गेहूं खरीद का समय खत्म, मात्र 1.28 फीसदी ही हो सकी खरीदारी
नवादा, हिन्दुस्तान संवाददाता।नवादा जिले में गेहूं अधिप्राप्ति का हाल बेहद बुरा रहा। अधिप्राप्ति का समय रविवार को खत्म हो गया। आखिरी दिन तक महज 45.60 एमटी ही गेहूं की खरीदारी हो सकी।

नवादा, हिन्दुस्तान संवाददाता। नवादा जिले में गेहूं अधिप्राप्ति का हाल बेहद बुरा रहा। अधिप्राप्ति का समय रविवार को खत्म हो गया। आखिरी दिन तक महज 45.60 एमटी ही गेहूं की खरीदारी हो सकी। जिले में 3558 एमटी गेहूं खरीदारी का लक्ष्य निर्धारित था लेकिन नवादा जिला लक्ष्य से कोसों दूर रह गया। यह समग्र रूप से लक्ष्य का 1.28 फीसदी ही रह गया। निराशाजनक यह है कि सिर्फ 57 किसानों ने ही समितियों के माध्यम से अपने गेहूं बेचने में दिलचस्पी दिखाई जबकि कई समितियों ने तो खरीदारी की शुरुआत तक नहीं की। 173 चयनित समितियों में शामिल पैक्स और व्यापार मंडल में से सिर्फ 54 समितियों ने ही खरीदारी की।
इस प्रकार, जिले के 119 समितियों ने गेहूं अधिप्राप्ति में भागीदारी तक नहीं निभाई। निराशाजनक इस लिहाज से भी रहा कि सहकारिता विभाग द्वारा गेहूं अधिप्राप्ति का लक्ष्य पाने के लिए कई प्रकार की सुविधाएं दी गयीं लेकिन हर प्रयास नाकाफी रहा। चूंकि बाजार में समर्थन मूल्य से अधिक दाम मिल रहे थे, इसलिए जिले के किसान समितियों तक पहुंच ही नहीं सके। बाजार में बेहतर मूल्य मिल जाने के कारण किसानों ने व्यापारियों के हाथों ही अपना फसल बेचना मुनासिब समझा। बाजार की चुनौती रही लक्ष्य पाने के विरुद्ध 01 अप्रैल से शुरू हो कर 15 जून तक इस वर्ष गेहूं की सरकारी खरीद हुई। सहकारिता विभाग ने 150 रुपए प्रति क्विंटल तक समर्थन मूल्य बढ़ाने की घोषणा की थी ताकि किसान सरकारी स्तर पर गेहूं की खरीदारी करने में दिलचस्पी ले सकें लेकिन ऐसा बिल्कुल भी नहीं हुआ। इस वर्ष जिले में 61 हजार 90.156 हेक्टेयर में गेहूं का आच्छादन हुआ था। उत्पादन बेहतर रहने के कारण गेहूं की अधिप्राप्ति बेहतर रहने की उम्मीद सहकारिता विभाग को थी लेकिन समर्थन मूल्य 2425 रुपए प्रति क्विंटल रहने की तुलना में बाजार में 26-27 सौ रुपए प्रति क्विंटल का दर रहना किसानों को ज्यादा पसंद आया। क्रय के आरंभ में एमएसपी को बढ़ाए जाने के कारण गत वर्ष की तुलना में अधिक किसानों ने रजिस्ट्रेशन कराया था। इस वर्ष जिले के 517 किसानों ने गेहूं विक्रय के लिए अपना निबंधन कराया था जबकि गत वर्ष पूरे गेहूं क्रय के दौरान सिर्फ 387 किसानों ने अपना निबंधन कराया था। इस लिहाज से इस वर्ष किसानों ने थोड़ी रुचि दिखाई लेकिन खरीदारी को आखिरकार गति नहीं ही मिल सकी। गेहूं क्रय कर 22 जून तक राज्य खाद्य निगम को हर हाल में आपूर्ति कर देना भी निर्धारित किया गया था। इस बार अच्छी खबर यह थी कि किसानों से गेहूं खरीद की कोई सीमा तय नहीं की गयी थी। यानी किसान जितना चाहें, उतना गेहूं बेच सकते थे। साथ ही रैयत और गैर रैयत किसानों से खरीदारी की कोई अधिकतम सीमा तय नहीं की गयी थी। एक और बड़ी सुविधा यह दी गयी थी कि गेहूं बेचने वाले किसानों के खाते में उसी दिन राशि हस्तांतरण कर दी जानी थी। यह सारे बदलाव और सहूलियत विगत वर्ष में गेहूं क्रय अभियान फ्लॉप होने के बाद लिए गए थे ताकि गेहूं क्रय अभियान महज एक औपचारिकता बन कर न रह जाए। लेकिन किसी भी सुविधा का फायदा नहीं ही हो सका और गेहूं की अधिप्राप्ति नगण्य ही रह गयी। ---------------------- गेहूं क्रय की बढ़ाई गई कीमत, फिर भी रह गयी बाजार मूल्य से खींचतान नवादा। सहकारिता विभाग द्वारा इस साल गेहूं के न्यूनतम समर्थन मूल्य को 2275 रुपये प्रति क्विंटल से बढ़ाकर 2425 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया था। पिछले साल गेहूं का रेट 2275 रुपए प्रति क्विंटल तय किया गया था। दाम में वृद्धि का लाभ तब ही किसानों को मिलता, लेकिन बाजार भाव तुलनात्मक रूप से एमएसपी से अधिक रह गया और इस वर्ष भी गेहूं क्रय महज एक खानापूर्ति ही साबित हुआ। डीएम के निर्देशन में पूरी खरीद को लेकर पारदर्शिता रही लेकिन हासिल नगण्य ही रही। ----------------- वर्जन : जिले में धान क्रय की तर्ज पर गेहूं क्रय पहली अप्रैल से शुरू हुआ और 15 जून तक चला। 3558 एमटी गेहूं खरीद का लक्ष्य इस रबी विपणन वर्ष में तय किया गया था। एमएसपी भी 150 रुपए प्रति क्विंटल अधिक निर्धारित था। खरीदारी और भुगतान की प्रक्रिया काफी सरल कर दी गई थी ताकि किसानों को कोई परेशानी न हो। लेकिन बाजार मूल्य अधिक रहने से गेहूं क्रय पर प्रतिकूल असर पड़ गया। -संतोष कुमार, जिला सहकारिता पदाधिकारी, नवादा।
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