नर्स की बख्शीश की जिद में नवजात की मौत, बहस से SNCU में भर्ती कराने में जानलेवा देरी
पटना के एक अस्पताल में नर्स ने नजराना की ऐसी जिद पकड़ी कि डॉक्टर के कहने के बाद भी नवजात को स्पेशल केयर यूनिट में भर्ती कराने के बदले पैसे के लिए बहस करती रही। समय पर इलाज नहीं मिलने से बच्चे की मौत हो गई।

पटना सिटी स्थित गुरु गोबिंद सिंह अस्पताल में स्टाफ नर्स की बख्शीश की जिद ने एक नवजात की जान ले ली। डॉक्टर की सलाह पर नवजात को जन्म के तुरंत बाद एसएनसीयू (स्पेशल न्यूबोर्न केयर यूनिट) में भर्ती कराया जाना था, लेकिन स्टाफ नर्स बख्शीश की मांग पर परिजनों से उलझ गई। लगभग डेढ़ घंटे तक इलाज नहीं होने से उसकी हालत गंभीर होती गई। अंत में परिजन खुद नवजात को लेकर जब तक एसएनसीयू पहुंचे तो भर्ती कराने के थोड़ी देर बाद ही उसकी जान चली गई।
अस्पतालकर्मी के अमानवीय बर्ताव से एक नवजात की मौत का यह वाकया 6 मई का है। मामले ने जब तूल पकड़ा तो जिला प्रशासन ने जांच के लिए उप विकास आयुक्त की अध्यक्षता में कमेटी गठित की। तीन सदस्यीय जांच कमेटी ने अस्पताल के कर्मचारियों की लापरवाही की बात स्वीकार की है। साथ ही कहा कि समय पर इलाज मिलता तो शायद नवजात की जान बचाई जा सकती थी।
सदर अस्पताल : एसएनसीयू में नवजात की मौत, परिजनों का हंगामा
मालसलामी थाना क्षेत्र के शहदरा निवासी कन्हैया प्रसाद की पत्नी अंशु देवी को प्रसव पीड़ा के बाद 5 मई को गुरु गोबिंद सिंह अस्पताल में भर्ती कराया गया था। 6 मई की सुबह 7:58 बजे महिला ने बच्चे को जन्म दिया। सबको परिवार में नए सदस्य के आने की खुशी थी। जब जन्म के पांच मिनट तक बच्चे की रुलाई सुनाई नहीं दी तो ड्यूटी पर तैनात डॉक्टर ने जांच की। डॉक्टर ने परिजनों से कहा कि स्थिति ठीक नहीं है और बच्चे को एसएनसीयू में भर्ती कराना होगा।
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डॉक्टर ने अस्पताल के एसएनसीयू में भर्ती करने के लिए नवजात को रेफर कर दिया। लेबर रूम में तैनात स्टाफ नर्स बच्चे के पिता से यह कहकर बख्शीश की मांग करने लगी कि खुशी की बात है, इसीलिए कुछ नजराना दीजिए। लेकिन, बच्चे की हालत से परेशान परिजन उस समय इस पर बात करने के लिए तैयार नहीं थे।