मजिस्ट्रेट और दारोगा की गिरफ्तारी का आदेश, इस मामले कोर्ट से गैर जमनती वारंट जारी
- मादक पदार्थों की तस्करी के मामले में दोनों पदाधिकारी कोर्ट में गवाही के लिए नहीं आ रहे हैं। इसी वजह से वारंट जारी कर गिरफ्तारी का आदेश दिया गया है।

बिहार के मुजफ्फरपुर कोर्ट ने एक मजिस्ट्रेट और एक दारोगा की गिरफ्तारी का आदेश जारी किया है। दोनों मादक पदार्थ तस्करी के दो अलग-अलग मामलों में गवाही के लिए कोर्ट में हाजिर नहीं हो रहे हैं। एनडीपीएस कोर्ट -2 के न्यायाधीश नरेन्द्र पाल सिंह ने मजिस्ट्रेट सह प्रखंड आपूर्ति अधिकारी मुशहरी कमलेश कुमार और अहियापुर के तत्कालीन दारोगा दीपक कुमार पर गैरजमानतीय वारंट जारी किया है। कोर्ट ने मुजफ्फरपुर पुलिस को दोनों को गिरफ्तार कर कोर्ट में हाजिर कराने का आदेश दिया है।
नगर पुलिस ने छाता बाजार स्थित दीपराज वर्णमाला की किराना दुकान पर 23 सितम्बर 2023 को मजिस्ट्रेट कमलेश कुमार के नेतृत्व में छापेमारी की थी। किराना दुकान से 67 किलो डूडा अफीम जब्त की गई थी। मामले छाता बाजार निवासी किराना कारोबारी दीपराज वर्णमाला, नवीनचंद्र लाल, हिमांशु, बालूघाट के विजय सहनी व गया के मुकेश कुमार को आरोपित बनाया गया था। इस मामले में गवाही के लिए मजिस्ट्रेट सह प्रखंड आपूर्ति पदाधिकारी कमलेश कुमार को गवाही देने नहीं आ रहे हैं।
दूसरा मामला स्मैक की तस्करी से जुड़ा है। स्मैक के साथ तस्कर की गिरफ्तारी मामले में आईओ दीपक कुमार न्यायालय में गवाही के लिए नहीं आ रहे हैं। जिसके लिए उनकी गिरफ्तारी का आदेश दिया गया है। दोनों का ट्रांसफर होने की बात बताई जा रही है।
कानून के जानकारों कहना है कि एनडीपीएस जैसे गंभीर मामलों में भी अधिकारी गवाही के लिए कोर्ट नहीं आते। इस वजह से एक ओर न्यायिक प्रक्रिया की रफ्तार पर ब्रक लगता है तो दूसरी ओर आरोपियों को इसका लाभ मिलता है। कई बार अंदरूनी तौर पर मिलीगत भी रहती है। अभियुक्त को लाभ पहुंचाने के लिए टाल मटोल की नीति अपनाई जाती है।