जिले के अस्पतालों में सेफ्टी ऑडिट के प्रति उदासीनता
पेज चार की लीड केंद्र सरकार ने राज्य सरकार को एक एडवाइजरी जारी की है, जिसमें अस्पतालों में आग से बचाव के लिए कई उपाय सुझाए गए है। इन उपायों में अग्नि सुरक्षा प्रणालियों की जांच, बिजली भार ऑडिट, आग...

सदर अस्पताल में ऑडिट के प्रति हो रही पहल आईसीयू वार्ड और एसएनसीयू में आग से बचाव को लेकर लगाए गए हैं अग्निशमन यंत्र सदर अस्पताल के नए बिल्डिंग में अग्निशमन यंत्र लगाए गए हिन्दुस्तान पड़ताल फोटो 6 छपरा सदर अस्पताल के आईसीयू वार्ड के बगल में लगे आग से बचाव के उपकरण छपरा, हमारे संवाददाता। अस्पतालों में आग से बचाव के लिए हाल ही में केंद्र सरकार ने राज्य सरकार को एक एडवाइजरी जारी की है, जिसमें अस्पतालों में आग से बचाव के लिए कई उपाय सुझाए गए है। इन उपायों में अग्नि सुरक्षा प्रणालियों की जांच, बिजली भार ऑडिट, आग लगने की स्थिति में निकासी योजना शामिल है।
छपरा सदर अस्पताल के आईसीयू में और अलग-अलग वार्डों में अग्निशमन यंत्र लगाए गए हैं । 6 माह पहले अग्निशमन विभाग के द्वारा सदर अस्पताल के आईसीयू और नवजात बच्चे को जहां एसएनसीयू मे रखा जाता है वहां का ऑडिट किया गया है। छपरा सदर अस्पताल के आधुनिक बिल्डिंग में अग्निशमन यंत्र के कई अत्याधुनिक के उपकरण लगाए गए हैं। वैसे तो देखा जाए तो अस्पतालों में नियमित रूप से अग्नि अलार्म सिस्टम, अग्निशामक यंत्र, हाइड्रेंट व स्प्रिंकलर की जांच करनी चाहिए। अग्निशमन विभाग के द्वारा अस्पताल के कर्मचारियों को अग्नि सुरक्षा के बारे में समय-समय पर प्रशिक्षित भी किया जाता है और मॉक ड्रिल के माध्यम से आग से कैसे बचाव करना है, इसके बारे में उन्हें जानकारी भी दी जाती है। सदर अस्पताल में आग से बचाव के लिए कई तैयारी की गयी है। इनमें अग्निशमन प्रणाली, अग्नि अलार्म सिस्टम, नियमित अग्निशमन अभ्यास, र आग लगने की स्थिति में सही कार्रवाई के लिए कर्मचारियों का प्रशिक्षण शामिल है। अस्पतालों में अग्नि अलार्म सिस्टम में स्मोक डिटेक्टर, हीट डिटेक्टर और मैनुअल पुल स्टेशन शामिल हैं, जो आग की स्थिति में कर्मचारियों और रोगियों को चेतावनी देते हैं। पानी को स्टोर करके रखने के लिए हाइडेंट भी बनाए गए हैं ताकि आग लगे तो इसी पानी के माध्यम से बुझाया जा सके। कोट छह माह पहले छपरा सदर अस्पताल के आईसीयू और नवजात बच्चे के वार्ड का सेफ्टी ऑडिट किया गया है। बहुत जल्द सेफ्टी ऑडिट का डेट निकल कर सदर अस्पताल के अग्निशमन विभाग के द्वारा सेफ्टी ऑडिट किया जाएगा। सुनील कुमार सिंह सहायक अग्नि पदाधिकारी मढ़ौरा रेफ़रल अस्पताल का नहीं हुआ है फायर ऑडिट फोटो मढ़ौरा। एक संवाददाता मढ़ौरा रेफरल अस्पताल का फायर ऑडिट काफी दिनों से नहीं हो सका है। जिस कारण यहां आग से बचाव भगवान भरोसे चल रहा है । प्राप्त जानकारी के मुताबिक मढ़ौरा रेफरल अस्पताल में आईसीयूं , एनआईसीयू तो नही है किंतु नवजात बच्चों के लिए एनबीसीसी है जहां एक अग्निशमन यंत्र लगा हुआ है। यह बात अलग है कि वह ठीक है या नही। प्राप्त जानकारी के मुताबिक इस अस्पताल में 6 किलोग्राम का कुल 7 अग्निशमन सिलेंडर लगा हुआ है किंतु यह कारगर है या नहीं, इसकी जानकारी ठीक ढंग से अस्पताल प्रशासन को नही है। इस अस्पताल का फायर आडिट हुए भी काफी समय हो गया है। इस संबंध में पूछे जाने पर अस्पताल प्रबंधक सेराज आफरीन का कहना है कि अग्निशमन विभाग के अधिकारी आए थे किंतु रेफरल अस्पताल का जर्जर भवन देख बिना ऑडिट किये वापस चले गए। अस्पताल प्रबंधक का कहना है कि अस्पताल नए भवन में शिफ्ट होते ही फायर आडिट करा लिया जाएगा। गड़खा अस्पताल में आग से बचाव के लिए लगे हैं तीन फायर इंस्टिग्यूसर गड़खा, एक संवाददाता। