पानी और चारे की किल्लत से बेहाल पशुपालक
पानी और चारे की किल्लत से बेहाल पशुपालक

लखीसराय । एक प्रतिनिधि जमुई समेत आसपास के क्षेत्रों में भीषण गर्मी और जल संकट से इंसानों के साथ-साथ अब पशुधन भी प्रभावित हो रहा है। पहाड़ी और ग्रामीण इलाकों में पानी और चारे की भारी कमी से पशुपालक काफी परेशान हैं। हालात इतने खराब हो चुके हैं कि जमुई जिले के खैरी पंचायत सहित कई गांवों के पशुपालक अपने सैकड़ों मवेशियों को लेकर नदी-नालों की तलाश में पलायन करने को मजबूर हो गए हैं। रविवार को लखीसराय बायपास रोड के समीप सौ से अधिक पशुपालक अपने झुंडों के साथ नदी किनारे नजर आए। पशुपालकों ने बताया कि गांव के सभी चापाकल, कुएं और पोखर पूरी तरह सूख चुके हैं।
पशुओं को न तो पीने के लिए पानी मिल रहा है और न ही खाने के लिए पर्याप्त चारा। परिणामस्वरूप कई मवेशी बीमार पड़ गए हैं और उनकी देखभाल भी कठिन होती जा रही है। पशुपालकों का कहना है कि हर साल गर्मी में यही स्थिति बनती है, लेकिन सरकार की ओर से अब तक कोई ठोस राहत व्यवस्था नहीं की गई है। पशुपालन विभाग की योजनाएं सिर्फ कागजों तक सिमटी हैं, जबकि जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां करती है। कोई सोलर पंप, जल टैंकर या चारा वितरण केंद्र जैसे प्रावधान सक्रिय रूप से काम नहीं कर रहे हैं। स्थिति को लेकर पशुपालकों ने प्रशासन से मांग की है कि जल संकट प्रभावित गांवों की पहचान कर तत्काल राहत पहुंचाई जाए। सोलर पंप की स्थापना, अस्थायी चारा बैंक, जल टैंकर जैसी सुविधाएं शुरू की जाएं ताकि पशुओं को आवश्यक पोषण और पानी मिल सके। साथ ही, दीर्घकालिक समाधान के रूप में जल संरक्षण योजनाओं को गांव स्तर पर क्रियान्वित किया जाए। पशुपालकों ने चेतावनी दी है कि यदि शीघ्र राहत नहीं मिली, तो मवेशियों की मौत का सिलसिला शुरू हो सकता है, जिससे पशुपालन आधारित आजीविका पर सीधा असर पड़ेगा। यह संकट केवल एक मौसम की चुनौती नहीं, बल्कि पूरे ग्रामीण पशुधन तंत्र के लिए खतरे की घंटी है। जरूरत है कि इसे गंभीरता से लेते हुए ठोस और स्थायी समाधान खोजा जाए।
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