Dr Ambedkar s Vision on Indian Constitution Discussed at CUSB संविधान विकास का एक पथ प्रदर्शक है: कुलपति, Gaya Hindi News - Hindustan
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संविधान विकास का एक पथ प्रदर्शक है: कुलपति

भारत रत्न डॉ. बीआर आंबेडकर की जयंती का महत्व विषय पर व्याख्यान का आयोजन फोटो- सीयूएसबी में कार्यक्रम में शामिल विद्यार्थी व अन्य। टिकारी, निज संवाददात

Newswrap हिन्दुस्तान, गयाFri, 2 May 2025 09:08 PM
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संविधान विकास का एक पथ प्रदर्शक है: कुलपति

दक्षिण बिहार केंद्रीय विश्वविद्यालय (सीयूएसबी) में भारतीय संविधान को आकार देने में डॉ. आंबेडकर का दृष्टि और इसकी समकालीन प्रासंगिकता और भारत रत्न डॉ. बीआर आंबेडकर की जयंती का महत्व विषय पर व्याख्यान का आयोजन किया गया। सीयूएसबी के कुलपति प्रो. कामेश्वर नाथ सिंह ने कहा कि संविधान केवल एक दस्तावेज ही नहीं बल्कि विकास का एक पथ प्रदर्शक है। भारतीय संविधान हमारा विकास सतत हो, आर्थिक उन्नति हो, उसके लिए मार्ग प्रशस्त करता है। प्रो. मीणा केतन साहू, विभागाध्यक्ष, डिपार्टमेंट आफ लॉ, सम्बलपुर विश्वविद्यालय ने कहा कि संविधान मूल अधिकारों की रक्षा करता है। नए भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) कानून संविधान के आत्मा के अनुरूप आपराधिक न्याय के लिए अग्रसर है, बीएनएस महिलाओं एवं बच्चों के रक्षा के लिए समुचित प्रयास करता है।

प्रो. आदेश कुमार मौर्य, हेड एवं डीन, फैकल्टी ऑफ लॉ, इलाहाबाद विश्वविद्यालय ने इसाबेल विल्कर्सन की पुस्तक कास्ट: द लाईज डेट डिसाइड अस की पुस्तक का उदाहरण प्रस्तुत हुए बताया कि कैसे जातियां जो समाज को बांटती है, जिससे संबंधित भेदभाव को डॉ. आंबेडकर साहब ने उन्मूलन करने का कोशिश की। प्रो. अशोक कुमार, हेड एवं डीन ने कहा कि बाबा साहेब ने इस बात पर जोड़ दिया कि समाज के विकास का मूल्यांकन वहां की महिलाओं के विकास से जोड़ कर देखा जा सकता है। कार्यक्रम समन्वयक डॉ. पूनम कुमारी, व्याख्यान के समन्वयक मणि प्रताप, प्रो. संजय प्रकाश श्रीवास्तव, प्रो. पवन कुमार मिश्रा, प्रो. प्रदीप कुमार दास, डॉ. सुरेन्द्र कुमार, डॉ. प्रयास दर्षणना, डॉ. देव नारायण सिंह, डॉ. पल्लवी सिंह, डॉ. अनंत प्रकाश नारायण, डॉ. कुमारी नीतू, डॉ. अनुराग अग्रवाल, डॉ. चन्दना सुबा आदि मौजूद रहें। लघु फिल्म की गई प्रदर्शित डॉ. आंबेडकर की जयंती पखवाड़ा के अंतर्गत विश्वविद्यालय की सांस्कृतिक समिति की ओर से भेदभाव पर आधारित एक प्रभावशाली लघु फिल्म प्रदर्शित की गई। इस फिल्म ने समाज में व्याप्त जाति, धर्म और लिंग आधारित भेदभाव पर गहन प्रकाश डाला और उपस्थित विद्यार्थियों तथा शिक्षकों को समानता और न्याय के मूल्यों के प्रति जागरूक किया। लघु फिल्म को सांस्कृतिक समिति के सदस्यों, मोहित, तान्या, प्रतीक, मिनी, प्रियांशु, शुभ्यता, आदर्श, आर्यन, संगम, प्राची, आची, यशस्विनी और सुष्मित ने मिलकर तैयार किया गया था।

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