Patna High Court Denies Relief to Medical College Students in Exam Cheating Case खुद की जगह दूसरे को परीक्षा में बैठाने वाले मेडिकल छात्र को राहत नहीं , Patna Hindi News - Hindustan
Hindi NewsBihar NewsPatna NewsPatna High Court Denies Relief to Medical College Students in Exam Cheating Case

खुद की जगह दूसरे को परीक्षा में बैठाने वाले मेडिकल छात्र को राहत नहीं

पटना हाईकोर्ट ने सरकारी मेडिकल कॉलेज के छात्रों को परीक्षा में नकल करने के मामले में राहत देने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने स्वास्थ्य विभाग और आर्यभट् ज्ञान विवि को हलफनामा दायर करने का आदेश दिया।...

Newswrap हिन्दुस्तान, पटनाMon, 2 June 2025 07:24 PM
share Share
Follow Us on
खुद की जगह दूसरे को परीक्षा में बैठाने वाले मेडिकल छात्र को राहत नहीं

अपनी जगह किसी दूसरे छात्रों से परीक्षा दिलाने के मामले में सरकारी मेडिकल कॉलेज के छात्रों को फिलहाल पटना हाईकोर्ट से राहत नहीं मिली। कोर्ट ने इस मामले में स्वास्थ्य विभाग और आर्यभट् ज्ञान विवि को जवाबी हलफनामा दायर करने का आदेश दिया। कोर्ट ने 4 जून से होने वाली परीक्षा में शामिल होने की अनुमति देने से इनकार कर दिया। ग्रीष्मकालीन न्यायाधीश न्यायमूर्ति पार्थ सारथी की एकलपीठ ने अरविंद कुमार मेहता की ओर से दायर अर्जी पर सुनवाई की। आवेदक की ओर से कोर्ट को बताया गया कि आर्यभट् ज्ञान विवि के परीक्षा नियंत्रक ने जक्कनपुर थाने में एक प्राथमिकी दर्ज कर आरोप लगाया कि सरकारी मेडिकल कॉलेज के छात्रों का प्रोफेशनल कोर्स के पार्ट-1 व 2 के परीक्षा में अपने स्थान पर अन्य छात्रों से परीक्षा दिलवा रहे थे।

जांच के दौरान बेतिया, दरभंगा, मुजफ्फरपुर, आईजीआईएमएस के मूल छात्रों की जगह दूसरे छात्र परीक्षा दे रहे थे। दोषी छात्र और उनके स्थान पर दे रहे परीक्षार्थियों के खिलाफ विवि ने कदाचार नियमों के तहत कानूनी कार्रवाई करने के लिए प्राथमिकी दर्ज कराई। उनका कहना था कि कई छात्रों ने इसके खिलाफ हाईकोर्ट में केस दायर किया। कोर्ट ने उन्हें राहत देते हुए 4 जून से होने वाली परीक्षा में बैठने की अनुमति दी है। आवेदक को भी परीक्षा में बैठने देने की अनुमति दी जाये। वहीं सरकारी वकील प्रशांत प्रताप ने अर्जी का विरोध करते हुए कहा कि उस केस में समय दिये जाने के बावजूद जवाबी हलफनामा दायर नहीं किया गया। जिस कारण कोर्ट ने आवेदकों को अंतरिम राहत दी है। उनका कहना था कि मेडिकल के छात्रों को परीक्षा में नकल करना समाज के खिलाफ एक गंभीर अपराध है। आवेदक भविष्य के जीवन रक्षक हैं और अनुचित तरीकों से परीक्षा पास कर डॉक्टर बन जाने से नई पीढ़ियों को परेशानी झेलनी पड़ेगी। उनका कहना था कि आवेदक ने अपने कारण बताओ नोटिस के जवाब में खुद माना है कि उसके स्थान पर एक अन्य छात्र परीक्षा दे रहा था। उन्होंने अंतरिम राहत का कड़ा विरोध करते हुए कहा कि जिसके हाथ में किसी का जीवन हो और वह चोरी से परीक्षा पास करता है तो ऐसे छात्र को कोई राहत नहीं मिलनी चाहिए। कोर्ट ने स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव को जवाब दाखिल करने का आदेश दिया। पूर्व के कोर्ट के आदेश से विवि को अवगत कराने की जिम्मेदारी सौंपी।

लेटेस्ट   Hindi News ,    बॉलीवुड न्यूज,   बिजनेस न्यूज,   टेक ,   ऑटो,   करियर , और   राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।