स्वतंत्रता सेनानियों के नाम शिलापट्ट पर हों दर्ज, वंशज को मदद की दरकार
महात्मा गांधी की कर्मभूमि चंपारण में स्वतंत्रता सेनानियों के वंशजों को अपमानित किया जा रहा है। उन्होंने आंदोलन में योगदान दिया, लेकिन आज उन्हें प्रशासनिक लाभ नहीं मिल रहा है। पहचान पत्र बनाने की...
महात्मा गांधी की कर्मभूमि व सत्याग्रह की प्रयोगस्थली रही चंपारण की धरती पर कई स्वतंत्रता सेनानी हुए। उन्होंने चंपारण सत्याग्रह के दौरान विभन्नि मंचों पर महात्मा गांधी के साथ कदम से कदम मिलाकर काम किया व आंदोलन को सफलता के मुकाम तक पहुंचाया। यहीं से प्रभावित होकर महात्मा गांधी ने देशभर में अंग्रेजी शासन के खिलाफ सत्याग्रह के अस्त्र का इस्तेमाल किया। इन स्वतंत्रता सेनानियों के वंशजों का कहना है कि आज चंपारण की धरती पर ही उनकी उपेक्षा हो रही है। गांधी स्मारक व संग्रहालय में शिलापट्ट पर उनके नाम तक अंकित नहीं हैं। आश्रितों को किसी तरह का प्रशासनिक लाभ नहीं मिल पा रहा है। एक अदद पहचानपत्र के लिए भी उन्हें सरकारी दफ्तरों में ठोकरें खानी पड़ रही हैं।
पूर्वी चंपारण में सक्रिय स्वतंत्रता सेनानी उत्तराधिकारी परिवार समिति से जुड़े लोग जिले के स्वतंत्रता सेनानियों को उचित सम्मान दिलाने को लेकर लगातार प्रयास कर रहे हैं। समिति की जिला संयोजक राजकुमारी गुप्ता, अशोक कुमार वर्मा, प्रभाकर जायसवाल, कौशल किशोर पाठक, अजय कुमार श्रीवास्तव, राणा नीलकांत मणि ने बताया कि सरकार ने बेटा-बेटी, पोता-पोती व नाती-नतनी को उत्तराधिकारी का दर्जा दे रखा है। मगर, उन्हें किसी प्रकार की सरकारी सुविधा नहीं मिल रही है। केंद्र सरकार पहले रेलवे यात्रा में रियायत देती थी, उसे बंद कर दिया गया है। उसे शुरू करने की जरूरत है। यात्री बसों में भी रियायत प्रदान की जाए। इसके अलावा सरकार की ओर से स्वतंत्रता सेनानी के उत्तराधिकारी परिवार को देश का प्रथम परिवार व प्रथम नागरिक घोषित किया जाए। युवा उत्तराधिकारियों को नौकरी में आरक्षण लाभ मिले।
स्वतंत्रता सेनानी के नाम पर हो सार्वजनिक स्थलों व गली-मोहल्लों का नाम राजकुमारी गुप्ता, चंचल कुमार, आद्या कृष्णा, पवन पुनित चौधरी, रत्नेश कुमार सन्हिा, डॉ चंदन जायसवाल, रत्नेश्वरी शर्मा ने कहा कि गांधी जी व चंपारण सत्याग्रह की याद में बने गांधी स्मारक व संग्रहालय में स्वतंत्रता सेनानियों के नाम तक अंकित नहीं हैं। जिले के विभन्नि प्रखंडों में स्वतंत्रता सेनानियों के नाम का शिलापट्ट लगाया जाए। जिले के सार्वजनिक स्थलों, सरकारी भवनों व गली-मोहल्लों का नाम भी स्वतंत्रता सेनानियों ने नाम पर रखा जाए। इससे उत्तराधिकारियों को सम्मान के साथ देखा जाएगा। साथ ही, भावी पीढ़ी को भी इससे सीख मिलेगी।
गांधी संग्रहालय की समिति में शामिल हों उत्तराधिकारी
डॉ चंदन जायसवाल, पवन पुनित चौधरी, आद्या कृष्णा, अंशु सिंह, अभिषेक कुमार, राज कुमार आदि ने कहा कि गांधी संग्रहालय की समिति में सत्याग्रह के साथी रहे स्वतंत्रता सेनानियों के उत्तराधिकारियों को भी शामिल किया जाए। जिला मुख्यालय में स्वतंत्रता सेनानियों के नाम का शिलापट्ट लगाया जाए, इससे नई पीढ़ी को अपने पूर्वजों को जानने व समझने का मौका मिल सकेगा। हमारे पूर्वजों के संघर्ष व बलिदान को यूं भुलाया नहीं जा सकता है।
