के 28 वार्ड के करीब 14,750 परिवारों को आधुनिक सीवरेज सुविधा का लाभ मिलेगा। एसटीपी गंदे पानी को साफ कर नदी में प्रवाहित करेगा। जलजमाव की समस्या से काफी हद तक मुक्ति वहीं एसटीपी के निर्माण से शहर को जलजमाव की समस्या से काफी हद तक मुक्ति मिलेगी। फिलहाल गंगा में मिलने वाले नालों में जाली लगाया गया है। ताकि नालों से होकर कचरा गंगा में नहीं जा सकें। प्रमुख गंगा घाटों पर गंगा में स्वच्छता को बरकरार रखने वाली आकर्षक पेंटिंग व श्लोगन भी दर्शाई गई है। वहीं शवदाह गृह का नवीकरण, आधुनिकीकरण और निर्माण ताकि अधजले या आंशिक रूप से जले हुए शव को नदी में बहाने से रोका जा सके। हालांकि कुछ संस्थाओं द्वारा समय-समय पर प्रमुख गंगा घाटों पर सफाई अभियान चलाई जाती है।

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