15 हजार दुकानों में राशन कार्ड टैगिंग में फर्जीवाड़ा, जांच के आदेश
बिहार के मुजफ्फरपुर में सरकारी राशन की दुकानों पर राशन कार्ड टैगिंग में बड़ा फर्जीवाड़ा हुआ है। 15,000 दुकानों में यह धोखाधड़ी पाई गई है। खाद्य एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग ने सभी जिलों में जांच के आदेश...

मुजफ्फरपुर, कुंदन कुमार। सरकारी राशन की दुकानों से लभार्थियों के राशन कार्ड की टैगिंग में बड़ा फर्जीवाड़ा पकड़ में आया है। विभिन्न स्रोतों से मिली जानकारी और विभागीय समीक्षा में मामला साबित होने के बाद सभी जिलों में एक साथ जांच के आदेश दिये गए हैं। खाद्य एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग ने सभी डीएम को एसडीओ से मामले की जांच कराने और जांच रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई कर प्रतिवेदन देने को कहा है। सूबे में 15 हजार दुकानों में राशन कार्ड टैगिंग में फर्जीवाड़ा सामने आया है। सूबे की राशन दुकानों से राशन कार्ड टैगिंग में फर्जीवाड़े का यह खेल एमओ के स्तर से किये जाने की आशंका है।
संबंधित एमओ की अनुशंसा के आधार पर ही राशन दुकानों से राशन कार्ड की टैगिंग की जाती है। विभाग के विशेष सचिव उपेंद्र कुमार ने इस संबंध में सख्त आदेश जारी किये हैं। उन्होंने कहा है कि दुकानों से राशन कार्ड की टैगिंग में खेल का नुकसान लाभार्थियों को हो रहा है। उन्हें राशन के लिए बहुत दूर की यात्रा करनी पड़ रही है और दुकानों को समय पर पर्याप्त आवंटन नहीं मिल रहा है। इन समस्याओं के कारण बड़ी संख्या में कार्डधारी राशन से वंचित रह गए हैं। विशेष सचिव ने इस अनियमितता की जांच संबंधित एसडीओ से कराकर कार्रवाई रिपोर्ट मांगी है। उन्होंने कहा है कि किसी भी परिस्थिति में एक दुकान से एक बार में कम से कम 250 राशन कार्ड की टैगिंग की जाए। इससे कम राशन कार्ड की टैगिंग विशेष परिस्थिति में ही और वह भी मुख्यालय की अनुमति के बाद ही की जाये। सौ से कम टैगिंग वाले मामलों की होगी जांच विभाग ने डीएम से कहा है कि सूबे के सभी 38 जिलों में 758 दुकानें ऐसी मिली हैं, जहां राशन कार्ड की टैगिंग सौ से भी कम संख्या में की गई है। 3526 दुकानें ऐसी पायी गई हैं, जहां टैगिंग की संख्या 3526 पायी गई है, वहीं 9693 दुकानों में टैगिंग की संख्या 250 से कम पायी गई है। निर्धारित संख्या से कम टैगिंग वाले सभी मामलों को संदिग्ध की श्रेणी में मानते हुए जांच के आदेश दिए हैं। सौ से कम कार्ड की टैगिंग वाली दुकानें विशेष सचिव ने सौ राशन कार्ड से कम टैगिंग वाली दुकानों की जो सूची जारी की है, उनमें मुजफ्फरपुर की 43 और पटना की 79 दुकानें शामिल हैं। इनके अलावा अररिया की 12, अरवल की एक, औरंगाबाद की 19, बांका की 10, बेगूसराय की 12, भागलपुर की 22, भोजपुर की 24, बक्सर की 11, दरभंगा की 29, गया की 42, गोपालगंज की 20, जमुई की चार, जहानाबाद की सात, कैमूर की 14, कटिहार की 12, खगड़िया की तीन, लखीसराय की 10, मधेपुरा की आठ, मधुबनी की 40, मुंगेर की पांच, नालंदा की 19, नवादा की आठ, पश्चिम चंपारण की 46, पूर्वी चंपारण की 34, पूर्णिया की 15, रोहतास की 21, सहरसा की आठ, समस्तीपुर की 41, सारण की 38, शेखपुरा की चार, शिवहर की चार, सीतामढ़ी की 12, सिवान की 15, सुपौल की 28 और वैशाली की 22 दुकानें शामिल हैं।
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