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र गड़खा में आग से बचाव के इंतजाम नाकाफी हैं। अस्पताल में आग से बचाव के लिए फायर इंस्टिग्यूसर तो लगे हैं लेकिन आपात स्थिति से निपटने के लिए यह पर्याप्त नहीं है। अस्पताल में कुल तीन फायर इंस्टिग्यूसर हैं। एक इंस्टिग्यूसर वेटिंग एरिया में, दूसरा इमरजेंसी वार्ड की तरफ और तीसरा ऑपरेशन थियेटर व लेबर रूम के पास लगा है। सुरक्षा के दृष्टिकोण से यह पर्याप्त नहीं है। ऐसे में अगर यहां आग लगी तो भागम भाग की स्थिति हो जाएगी। यही नहीं पूरे अस्पताल में केवल एक ही गेट है। अस्पताल में दो रास्ते हैं ही नही। इस स्थिति में अगर अस्पताल में आग लग जाए तो बाहर निकलने का दूसरा रास्ता भी नहीं है। जानकारों की माने तो अस्पताल समेत किसी भी बड़े भवन के लिए नियम यह है कि वहां कम से कम दो निकास द्वार होने चाहिए ताकि आपात स्थिति में एक द्वार से लोग बाहर निकलते रहें और दूसरे से राहत कार्य जारी रहे। इस नियम का भी यहां अस्पताल में पालन नहीं हो रहा है। हालांकि आग से बचाव के लिए अस्पताल में समय समय पर फायर ऑडिट और मॉक ड्रिल होते रहता है। रेफरल अस्पताल में लगे हैं पांच अग्निशामक यंत्र तरैया, एक संवाददाता। तरैया रेफरल अस्पताल में आग बुझाने एवं आग पर काबू पाने के लिये पांच अग्निशामक यंत्र लगाये गये है। इन्हें वार्ड के गेट ,लैब के गेट , प्रसव कक्ष व अस्पताल के ओपीडी के समीप आदि जगहों पर लगाया गया है। रेफरल अस्पताल के प्रबंधक नितेश कुमार ने बताया कि इन पांच अग्निशामक यंत्र के अलावे हमेशा टंकी में पानी रहता है। आपात स्थिति में पानी से भी आग बुझाया जायेगा। लेकिन इस अस्पताल में बाल्टी में बालू भरकर नहीं रखे गये हैं। वहीं इस अस्पताल में आईसीयू की व्यवस्था नहीं है। अस्पताल प्रभारी डॉ आलोक बिहारी शरण ने बताया कि अग्निशामक यंत्र की संबंधित कर्मियों द्वारा जांच होती रहती है। नए अस्पताल भवन में लगाये जा रहे अग्निशमन यंत्र बनियापुर, एक प्रतिनिधि। आग से बचाव के लिए रेफ़रल अस्पताल बनियापुर में माकूल व्यवस्था नहीं है। अस्पताल में मात्र चार अग्निशमन यंत्र लगाए गए। कमरों के अनुपात में यह काफी कम है। नए मॉडल अस्पताल भवन में तमाम सुविधा उपलब्ध कराए जाएंगे। अग्निशमन सहित बचाव के लिए अन्य उपकरण भी लगाए जा रहे हैं। बीते 19 मई को अस्पताल को नया भवन मिला है। स्वास्थ्य मंत्री द्वारा इसका उदघाटन किया गया है। पुराने भवन में लगाए गए अग्निशमन यंत्र की रिफलिंग दस माह पूर्व हुई व तब फायर ऑडिट भी कराया गया था। अस्पताल प्रबंधक गौतम कुमार ने बताया कि अग्निशमन यंत्र की रिफिलिंग हेतु गाइड लाइन का पालन किया जाता है। अस्पताल के पास आपात स्थिति से बचने के लिए अस्पताल कर्मियों को यंत्र का उपयोग करने के संबंध में प्रशिक्षण भी दिया गया है। पुराने अस्पताल में आग लगने पर लोगों को सुरक्षित बाहर निकालने के लिए मुख्य दरवाजा के अलावे अलग अन्य वैकल्पिक रास्ते भी है। बता दें कि अस्पताल में एक दर्जन से अधिक कमरे हैं जहां ओपीडी, इमरजेंसी तथा लेबर रूम बनाये गये हैं। कई कमरों में नए-नए उपकरण लगाए जा रहे हैं। इसके लिए बिजली की वायरिग की गयी है। इसके कारण शार्ट सर्किट होने की संभावना बनी रहती है। ऐसे में कुछ कमरों में अग्निशमन यंत्र नहीं लगाया जाना खतरों को आमंत्रित करता है।
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