27 साल तक करता रहा फैसले का इंतजार...
मधुबनी के झौआ गांव में 5 अगस्त 1997 को भूमि विवाद में योगेंद्र यादव की हत्या कर दी गई थी। परिजनों ने आरोपियों को सजा दिलाने का प्रयास किया और 27 साल बाद कोर्ट ने 14 लोगों को उम्रकैद की सजा सुनाई।...

मधुबनी, विधि संवाददाता। भैरवस्थान थाना क्षेत्र के झौआ गांव में 5 अगस्त 1997 को भूमि विवाद में पीट-पीटकर योगेंद्र यादव की हत्या कर दी गई थी। घटना के बाद मृतक के परिजनों ने मारपीट में शामिल लोगों को सजा दिलाने की जिद ठान ली। आखिरकार 27 साल बाद उन्हें सफलता मिली। शुक्रवार दोपहर जैसे ही कोर्ट का फैसला आया सूचक के परिजन ने कहा उन्हें कोर्ट पर पूरा भरोसा था। प्रभारी पीपी मनोज तिवारी एवं एपीपी अजीत सिन्हा सजा पर आदेश पारित होने के बाद प्रधान जिला जज अनामिका टी के न्यायालय से बाहर निकले और केस के सूचक नागेश्वर यादव के परिजन को बताया कि 14 लोगों को उम्रकैद की सजा हुई है तो उनके आंखों से खुशी का आंसू छलक आया। परिजनों ने कहा देर है अंधेर नहीं। उन्हें न्यायालय पर पूरा भरोसा था। प्रधान जिला जज अनामिका टी की अदालत ने जिन 14 लोगों को उम्रकैद की सजा सुनाई है उसमें कमल यादव, कुशे यादव, जामुन यादव, प्रमोद यादव, चन्दर यादव, महेश यादव, रघुनी यादव, बौअन यादव, विदेश्वर यादव, कारी यादव, ललित यादव, उत्तीम यादव, सुरेश यादव एवं सूरत यादव शामिल हैं। सभी सजायाफ्ता भैरवस्थान थाना क्षेत्र के झौआ गांव का रहने वाला है। कोर्ट का फैसला आने के बाद जब आरोपितों को हाजत की ओर पुलिस ले जा रही थी तो उसके परिजन मिलने को बेताब थे। परिवार के लोगों का रो-रोकर बुरा हाल था। इस मामले में प्रधान जिला जज के कोर्ट में 25 लोगों का ट्रायल चल रहा था। पूर्व में 11 अन्य आरोपित कोर्ट से बरी हो चुके हैं।
दोबारा हमला नहीं होता तो शायद बच जाती जान
पीपी मनोज तिवारी एवं सूचक के परिजन ने बताया कि योगेंद्र यादव पर दोबारा हमला नहीं होता तो शायद उनकी जान बच जाती। यह दिन देखने को नहीं मिलता। भूमि विवाद को लेकर आरोपितों ने लाठी,भाला,फरसा एवं अन्य घातक हथियार से लैस होकर ग्रामीण योगेंद्र यादव पर हमले कर दिए। अस्पताल ले जाने के क्रम में फिर से हमला कर दिया। जिससे वहीं दम तोड़ दिया।
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