अवैध वसूली से मिले निजात और ऐसा फोरम बने, जहां सुनी जाए हमारी बात
मुजफ्फरपुर के ऑटो चालकों का कहना है कि उन्हें पुलिस और ठेकेदारों द्वारा शोषण का सामना करना पड़ रहा है। भाड़ा मांगने पर अभिभावक टालते हैं और कई बार झगड़ा करते हैं। चालकों ने सरकार से शिकायत सेल बनाने...

मुजफ्फरपुर। बच्चों को सुरक्षित स्कूल पहुंचाकर अभिभावकों को चिंतामुक्त करने वाले ऑटो चालक खुद चिंता में डूबे हैं। परेशानी का सबब एक नहीं, बल्कि अनेक है। इनका आरोप है कि स्टैंड में ठेकेदार के कारिंदे तो सड़क पर ट्रैफिक पुलिस अवैध उगाही करती है। आधी कमाई जुर्माना भरने में चली जाती है। रही-सही कसर महीनों भाड़ा लटका कर कुछ अभिभावक पूरी कर देते हैं। कोई ऐसा प्रशासनिक फोरम नहीं, जहां हमारी शिकायतें सुनी जाएं। बताया कि सुख-चैन से दो वक्त की दाल-रोटी को लेकर कुछ लोगों ने पाई-पाई जोड़ रिक्शा से ऑटो रिक्शा खरीदी। वहीं, कुछ कर्ज लेकर किस्त भरते हुए टेम्पो चला रहे हैं।
न आयुष्मान कार्ड का लाभ मिल रहा है और न दुर्घटना बीमा का। प्रशासन हमारी समस्याओं का समाधान करे तो हमारे हालात बेहतर हों। जिले में बच्चों को स्कूल से घर और घर से स्कूल पहुंचाने वाले टेम्पो चालकों की संख्या 2100 के करीब है। शहरी इलाके में 1200 तो ग्रामीण इलाके में 900 ऑटो चालक बच्चों को ढो रहे हैं। ऑटो चालक रंजीत कुमार, असगर अली समेत अन्य का आरोप है सिर्फ पुलिस और निगम के ठेकेदार ही नहीं, बल्कि अभिभावक भी शोषण करते हैं। कुछ अभिभावक महीने में ऑटो रिक्शा का भाड़ा देने में टाल-मटोल करते हैं। भाड़ा मांगने जाने पर वे झगड़ा करने पर उतारू हो जाते हैं। रंजीत प्रसाद गुप्ता, सूरज कुमार व अन्य का कहना था कि किराए के मकान में रहनेवाले कई अभिभावक तो पैसे देने से बचने के लिए मोहल्ला ही बदल देते हैं। ऐसे में हम कहां-किससे शिकायत करें यह समझ में नहीं आता है। इसके लिए सरकार को एक शिकायत सेल बनानी चाहिए, जिसमें प्रशासनिक अधिकारियों के अलावा ऑटो रिक्शा चालक संघ से जुड़े प्रतिनिधि होना चाहिए, ताकि शिकायतों का निपटारा निष्पक्ष तरीके से किया जा सके। बार-बार नियम बदलने से परेशानी राजा श्रीवास्तव, संजय महतो का कहना है कि बार-बार बदलती सरकार की नीतियां राहत की जगह मानसिक तनाव देती हैं। पहले पर्यावरण सुरक्षा और बच्चों के स्वास्थ्य को लेकर डीजल और पेट्रोल गाड़ियों से स्कूली बच्चों को ढोने पर रोक लगाई। किसी तरह हम चालकों ने निजी बैंकों से लोन लेकर सीएनजी वाहन खरीदे, लेकिन उसकी किस्त भरने में खासी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। जिले में आज तक कोई वाहन स्क्रैप सेंटर खुला ही नहीं है। इससे अपने वाहनों को स्क्रैप नहीं करा पाने के कारण अलग से चपत लगी। हमारी आर्थिक स्थिति पूरी तरह से चरमरा गई। सरकार को चाहिए कि नये वाहन खरीदने के लिए सरकारी बैंकों से सस्ती दर