बिहार कांग्रेस अध्यक्ष राजेश को अशोक चौधरी ने याद दिलाई नीतीश की मेहरबानी, बोले- पांव पकड़े थे तब…
- कभी बिहार कांग्रेस अध्यक्ष रहे जेडीयू मंत्री अशोक चौधरी ने कांग्रेस के नए प्रदेश अध्यक्ष राजेश कुमार को सीएम नीतीश कुमार की मेहरबानी की याद दिलाई है। चौधरी के कांग्रेस छोड़ने के बाद राजेश पहले दलित प्रदेश अध्यक्ष बने हैं।

बिहार कांग्रेस के नए अध्यक्ष और औरंगाबाद जिले की कुटुम्बा सीट से विधायक राजेश कुमार को कभी कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष रहे जेडीयू के कद्दावर मंत्री अशोक चौधरी ने सीएम नीतीश कुमार की मेहरबानी की याद दिलाई है। अशोक चौधरी ने पटना में बुधवार को मीडिया के सामने 2015 के विधानसभा चुनाव में कुटुम्बा विधानसभा सीट से राजेश को टिकट दिलाने के अंदर की कहानी सुनाई और बताया कि उन्होंने इसके लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का पांव पकड़ कर जेडीयू के तत्कालीन विधायक ललन भुइयां की सीट कांग्रेस के लिए ली थी। कांग्रेस ने अखिलेश प्रसाद सिंह की जगह पर कुटुम्बा से लगातार दो बार के विधायक राजेश कुमार को अध्यक्ष बनाया है।
राजेश कुमार कुटुम्बा से 2015 का विधानसभा चुनाव जीतकर पहली बार विधायक बने थे। 2010 के चुनाव में इस सीट से जेडीयू के ललन भुइयां जीते थे जिनका टिकट महागठबंधन में यह सीट कांग्रेस को मिलने से कट गया था। अशोक चौधरी ने उसी प्रसंग की याद दिलाते हुए कहा- “राजेश राम भी नीतीश कुमार की कृपा से जीते हैं। राजेश हमारे महामंत्री थे और ललन भुइयां का सीटिंग सीट था। उन्होंने आकर आग्रह किया कि हमको इस बार मौका नहीं मिलेगा तो कभी नहीं मिलेगा। हमने नीतीश कुमार का पैर पकड़ कर जेडीयू का सीटिंग सीट कांग्रेस के खाते में लेकर उनको चुनाव लड़वाया।”
बिहार चुनाव से पहले कांग्रेस का दलित दांव, अखिलेश सिंह को हटा राजेश कुमार को बनाया प्रदेश अध्यक्ष
अशोक चौधरी अप्रैल 2013 से सितंबर 2017 तक बिहार कांग्रेस के अध्यक्ष थे और 1990 से नीचे जा रहे कांग्रेस विधायकों की संख्या उनके कार्यकाल में पहली बार बढ़ी थी। 2015 के विधानसभा चुनाव में नीतीश भी महागठबंधन के साथ थे और तब कांग्रेस 27 सीट जीती थी जो 2010 के चुनाव में जीती गई 4 सीट से 23 ऊपर थी। अशोक चौधरी जब प्रदेश अध्यक्ष थे तो राजेश पार्टी के प्रदेश महासचिव थे। बाद में अशोक चौधरी जेडीयू में चले गए और आज नीतीश के सबसे करीबी नेताओं में गिने जाते हैं। उनकी बेटी शांभवी चौधरी चिराग पासवान की पार्टी से सांसद हैं।
जानिए कौन हैं बिहार कांग्रेस के नए प्रदेश अध्यक्ष राजेश कुमार
औरंगाबाद जिले के ओबरा इलाके के रहने वाले राजेश के पिता दिलकेश्वर राम कांग्रेस की सरकार में मंत्री रहे थे। राजेश कुमार रविदास समुदाय से हैं। बिहार की 19.65 प्रतिशत दलित आबादी में अकेले इस समुदाय की हिस्सेदारी 5.25 फीसदी है। लोक जनशक्ति पार्टी- रामविलास के अध्यक्ष चिराग पासवान जिस बिरादरी से आते हैं, उसकी आबादी भी 5.31 प्रतिशत ही है। राजेश के जरिए कांग्रेस रविदास समुदाय को अपनी तरफ खींचने की कोशिश कर रही है क्योंकि चिराग पासवान और जीतनराम मांझी की वजह से दलितों का बड़ा हिस्सा भाजपा और एनडीए के साथ दिखता है। राहुल गांधी इस साल जनवरी और फरवरी में कुल दो बार पटना आ चुके हैं और दोनों बार उनका कार्यक्रम दलित और पिछड़ों को ध्यान में रखकर बनाया गया था।
राहुल गांधी को 30-35 सीट की लड़ाई पटना खींच लाई; बिहार दौरा बढ़ाने का क्या मतलब?
राजेश कुमार काफी समय से बिहार कांग्रेस के एससी-एसटी सेल के प्रदेश अध्यक्ष भी थे। 2005 में पहली बार निर्दलीय विधानसभा चुनाव लड़े राजेश हार गए थे। 2010 में कांग्रेस से टिकट मिला तो उन्हें जेडीयू के उन्हीं ललन भुइयां ने हराया था जिनका टिकट कटवाकर अशोक चौधरी ने कांग्रेस को सीट और राजेश को टिकट दिलाने का दावा किया है। 2015 के चुनाव में राजेश ने जीतनराम मांझी के बेटे और हम के अध्यक्ष संतोष कुमार सुमन को हराया था। 2020 के चुनाव में जीतनराम मांझी की पार्टी हम के कैंडिडेट श्रवण भुइयां को हराया। श्रवण को पिछले साल झारखंड से शराब पीकर लौटने के दौरान बिहार पुलिस ने बॉर्डर पर गिरफ्तार कर लिया था।