शिक्षा की अलख जलाने को तैयार कटिहार
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कटिहार, हिन्दुस्तान प्रतिनिधि कटिहार जिले के महादलित, दलित, अल्पसंख्यक और अतिपिछड़े टोले अब शिक्षा की नई रौशनी से जगमगाने को तैयार हैं। शिक्षा विभाग की ‘अक्षर आंचल योजना के तहत जिले में 31 टोला शिक्षा सेवक और 21 तालीमी मरकज, यानी कुल 52 पदों पर बहाली की प्रक्रिया अंतिम चरण में है। यह बहाली पूरी तरह पारदर्शिता और सामाजिक समावेशिता के साथ की जा रही है। चयन प्रक्रिया में गड़बड़ी को नहीं किया जाएगा बर्दाश्त शिक्षा विभाग के जिला कार्यक्रम पदाधिकारी प्रेम शंकर झा ने स्पष्ट किया कि चयन प्रक्रिया में किसी भी प्रकार की गड़बड़ी को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
यदि कहीं से कोई शिकायत मिली तो संबंधित केआरपी और प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी पर सख्त विभागीय कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने बताया कि इस योजना के तहत न्यूनतम मैट्रिक पास और 18 से 45 वर्ष के आयुवर्ग के आवेदकों से आवेदन मांगे गए थे। प्राथमिकता पोषक क्षेत्र के उन्हीं अभ्यर्थियों को दी जाएगी जो दलित, महादलित, अल्पसंख्यक और अतिपिछड़ा समुदाय से आते हैं। आवेदन के साथ आधार कार्ड अनिवार्य रूप से संलग्न करना होगा। 9 सदस्यीय चयन समिति किया गया है गठित इस बहाली की निगरानी और निष्पक्ष संचालन के लिए 9 सदस्यीय चयन समिति गठित की गई है। समिति की अध्यक्षता संबंधित वार्ड के निर्वाचित वार्ड सदस्य करेंगे, जबकि विद्यालय के प्रधानाध्यापक संयोजक होंगे। अन्य सदस्यों में चार स्थानीय हरिजन प्रतिनिधि (दो महिला, दो पुरुष), एक अनुसूचित जाति की महिला जो कभी चुनाव लड़ चुकी हो, एक जीविका समूह से जुड़ी महिला सदस्य, एक केआरपी अथवा केआरपी की अनुपस्थिति में प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी शामिल रहेंगे। टोले की जनसंख्या और रिक्तियों का कराया गया है सर्वे डीएम मनेश कुमार मीणा के निर्देश पर जिले भर के टोले की जनसंख्या और रिक्तियों का सर्वे सांख्यिकी विभाग और बीडीओ की निगरानी में कराया गया है। आवेदन की अंतिम तिथि 9 जून को समाप्त हो चुकी है और अब प्रखंड स्तरीय कार्यालयों व विद्यालयों में औपबंधिक मेधा सूची प्रकाशित की जा रही है। 16 जून तक लिया जाएगा दावा आपत्ति 16 जून तक दावा-आपत्ति का मौका दिया गया है, ताकि योग्य उम्मीदवारों को पूरा अवसर मिले और कोई पात्र उम्मीदवार वंचित न रहे। चयन सूची तैयार होने के बाद इन टोला शिक्षा सेवकों और तालीमी मरकजों की नियुक्ति से ग्रामीण और वंचित समुदायों में शिक्षा का आधार और मजबूत होगा। यह पहल न सिर्फ सामाजिक न्याय को बल देगी, बल्कि गांव-गांव में शिक्षा का दीप जलाने में एक ठोस कदम साबित होगी।
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