सत्संग से मन होता है निर्मल : विष्णुदेवाचार्य
मधुबनी में 81वें मिथिलांचल हरिनाम संत सम्मेलन में तुलसीपीठाधिश्वर विष्णुदेवाचार्य जी महाराज ने कहा कि सत्संग से मन का निर्मल होना और सकारात्मक विचारों का आना संभव है। उन्होंने विवेक के महत्व पर जोर...

मधुबनी,हिन्दुस्तान टीम। सत्संग से व्यक्ति का मन निर्मल होता है। सत्संग के प्रभाव से सकारात्मक विचार आते हैं। साथ ही यह ज्ञान, भक्ति और आत्मिक विकास के लिए एक मार्ग प्रदान करता है। उक्त बातें सिमरिया से तुलसीपीठाधिश्वर विष्णुदेवाचार्य जी महाराज ने कहा। वे बुधवार को टाउन क्लब फील्ड में मिथिलांचल हरिनाम संत सम्मेलन के 81 वां अधिवेशन में अपना प्रवचन दे रहे थे। विष्णुदेवाचार्य जी ने कहा कि बिनु सत्संग विवेक न होई राम कृपा बिनु सुलभ न सोई। अर्थात अच्छी संगत के बिना विवेक नहीं आता और राम की कृपा के बिना सत्संग प्राप्त करना आसान नहीं होता। उन्होंने कहा कि अच्छी संगत में रहने सेही विवेक जागता है। विवेक का अर्थ है सही और गलत के बीच अंतर करने की क्षमता, जो सत्संग से प्राप्त होती है। सुलभ न सोई का अर्थ है कि सत्संग आसानी से नहीं मिलता, इसके लिए राम की कृपा आवश्यक है। सत्संग से मनुष्य का विवेक जागता है, जिससे वह सही मार्ग पर चलने लगता है और भगवान की कृपा प्राप्त करता है। तुलसीपीठाधिश्वर विष्णुदेवाचार्य जी महाराज ने कहा कि जैसे पारस के स्पर्श से लोहा सोना बन जाता है, वैसे ही सत्संग के प्रभाव से व्यक्ति का स्वभाव बदल जाता है। उन्हांने कहा कि मधुबनी के लोग बर भागी हैं जो पिछले 81 वर्षो से लगातार देश व विदेश के साधु संत पहुंचते हैं।
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