उत्तराधिकारियों को मिले सम्मान
उत्तराधिकारियों ने कहा कि स्वतंत्रता सेनानियों के प्रति सम्मानजनक व्यवहार होना चाहिए। आश्रित महिलाओं को सुविधा प्रदान करने की जरूरत है। उन्हें मेडिकल व बीमा लाभ की सुविधा प्रदान की जाए।
उत्तराधिकारियों का परिचय-पत्र बनाने की प्रक्रिया हो आसान
कौशल किशोर पाठक ने कहा कि स्वतंत्रता सेनानियों के उत्तराधिकारियों का पहचान पत्र आसानी से नहीं बन पा रहा है। उन्हें विभन्नि कार्यालयों का चक्कर काटना पड़ता है। अभी भी बड़ी संख्या में ऐसे उत्तराधिकारी हैं जिनका पहचान पत्र नहीं बन सका है। पहचान पत्र नर्मिाण की प्रक्रिया बहुत जटिल बना दी गयी है। बताया कि पीपीओ नंबर, वंशावली व दो गवाह देने के बाद भी कार्यालयों का चक्कर लगाना पड़ता है। डीएम कार्यालय में कागजात समर्पित किए जाने के बाद उसे पुलिस वैरेफिकेशन व अंचल कार्यालय को भेजा जाता है। परिचय पत्र बनाए जाने के बाद प्रमाण पत्र बनाना होता है। प्रमाणपत्र नर्मिाण की प्रक्रिया को आसान बनाए जाने की आवश्यकता है।
शिकायतें
1.सत्याग्रह की प्रयोगस्थली रही चंपारण की धरती पर स्वतंत्रता सेनानियों के उत्तराधिकारियों की होे रही उपेक्षा।
2.स्वतंत्रता सेनानियों के आश्रितों व उत्तराधिकारियों को किसी तरह का प्रशासनिक लाभ नहीं मिल पा रहा है
3.एक अदद पहचानपत्र के लिए उत्तराधिकारियों को सरकारी दफ्तरों में दर-दर की ठोकरें खानी पड़ रही हैं।
4.रेलवे यात्रा में केंद्र सरकार से मिलनेवाली रियायत बंद कर दी गयी है। यात्री बसों में भी रियायत प्रदान नहीं की जाती।
5.गांधी स्मारक व संग्रहालय में स्वतंत्रता सेनानियों के नाम तक अंकित नहीं हैं। प्रखंडों में सेनानियों के नाम का शिलापट्ट लगे।
सुझाव
1.स्वतंत्रता सेनानियों के आश्रित व उत्तराधिकारियों को प्रशासनिक लाभ प्रदान किया जाए। उन्हें बीमा व मेडिकल की सुविधा दी जाए।
2.पहचानपत्र नर्मिाण की प्रक्रिया को आसान बनाने की जरूरत है ताकि उत्तराधिकारियों को सरकारी दफ्तरों में ठोकरें नहीं खानी पड़े।
3.रेलवे यात्रा में केंद्र सरकार से मिलनेवाली रियायत शुरू की जाए। यात्री बसों में भी उत्तराधिकारियों को रियायत प्रदान की जाए।
4.गांधी संग्रहालय में स्वतंत्रता सेनानियों के नाम अंकित हों। जिले के विभन्नि प्रखंडों में स्वतंत्रता सेनानियों के नाम का शिलापट्ट पर लगे।
5.जिले के सार्वजनिक स्थलों, सरकारी भवनों व गली-मोहल्लों का नाम भी स्वतंत्रता सेनानियों ने नाम पर रखा जाए।
बोले जम्मिेदार
स्वतंत्रता सेनानी के उत्तराधिकारियों को सरकारी नौकरी में एक प्रतिशत का आरक्षण प्रदान किया जाता है। पहचान पत्र नर्मिाण के लिए नर्धिारित प्रक्रिया का पालन किया जाता है। आवेदन आने के बाद उसे संबंधित एसडीओ ऑफिस भेजा जाता है। जरूरत पड़ने पर वहां से अंचलाधिकारी के कार्यालय भेजा जाता है। इस प्रक्रिया में थोड़ी देरी हो जाती है।
-निधी कुमारी, प्रभारी पदाधिकारी, सामान्य शाखा, जिला प्रशासन
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