बोले मुजफ्फरनगर: बिखरे संगीत को सरगम की दरकार
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संगीत एक ऐसी कला है जो हृदय से निकलकर श्रोताओं के मन को मोह लेती है। जिले में संगीत से जुड़ी प्रतिभाओं को सरकार और प्रशासन से सहयोग नहीं मिलने के कारण समस्याएं आती हैं। कई प्रतिभाएं मंच नहीं मिलने से जिले में ही दम तोड़ देती हैं। संगीत प्रशिक्षण के लिए कोई अकादमी या संगीत विद्यालय नहीं है, न ही संगीत सभागार है। कलाकारों का कहना है कि अगर स्थानीय कलाकारों को प्रोत्साहन और उचित मंच मिले तो वे अपनी प्रतिभा राष्ट्रीय स्तर पर दिखा सकते हैं। --------------- -- शहर में संगीत सभागार नही होने के कारण युवा संगीत प्रशिक्षण से हो रहे वंचित हिन्दुस्तान से बातचीत के दौरान संजय त्यागी और उस्मान ने बताया कि उन लोगों ने कई बार जिला प्रशासन से मांग की है कि जिले में संगीत सभागार की व्यवस्था की जाए, जहां नियमित रूप से अभ्यास और प्रस्तुतियां संगीत कलाकार दे सकें, लेकिन उन्हें हर बार आश्वासन ही मिला है।
यहां के युवा संगीत कलाओं में अधिक रुचि रखते हैं, लेकिन बिना किसी मार्गदर्शन और सभागार के वे अपनी कला को सही दिशा नहीं दे पा रहे हैं। संगीत की दुनिया में आगे बढ़ने के लिए अन्य शहरों का रुख करना पड़ रहा है, हालांकि कुछ की आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण वे बड़े शहरों में रहने और प्रशिक्षण शुल्क वहन करने में सक्षम नहीं है। --------------- -- सुविधाएं नहीं मिलने के कारण दम तोड़ रहा संगीत संगीत से जुड़े लोग समाज की कुरीतियों पर अपनी कला के माध्यम से प्रहार करते हैं। लोगों को सही रास्ते पर चलने का संदेश देते हैं। सरकार एवं जिला प्रशासन द्वारा सहयोग नहीं मिलने के कारण जिले के कलाकार निराश हैं। सरकार यदि कलाकारों की कला को निखारने में मदद करे, उन्हें मंच दे तो युवाओं को रोजगार के साथ-साथ उनकी मंजिल मिलने में भी आसानी हो सकती है। अपने संगीत के भरोसे ही कलाकार अपने परिवार का भरण पोषण करते है, लेकिन सरकार से सुविधाएं नहीं मिलने के कारण उनका हुनर दम तोड़ देता है। आपके अपने अखबार ‘हिन्दुस्तान से बातचीत के दौरान संगीतकार अरशद खान ने कहा कि संगीत एकेडमी चला रहे प्रशिक्षकों को सरकार की तरफ से हर माह मानदेय मिलना चाहिए, जिससे वे आर्थिक रूप से परेशानियों का सामना न करें। ---------------- -- संगीतकार छात्रों को मिले बेहतर मंच तो सपने हो साकार संगीत इंस्टीट्यूट के अभाव में जिले में मौजूद संगीत प्रतिभाएं दबकर रह जाती हैं। हालांकि शहर में 10 से अधिक संगीत एकेडमी हैं, लेकिन सरकार द्वारा संगीत प्रतियोगिताओं का आयोजन कराने के लिए सभागार का निर्माण नहीं कराया गया है, जिससे संगीत की तैयारी कर रहे छात्र अपने कौशल को बेहतर कर सकें। संगीत को बढ़ावा देने के लिए कॉलेजों में भी संगीत के विषय को अनिवार्य करना चाहिए। सारा खान ने बताया कि संगीत के प्रशिक्षकों के अभाव के चलते हम लोगों को पर्याप्त प्रशिक्षण नहीं मिल पा रहा है, जिससे काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। जिले में कोई भी सरकारी संगीत अकादमी या संगीत इंस्टीट्यूट नहीं है, जिससे आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों के छात्र तैयारी कर अपने सपनों को साकार कर सकें। यहीं कारण है की जिले में मौजूद कलाकारों की प्रतिभाएं निरंतर दम तोड़ रही हैं । शहर में कुछ ही लोग हैं जो बच्चों को संगीत की शिक्षा छोटे मोटे स्तर पर देते हैं पर यह नाकाफी है l ग्रामीण अंचलों से लेकर शहरी क्षेत्र में संसाधनों के अभाव में संगीत कलाकार जैसे तैसे करके सुरताल लगा रहे हैं। प्रशिक्षण केंद्र नहीं होने के कारण जिले में संगीत प्रतियोगिताएं भी नहीं होती है। हालांकि कुछ आर्थिक रूप से सक्षम लोग अपने बच्चों को संगीत की शिक्षा के लिए