बेहतर मैदान, पिच और प्रशिक्षण मिले तो दरभंगा में तैयार होंगे बड़े क्रिकेटर
जिले के क्रिकेटरों में मायूसी का आलम है। संसाधनों की कमी के कारण उनकी प्रतिभा दम तोड़ रही है। प्रशासनिक उपेक्षा के चलते क्रिकेट ग्राउंड प्रैक्टिस का रास्ता बंद है। खिलाड़ियों का कहना है कि अगर...
जिले के क्रिकेटरों में मायूसी का आलम है। संसाधनों के अभाव से खिलाड़ियों की प्रतिभा बीच रास्ते में दमतोड़ रही है। क्रिकेटर इसका जिम्मेवार जिला प्रशासन को मनाते हैं। बताते हैं कि प्रशासनिक उपेक्षा से ग्राउंड प्रैक्टिस का रास्ता बंद है। इस वजह से खिलाड़ी अंतर विश्वविद्यालय, स्टेट, नेशनल, रणजी जैसा प्रतिष्ठित टूर्नामेंट खेलने के बावजूद पिछड़ जाते हैं। क्रिकेटर बताते हैं कि प्रतिभावान खिलाड़ी और उन्हें तराशने वाले कोच मौजूद हैं। इसकी बदौलत क्रिकेटर राज्य व राष्ट्रीय स्तर के टूर्नामेंटों में खेल लेते हैं, पर बेहतरीन प्रदर्शन कर चर्चित खिलाड़ी नहीं बन पाते हैं। क्रिकेटरों का कहना है कि आधारभूत सुविधाओं की कमी खिलाड़ियों की उड़ान में बाधक बनी हुई है। खिलाड़ियों को क्रिकेट मैदान, उच्च गुणवत्ता वाली पिच, चेंजिंग रूम, प्रशिक्षण केंद्र, आधुनिक तरीके से बॉलिंग-बैंटिंग प्रशिक्षण, नेट-प्रैक्टिस, मुख्य कोच के साथ फिटनेस, तकनीक विशेषज्ञ आदि जैसी बुनियादी सुविधाएं नहीं हैं। इस स्थिति से परेशान पूर्व क्रिकेटर प्रवीण बबलू बताते हैं कि क्रिकेट के विकास के लिए जिले में रोडमैप नहीं है। प्रशासनिक स्तर पर इसके विकास की कोई पहल नहीं होती है। इसके चलते आगे बढ़ने के बावजूद क्रिकेटर अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी बनकर नाम-दाम अर्जित नहीं कर पाते हैं। उन्होंने बताया कि शहरी क्षेत्र में करीब 300 क्रिकेटर हैं जिन्हें अपेक्षित सुविधा मिले तो स्टेट टीम में स्थायी स्थान बनाने के साथ आईपीएल जैसे टूनामेंट में भी नाम कमा सकते हैं। फिर भी क्रिकेट खिलाड़ियों के अनुरूप संसाधन विकसित नहीं हो रहा है। उन्होंने बताया कि खिलाड़ियों ने कई बार जिला प्रशासन से क्रिकेट इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित करने की मांग की है, पर अब तक कोई पहल नहीं हुई। यदि जिले में एक आधुनिक क्रिकेट स्टेडियम व प्रशिक्षण की सुविधा विकसित हो जाए तो खिलाड़ी राष्ट्रीय स्तर पर प्रदर्शन कर जिले का नाम रौशन कर सकते हैं।
टर्फ मैदान के अभाव से प्रैक्टिस बाधित: शहरी क्षेत्र में क्रिकेट मैदान का अभाव है। शहरीकरण तेज होने की वजह से ग्रामीण क्षेत्र के मैदान भी गायब हो चुके हैं। टाउन क्रिकेट क्लब के कोच सुजीत ठाकुर बताते हैं कि खिलाड़ियों के लिए टर्फ अर्थात दूब घास से युक्त मैदान होना अति जरूरी है। इसके वाबजूद इसे विकसित नहीं किया जा रहा है। लहेरियासराय में मौजूद नेहरू स्टेडियम इकलौता टर्फ मैदान भी बर्बाद है। यहां अक्सर प्रशासनिक कार्यक्रम, प्रदर्शनी, मेला आदि के साथ राजनीतिक सभाओं का आयोजन होता है। इससे क्रिकेट खिलाड़ी रोज मैच प्रैक्टिस नहीं कर पाते हैं। इस वजह से लोकल क्रिकेटरों की नैसर्गिक प्रतिभा एक सीमा से आगे नहीं बढ़ती है। उन्होंने बताया कि आधुनिक दौर में क्रिकेटर सिंथेटिक फाइबर से बने टर्फ पिच पर प्रैक्टिस करते हैं। ऐसा मौका दरभंगा के बच्चों को नहीं मिलता है। यही कारण है कि प्रतिभाशाली होने के बावजूद क्रिकेटर राज्य या राष्ट्रीय टीम में जगह नहीं बना पाते हैं। उन्होंने कहा कि जिले के नेताओं और पदाधिकारियों को टर्फ किक्रेट मैदान विकसित करना चाहिए। इससे स्थानीय क्रिकेटरों की प्रतिभा निखरेगी।
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