शिव- पार्वती विवाह की झांकी देख भावविभोर हुए श्रद्धालु
दाउदपुर के भरवलिया गांव में चल रहे श्री रुद्र महायज्ञ के चौथे दिन साधना जी ने महिलाओं की शक्ति और सतीत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि माताएं अपने बच्चों को सही मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करती...

दाउदपुर(मांझी)। भारतीय संस्कृति में त्याग और तपस्या की प्रतिमूर्ति प्रतिवर्त नारियां है जिसके सत्कर्म से पुरुषों में शुद्ध आचरण का समावेश होता है। मानव स्वरूपों में एक मां अपने संतानों को कभी कुपथ की ओर जाने की प्रेरणा नही देती। बात जब महिलाओं के सतीत्व पर उठती है तो जगत जननी माता के कठोर तपस्या जिनके प्रतिफल से पति रूप में देवाधिदेव महादेव की सर्वप्रथम कथा प्रख्यात है। यह बातें दाउदपुर के भरवलिया गांव स्थिति श्री रामजानकी मंदिर परिसर में चल रहे श्री रुद्र महायज्ञ के चौथे दिन बलिया से पधारी ओजस्वी कथावाचिक साधना जी ने कही। उन्होंने कहा कि कोमल हृदय सुकुमार अवस्था में माता पार्वती की हजारों वर्ष कठिन तपस्या के उपरांत भगवान प्रसन्न हुए और स्वयं उनकी तपोस्थली पहुच उनकी परीक्षा ली,तब जाकर भगवान शिव ने माता पार्वती को अर्धांगिनी बनाया।
इस कलियुग में प्रत्येक नारियों के हृदय के चितवन से सच्ची श्रद्धा और भक्ति का मार्ग प्रसस्त करना होगा। इससे उनके संतान भी ईश्वर की भक्ति से ओतप्रोत हो सके। पुरुषों को धैर्यवान व सामर्थ्यवान बनाने में महिलाओं का समर्थ होना बेहद आवश्यक है। जिस प्रकार श्री राम की शक्ति सीता से कृष्ण की शक्ति राधा से और श्री विष्णु की शक्ति माता लक्ष्मी के अटूट प्रेम से है उसकी प्रकार भारतीय संस्कृति में नारियों की शक्ति भी पुरुषों के लिए वरदान से कम नही। जिस देश व घर मे नारियों का सम्मान किया जाता है उस घर मे शांति और वैभव का संचार होता है। उनकी संतान भी कर्मठ और तापश्वि होते है। इस बीच कलाकारों द्वारा शिव पार्वती विवाह की मनमोहक एवं आकर्षक झांकी का भावपूर्ण मंचन किया गया। जिसका सुंदर व संजीव दृश्य देख दर्शक भावविभोर हो गए। शिव पार्वती विवाह की झांकी देख हर हर महादेव के जयकारे से पंडाल गूंज उठा। मंदिर में पूजा अर्चना एवं प्रवचन सुनने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ जुट रही है। मंत्रोच्चारण के बीच गड़खा के दो मंदिरों में हुई मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा गड़खा, एक संवाददाता। प्रखंड के खाकी बाबा के मठिया रामपुर महम्मदपुर मंदिर में शनिवार को राम जानकी, राधे कृष्ण और बजरंग बली की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा वेद मंत्रों के बीच हो गई। आचार्य श्याम सुंदर पाण्डेय के वैदिक मंत्रोचारण के बीच संत श्रीधर दास जी महाराज के कर कमलों से प्राण प्रतिष्ठा के बाद अखंड अष्टयाम का शुभारंभ हुआ। श्रद्धालु भक्त एक जैसी वेशभूषा में इस अनुष्ठान में शामिल हुए। इस दौरान यहां श्रद्धालुओं की धूम मची रही। एक तरफ जहां मंत्रोच्चार और भक्ति गीतों से पूरा माहौल धार्मिक हो गया, वहीं मंदिर परिसर में जुटी श्रद्धालुओं की भीड़ ने माहौल को भक्तिमय बना दिया। सैकड़ों महिला व पुरूष श्रद्धालुओं द्वारा विभिन्न देवी-देवताओं का जयघोष लगाया जा रहा था। मंदिर के पुजारी महंथ विजय दास, जदयू के प्रदेश उपाध्यक्ष वैद्यनाथ प्रसाद सिंह विकल, दिनेश राय, भरत प्रसाद राय, मुखिया पारसनाथ सिंह, जितेंद्र राय, सुनील प्रसाद राय, रामनरेश राय, वकील राय, सुरेंद्र राय, जय नाथ राय व अन्य ने बताया कि रविवार को अष्टयाम की पूर्णाहूति पर सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया है।
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