समय पर नहीं दे रहे सर्टिफिकेट, विवि की सुस्ती से बर्बाद हो रहा विद्यार्थियों का साल
बीआरए बिहार विश्वविद्यालय के विद्यार्थी सर्टिफिकेट और डिग्री प्राप्त करने में कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं। छात्रों का आरोप है कि उन्हें एक ही समस्या के लिए बार-बार विश्वविद्यालय आना पड़ता है, जबकि...

मुजफ्फरपुर। विद्यार्थी घर से दौ सौ किमी दूर बस के धक्के खाते हुए चिलचिलाती धूप में विश्वविद्यालय पहुंचते हैं। एक सेक्शन से दूसरे सेक्शन, सीढ़ियां चढ़ते-उतरते दम निकल जाता है, लेकिन विवि के कर्मी दो टूक कह देते हैं कि अभी काम नहीं होगा, अगले हफ्ते आइएगा। यह दर्द है बीआरएबीयू के छात्र-छात्राओं का। विश्वविद्यालय का दायरा छह जिलों तक है। विद्यार्थियों का कहना है कि हमलोग दूर-दूर से सर्टिफिकेट और डिग्रियां लेने आते हैं, लेकिन काम कम तारीखें ज्यादा मिलती हैं। विवि की गलती से पेंडिंग हुआ रिजल्ट के लिए भी हमें ही हफ्तों भागदौड़ करनी पड़ती है। विवि के गेट पर सक्रिय बिचौलिए जल्दी काम कराने के लिए ज्यादा पैसे मांगते हैं। कई पाठ्यक्रमों का सत्र विलंब है। इन सब के कारण हमलोगों का साल बर्बाद हो रहा है। विवि प्रशासन को हमारी समस्याओं पर समाधान करना चाहिए।
बीआरएबीयू में पढ़ने वाले पांच लाख विद्यार्थियों में से सैकड़ों प्रतिदिन एक ही तरह की समस्या लेकर आ रहे हैं। इनमें सबसे ज्यादा सर्टिफिकेट और डिग्री का समय पर नहीं मिलना, बिचौलियों द्वारा पैसे के लिए घेर लेना शामिल है। बिहार विवि का दायरा छह जिलों तक है। छात्र-छात्राओं का कहना है कि हमलोग 200 किमी दूर से विवि आते हैं और खाली हाथ लौट जाते हैं। विश्वविद्यालय में एक हफ्ते बाद आने को कहा जाता है। विद्यार्थियों का आरोप है कि उन्हें कई बार कुछ बिचौलिये गेट पर ही घेर लेते हैं। जल्दी काम कराने के एवज में 1000-2000 रुपये की मांग करते हैं। विवि की कार्यसंस्कृति से ऊब कर इन बिचौलियों के चक्कर में फंस जाते हैं। बिहार विवि में हर दिन परीक्षा विभाग से लेकर डिग्री सेक्शन तक और नीचे बने काउंटर पर छात्रों की कतार लगी रहती है। छात्रों का दर्द है कि काउंटर पर जाने पर ऊपर परीक्षा विभाग जाने को कहा जाता है और परीक्षा विभाग जाने पर नीचे काउंटर पर। इसी भागदौड़ में दिन बीत जाता है, लेकिन काम नहीं हो पाता है।
पार्ट थ्री का नहीं चढ़ा अंक, काट रहे चक्कर :
छात्र बंटी सिंह ने बताया कि पार्ट थ्री के अंकपत्र पर पार्ट वन के अंक नहीं चढ़े हैं। इसे लेकर विवि के चक्कर काट रहा हूं। विवि ने पार्ट वन की विशेष परीक्षा ली थी। पांच सत्रों की यह विशेष परीक्षा हुई थी। परीक्षा का रिजल्ट भी आ गया, लेकिन मेरी तरह हजारों विद्यार्थियों के पार्ट थ्री के अंकपत्र पर पार्ट वन के अंक नहीं चढ़े हैं। छात्रों ने बताया कि विवि में मूल प्रमाण पत्र लेने के लिए वर्षों पहले आवेदन किया, लेकिन अब तक नहीं बना। अब नोटिस दिया गया है कि सारी डिग्रियां कॉलेज में मिलेंगी। कॉलेज में डिग्री के लिए जाते हैं तो वहां से बताया जाता है कि विवि से डिग्री नहीं आई है।