बड़े-बड़े महानगरों में भेज देते हैं। और वहां से बड़े कंपटीशन में प्रतिभाग कर अपनी प्रतिभा को तरासने का काम करते हैं। शासन स्तर से कई बार संगीत प्रशिक्षण के लिए मांग की गई लेकिन कोई सुनवाई नहीं की गई। जिले में संगीत में रूचि रखने वाले छात्रों ने कहां की सरकार की तरफ से बेहतर भविष्य के लिए संगीत विद्यालय खोला जाना चाहिए। जिले के अधिकांश कॉलेजों में संगीत और कला अध्यापकों का अभाव होने के कारण संगीत विषय की शिक्षा नहीं दी जाती है l कुछ विद्यालयों में विषय के रूप में संगीत पढ़ाया जाता है l लेकिन वहां भी नियमित शिक्षक की तैनाती न होने के कारण विद्यालय प्रबंधन निजी स्तर से जैसे तैसे काम चला रहे हैं। ----------------- -- सुविधाओं के आभाव में संगीत शिक्षक आर्थिक मार झेलने को है मजबूर ‘हिन्दुस्तान से बातचीत में संगीत शिक्षकों ने कहा की जिले में कोई संगीत सभागार और सरकारी प्रशिक्षण संस्थान नहीं होने की कमी कलाकारों को खलती है। जिले में ऐसे भी संगीत कलाकार हैं, जो खुद के दम पर अपनी पहचान बना चुके हैं। जिले में संगीत की तैयारी कर रहे युवाओं और कलाकारों का कहना है कि, स्थानीय संगीतकार वर्षों से इस उम्मीद में काम कर रहे हैं कि शायद कभी यहां भी एक स्थाई संगीत अकादमी की स्थापना हो सकेगी। आज भी उन्हें मंच के अभाव में स्कूलों, मंदिर परिसरों में कार्यक्रम करने पड़ते हैं। न तो नियमित अभ्यास के लिए कोई जगह है और न ही दर्शकों के लिए व्यवस्थित व्यवस्था ही की गई है। जिस कारण जैसे तैसे करके संगीत के छात्र अपनी कला को प्रदर्शित तो कर रहे, लेकिन आर्थिक तंगी का सामना भी इन कलाकारों को करना पड़ रहा है। ----------------- -- समस्याएं और सुझाव -- 1. शहर में संगीत सभागार नहीं होने के कारण युवाओं को संगीत सिखने में काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है, जिस कारण युवा बेहतर प्रशिक्षण से हो रहे वंचित हो रहे हैं। 2. सरकार व प्रशासन की तरफ से सुविधा नहीं मिलने के कारण संगीत के छात्र अपने कौशल को बेहतर करने से वंचित हो रहे है। जिस कारण संगीत कलाकार आर्थिक रूप से परेशानी का सामना कर रहे हैं। 3. शहर में आयोजित होने वाले संगीत कार्यक्रमों में जिले के कलाकारों को नजरअंदाज कर बाहरी कलाकारों को प्राथमिकता दी जाती है, जिससे कलाकारों का मनोबल गिरता है। 4. सरकार से योजनाओं का लाभ व वित्तिय मदद नहीं मिलने के कारण संगीत कलाकारों को काफी परेशानी का सामना कर रहे है। जिस कारण कलाकार अन्य काम तलाशने को मजबूर हो रहे हैं। -- सुझाव 1. शहर में आयोजित होने वाले संगीत कार्यक्रमों में जिले के कलाकारों को कलाकारों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए, जिससे कलाकारों का मनोबल बढ़े और आर्थिक लाभ मिल सके। 2. सरकार द्वारा संगीतकारों के हित में योजनाएं चलाकर प्राथमिकता के साथ लाभ देना चाहिए, जिससे कलाकारों को वित्तिय मदद के साथ करियर बनाने का मौका मिल सके। 3. सरकार व प्रशासन को संगीतकारों का कौशल बेहतर करने के लिए संगीत सभागार खोलने के साथ ही समय-समय पर प्रतियोगिताओं का आयोजन भी कराना चाहिए। 4. शहर में संगीत सभागार खोलने के साथ ही अनुभवी प्रशिक्षकों की नियुक्ति की जानी चाहिए, जिससे संगीतकारों को बेहतर प्रशिक्षण से वंचित ना रहना पड़े। ------------------- -- बोले सिंगर इंडियल आइडल, 13 कंटेस्टेंट रहने का मौका मिला है, लेकिन कड़ी मेहनत करके संगीतकार अच्छे गाने को रिलीज करते है। सरकार को संगीतकारों के हित में कल्याणकारी योजनाएं चलानी चाहिए। संगीत सभागार का निर्माण भी करवाना चाहिए, जिससे युवा कलाकार संगीत के क्षेत्र में सफलता हासिल कर सकें। ताबिश अली, इंडियल आइडल, 13 कंटेस्टेंट ---------------- संगीतकारों के लिए सरकार को प्रशिक्षण केन्द्र खोलने चाहिए, जिससे कलाकार अपने हुनर को निखार सकें। हालांकि