दूसरे राज्यों में साइबर शातिरों की गिरफ्तारी के लिए भेजें टीम : डीआईजी
मुजफ्फरपुर में साइबर अपराधियों की गिरफ्तारी नहीं होने से 150 से अधिक मामलों की जांच पेंडिंग है। डीआईजी चंदन कुशवाहा ने साइबर थाने का निरीक्षण करते हुए अधिकारियों को निर्देश दिए कि सभी मामले निष्पादित...

मुजफ्फरपुर, प्रमुख संवाददाता। चिह्नित हो चुक साइबर अपराधियों की गिरफ्तारी नहीं होने से साइबर फ्रॉड के 150 से अधिक केस पेंडिंग हैं। यह खुलासा बुधवार को तिरहुत रेंज के डीआईजी चंदन कुशवाहा की समीक्षा में सामने आई है। डीआईजी ने साइबर थाने का निरीक्षण करने के साथ समीक्षा की। इससे पहले मंगलवार को आर्थिक अपराध इकाई के डीआईजी साइबर संजय कुमार ने समीक्षा की थी। डीआईजी ने दूसरे राज्यों के अपराधियों की गिरफ्तारी और पहचान के लिए टीम बनाने का निर्देश एसएसपी सुशील कुमार को दिया है। बताया कि जिस राज्य में टीम जाएगी, वहां के सभी मामलों को निष्पादित करके ही लौटेगी।
डीआईजी ने साइबर थाने के सभी आईओ व पदाधिकारियों से पूछताछ की। इसके बाद उन्होंने एसएसपी को सभी पदाधिकारियों की ट्रेनिंग कराने का निर्देश दिया। बताया कि साइबर केस की जांच के लिए पदाधिकारियों को पहले खुद साइबर जानकारी रखनी होगी। मुजफ्फरपुर में 150 करोड़ के जीएसटी के तीन अलग-अलग केस डीआईजी के समीक्षा में सामने आए। मोबाइल मैकेनिक के नाम पर 80 करोड़ के जीएसटी घोटाला में अब तक कार्रवाई नहीं होने पर सवाल उठा। इसके बाद दो अन्य केस भी हुए, उसमें भी एफआईआर से आगे साइबर थाने की पुलिस नहीं बढ़ी। अहियापुर के व्यवसायी को डिजिटल अरेस्ट कर 90 लाख रुपये की ठगी के केस में भी पुलिस ने एफआईआर से आगे की जांच पेंडिंग छोड़ दी। इसमें बैंक खातों की जांच कर अपराधियों को चिह्नित करने का निर्देश डीआईजी ने दिया है और महाराष्ट्र भेजकर सभी खातों की जांच कराने के निर्देश दिए हैं। इसी तरह डिजिटल अरेस्ट, शेयर कारोबार, क्रिप्टो करेंसी, वर्क फ्रॉम होम के नाम पर ठगी के दर्जनों केस पेंडिंग देख डीआईजी ने नाराजगी जाहिर की। निर्देश दिया कि जिस बड़े मामले में छानबीन आगे नहीं बढ़ पा रही है उसमें आर्थिक अपराध इकाई के साइबर सेल से मदद लें। समीक्षा के दौरान एसएसपी के अलावा डीएसपी साइबर हिमांशु कुमार व कई आईओ मौजूद थे।
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