पर लोन दिलाने के प्रयास करे। नये वाहन पर लगने वाले टैक्स में भी ऑटो चालकों को छूट मिलनी चाहिए। ऑटो चालक मो. मुमताज व अन्य का कहना था कि सड़क पर चलते समय सबसे अधिक परेशानी यातायात पुलिस और नगर निगम के ठेकेदारों द्वारा की जानेवाली अवैध उगाही से होती है। इसके लिए वाहन को रोक कर साइड लगाने की बात करने लगते हैं, वह भी तब जबकि उसमें बच्चे बैठे रहते हैं। नगर निगम से लेकर यातायात के ऐसे नियमों का हवाला देने लगते हैं, जिसे हम कभी सुने भी नहीं होते हैं। अगर नियमों का पालन कराना है तो नियमों के बारे में जागरूक भी करना होगा। मदन प्रसाद, लक्ष्मण राय सहित कई ऑटो और ई-रिक्शा चालकों ने बताया कि निगम के ठेकेदार के कारिंदों का कहना होता है कि बच्चों को लेने जाने से पहले ऑटो स्टैंड में पर्ची कटाओ, तब वाहन लेकर निकलो। ऐसा नहीं करने पर प्रति वाहन 100 से 150 रुपये तक वसूलते हैं। इसकी रसीद मांगने पर वे मारपीट करने पर उतारू हो जाते हैं। यह देखकर छोटे-छोटे बच्चे घबराने लगते हैं। इसके अलावा 12 बजे के बाद सड़कों पर वाहन लेकर निकलने पर भी ये लोग अवैध रकम की मांग करते हैं। सरकार हमारे हित में इनसे छुटकारा दिलाने के उपाय करे। ऑटो और ई-रिक्शा चालकों ने कहा कि इसके अलावा शहर और आसपास के इलाकों के जगह-जगह ऑटो रिक्शा स्टैंड बनाए जाएं, ताकि वहां से बच्चों को पिक एंड ड्रॉप किया जा सके। इससे हमलोग रोज-रोज के जुर्माने से बच सकेंगे। सुनील प्रसाद शाही, राज किशोर पोद्दार, अमीर महतो का कहना था कि किसी तरह की दुर्घटना होने पर उनको बीमा का लाभ नहीं मिल पाता है। इसके लिए सरकार को चाहिए कि वह ऑटो रिक्शा चालक यूनियन के पदाधिकारियों से बात कर ग्रुप और स्वास्थ्य बीमा कम दर वाले प्रीमियम पर कराए। इसके लिए सभी चालक राशि देने को तैयार हो जाएंगे। इससे उनके और उनके परिवार के स्वास्थ्य हितों की भी रक्षा हो सकेगी। साथ ही किसी दुर्घटना में मौत होने पर उनके परिवारवालों को आर्थिक मदद भी हो जाएगी। इसके अलावा यूनियन की ही मदद से शहरी क्षेत्र और जिले के ग्रामीण इलाकों में अलग-अलग जगहों पर शिविर लगाकर आयुष्मान कार्ड और अन्य कल्याणकारी योजनाओं से हमलोगों को जोड़ा जाना चाहिए। कहा कि हमारी जिम्मेवारी महत्वपूर्ण होते हुए भी हमें महत्व नहीं दिया जाना मन को कचोटता है। बोले जिम्मेदार : ऑटो रिक्शा पर स्कूली बच्चों के परिवहन पर रोक की विभाग के स्तर पर कोई आदेश नहीं है। यह हरके जिले के डीएम सहित अन्य पदाधिकारियों के आपसी समन्वय के आधार पर कुछ समय के लिए स्थगित किया गया है। फिलहाल उनसे सख्ती नहीं की जा रही है। निगम के ठेकेदारों द्वारा उगाही मामले में निगम के अधिकारियों से बात की जाएगी। बीमा के प्रस्ताव पर विभाग चर्चा कर रहा है। -कुमार सत्येन्द्र यादव, जिला परिवहन पदाधिकारी, मुजफ्फरपुर
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