संगीतकारों को खुद से आत्मनिर्भर बनकर तैयारी करनी चाहिए और सफलता हासिल करने के लिए अपने लक्ष्य को दृढ़ रखना चाहिए। जैद अली, सारेगामापा टॉप 4 ---------------- -- सुने हमारी बात शहर में क्रिएशन ग्रुप द्वारा संगीत में रूची रखने वाले छात्रों को निशुल्क प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है, संगीत को बढ़ावा देने के लिए सरकार को संगीत अकादमी के संचालन के लिए कम दरों ऋण उपलब्ध कराने चाहिए। वहीं संगीत प्रशिक्षकों को हर माह मानदेय दिया जाना चाहिए। अरशद खान गुड्डू, संस्थापक क्रिएशन ग्रुप --------------- संगीत ऐसी साधना है जो हृदय से निकलकर श्रोताओं के दिल व दिमाग पर सीधा अपना असर डालती है। यह कला इंसान में स्वत: ही जागृत होती है। संगीत को बढ़ावा देने के लिए सरकार व प्रशासन को शहर में संगीत सभागार का निर्माण कराया जाना चाहिए, जिससे संगीत के क्षेत्र में युवा अपने कौशल को बेहतर कर सकें। दिलीप कुमार मिश्रा, निदेशक सरिता म्यूजिक एकेडमी, मुजफ्फरनगर --------------- जिले में कोई संगीत सभागार नहीं होने के कारण संगीत कौशल को बेहतर करने का मौका नहीं मिल पाता है, जिस कारण संगीतकार छोटे कार्यक्रमों तक ही सिमट कर रह गए हैं। उस्मान राणा --------------- संगीतकारों को सरकार की तरफ से वित्तिय सहायता नहीं मिलने के कारण काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है, जिस कारण अच्छे प्लेटफार्म पर प्रतिभा दिखाने से वंचित रहना पड़ता है। सदाकत अली --------------- प्रशासन की तरफ से युवा संगीतकारों के बेहतर प्रशिक्षण के लिए कार्यशालाओं का आयोजन कराना चाहिए, जिससे संगीतकार अपनी प्रतिभा को राष्ट्रीय स्तर तक पहुंचा सके। सारा खान --------------- शहर में संगीतका वर्षों से इस उम्मीद में काम कर रहे हैं कि शायद कभी यहां भी एक स्थाई संगीत अकादमी की स्थापना हो सकेगी, जिससे उनका बेहतर भविष्य निर्धरित हो सके। संजय त्यागी --------------- शहर में विभिन्न स्थानों पर होने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रमों में स्थानीय कलाकारों को प्रमुखता के साथ संगीत प्रस्तुत करने के अवसर प्रदान करने चाहिए, जिससे कलाकारों का मनोबल बढ़े। आयशा राजपूत --------------- संगीत को बढ़ावा देने के लिए सरकार व प्रशासन को शहर में सभागार का निर्माण करवाना चाहिए, जिससे आर्थिक रूप से कमजोर संगीतकार आसानी से अपने कौशल को बेहतर कर सकें। आयशा सिंघानिया --------------- संगीत के क्षेत्र में कुछ बेहतर करने की अभिलाषा हमेशा से रही है, लेकिन सरकार की तरफ से आर्थिक लाभ नहीं मिलने के कारण करियर बनाने में काफी मुश्किलें सामने आती हैं। ममता सिंह --------------- जिला प्रशासन से कई बार संगीत सभागार बनाए जाने की मांग कर चुके है, लेकिन सभागार का निर्माण नहीं होने के कारण संगीत कलाकार नियमित रूप से अभ्यास और प्रस्तुति देने से वंचित हो रहे है। वंशिका --------------- प्रशासन द्वारा संगीत को बढ़ावा देने के लिए समय-समय पर संगीत प्रतियोगिताओं का आयोजन कराना चाहिए, जिससे संगीतकारों का कौशल बढ़े और बेहतर स्वर के साथ प्रस्तुति दे सकें। रिया --------------- आर्थिक रूप से कमजोर संगीत छात्रों को सरकार द्वारा छात्रवृत्ति योजना के अनुसार ही आर्थिक लाभ देना चाहिए, जिससे छात्र संगीत के हुनर को निखार सकें। अक्षिता --------------- सुविधाओं के आभाव में संगीतकार आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं, संगीत को बढ़ावा देने के लिए सरकार को कल्याणकारी योजनाएं चलाकर प्रमुखता के साथ लाभ देना चाहिए। सुविध कांत --------------- शहर में संगीत प्रतियोगिता कराने के लिए बैंकट हॉल बुक करने पड़ते है, जिस कारण आर्थिक रूप से संगीतकारों को तंगी का सामनाा करना पड़ता है। आयुष
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