रोहिणी नक्षत्र का आगवन होते ही धान का बिचड़ा गिराने में जुटे किसान
सहदेई बुजुर्ग। संवाद सूत्र रोहिणी नक्षत्र का आगवन होते ही धान का बिचड़ा गिराने में जुटे किसानरोहिणी नक्षत्र का आगवन होते ही धान का बिचड़ा गिराने में जुटे किसानरोहिणी नक्षत्र का आगवन होते ही धान का...

सहदेई बुजुर्ग। संवाद सूत्र रोहिणी नक्षत्र का आगवन होते ही सहदेई और देसरी प्रखंड क्षेत्र के किसान धान के बिचड़े की बुआई करने के लिए हल बैल के साथ खेत में उतर गए हैं। रोहिणी नक्षत्र हर साल 25 मई को आता है और 8 जून तक रहता है। इस नक्षत्र में धान की खेती की विधिवत शुरुआत हो जाती है। किसान बिचड़े की बुआई के लिए खेत को तैयार करने में जुट जाते हैं। लंबी अवधि वाले धान के बीज की बुआई के लिए रोहणी नक्षत्र उपयुक्त समय माना जाता है। इस संबंध में सरायधनेश के किसान सुरेंद्र सिंह, दिनेश्वर सिंह, जगदीश राय ने बताया कि मंसूरी धान बीज रोहणी नक्षत्र में डालने पर उसकी पैदावार अच्छी होती है और धान के बाद अगले फसल लगाने का भी उचित समय मिलता है।
जिससे किसानों को आमदनी अच्छी हो जाती है। इस वर्ष मौसम का मिजाज खरीफ फसल के लिए अनुकूल बनता दिख रहा है। खरीफ फसल की अच्छी खेती करने के लिए रोहणी नक्षत्र को शुभ माना जाता है। इस माह में बीज डालने वाले किसानों के फसल नवंबर माह में तैयार हो जाता है। जिससे रबी फसल की बुआई भी समय से हो जाती है। रोहिणी नक्षत्र में डाले गए बिचड़े का विकास अधिक होता है और उत्पादन भी अधिक होती है। कृषि वैज्ञानिकों की माने तो इस दौरान सूर्य की रोशनी सीधे धरती पर पड़ती है। जिस वजह से बीजों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। वहीं, तेज धूम से उर्वरक शक्ति बनी रहती है। सहदेई-04- सहदेई के सरैना चंवर में धान का बिचड़ा गिराने को लेकर खेत तैयार करते हुए किसान।
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