चार साल से नहीं मिला माइग्रेशन :
अजीत यादव का कहना है कि वह सत्र 2018-21 का छात्र है। कई वर्षों से माइग्रेशन के लिए दौड़ रहा है। इसके लिए उसने पैसे भी जमा करा दिये हैं, लेकिन अब तक माइग्रेशन नहीं मिला है। बिचौलिये विवि गेट पर 600 रुपये की मांग करते हैं। वहीं, आरक्षित कोटे के छात्रों का कहना है कि पीजी दाखिले में भी उनके साथ धांधली हुई। कोटे में आने के बाद भी उनका नाम मेरिट लिस्ट में नहीं आया। जब वे ऑनस्पॉट एडमिशन के लिए गये तो वहां भी बताया गया कि सीटें फुल हो गई हैं। छात्रों का कहना है कि पीजी में दाखिला नहीं होने से हमारा एक साल बर्बाद हो गया।
स्नातक का सत्र हो नियमित :
बिहार विश्वविद्यालय के छात्र आदर्श राज का कहना है कि स्नातक का सत्र नियमित नहीं है। स्नातक में सीबीसीएस लागू होने के बाद भी समय पर परीक्षाएं नहीं हो रही हैं। अभी चौथे सेमेस्टर का फॉर्म भरा जाना चाहिए, लेकिन अभी स्नातक तीसरे सेमेस्टर की ही परीक्षा हो रही है। परीक्षा के बाद रिजल्ट जारी होने में भी एक महीने का वक्त लग जाएगा। विवि को परीक्षा और रिजल्ट दोनों में सुधार करना होगा, ताकि छात्र-छात्राओं का भविष्य सुरक्षित रहे।
मुद्दे ये भी :
कब होगी पीएचडी की प्रवेश परीक्षा :
1. बीआरएबीयू में पीएचडी प्रवेश परीक्षा 2023 कब होगी, यह पता नहीं है। शोध लिए आवेदन करने वाले छात्रों का कहना है कि दूसरे विश्वविद्यालयों में पैट 2023 की परीक्षा की तारीख भी जारी कर दी गई, लेकिन हमलोग आवेदन करने के बाद एक साल से परीक्षा के इंतजार में हैं। विवि प्रशासन की तरफ से कुछ बताया भी नहीं जा रहा है कि परीक्षा कब होगी। कुछ दिन पहले विवि प्रशासन की तरफ से जानकारी मिली थी कि पैट 2022 के रिजल्ट के बाद पैट 2023 के लिए पोर्टल फिर से खोला जायेगा और उसके बाद परीक्षा होगी। लेकिन, अब तक इस बारे में कोई पहल नहीं की गई है। पैट 2023 के अलावा पैट 2021 के छात्रों की पीजीआरसी भी नहीं हुई है। पैट 2023 में कितनी सीटों पर परीक्षा होगी, यह भी विवि की तरफ से नहीं बताया जा रहा है। शोध करने वाले छात्रों का साल विवि प्रशासन की उदासीनता के कारण खराब हो रहा है। छात्रों का कहना है कि विवि में पैट का सत्र पहले से ही देर चल रहा है।
हॉस्टल बंद, कहां जाएं बाहर के छात्र :
2. छात्रों का कहना है कि बिहार विवि में स्नातक के विद्यार्थियों के लिए हॉस्टल का इंतजाम नहीं है। एक हॉस्टल एलएस कॉलेज में है, लेकिन वह भी बंद पड़ा है। पीजी हॉस्टल में भी सभी को कमरे आवंटित नहीं होते हैं। छात्रों के अलावा छात्राओं के लिए बने दो हॉस्टल चालू नहीं हैं। ऐसे में दूर-दराज से आने वाले छात्र कहां जाएं और कैसे रहने-खाने का इंतजाम करें। विवि प्रशासन को इसपर विचार करना चाहिए और जो हॉस्टल बंद पड़े हैं, उन्हें खुलवाने की कोशिश करनी चाहिए।
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