खुद की जगह दूसरे को परीक्षा में बैठाने वाले मेडिकल छात्र को राहत नहीं
पटना हाईकोर्ट ने सरकारी मेडिकल कॉलेज के छात्रों को परीक्षा में नकल करने के मामले में राहत देने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने स्वास्थ्य विभाग और आर्यभट् ज्ञान विवि को हलफनामा दायर करने का आदेश दिया।...

अपनी जगह किसी दूसरे छात्रों से परीक्षा दिलाने के मामले में सरकारी मेडिकल कॉलेज के छात्रों को फिलहाल पटना हाईकोर्ट से राहत नहीं मिली। कोर्ट ने इस मामले में स्वास्थ्य विभाग और आर्यभट् ज्ञान विवि को जवाबी हलफनामा दायर करने का आदेश दिया। कोर्ट ने 4 जून से होने वाली परीक्षा में शामिल होने की अनुमति देने से इनकार कर दिया। ग्रीष्मकालीन न्यायाधीश न्यायमूर्ति पार्थ सारथी की एकलपीठ ने अरविंद कुमार मेहता की ओर से दायर अर्जी पर सुनवाई की। आवेदक की ओर से कोर्ट को बताया गया कि आर्यभट् ज्ञान विवि के परीक्षा नियंत्रक ने जक्कनपुर थाने में एक प्राथमिकी दर्ज कर आरोप लगाया कि सरकारी मेडिकल कॉलेज के छात्रों का प्रोफेशनल कोर्स के पार्ट-1 व 2 के परीक्षा में अपने स्थान पर अन्य छात्रों से परीक्षा दिलवा रहे थे।
जांच के दौरान बेतिया, दरभंगा, मुजफ्फरपुर, आईजीआईएमएस के मूल छात्रों की जगह दूसरे छात्र परीक्षा दे रहे थे। दोषी छात्र और उनके स्थान पर दे रहे परीक्षार्थियों के खिलाफ विवि ने कदाचार नियमों के तहत कानूनी कार्रवाई करने के लिए प्राथमिकी दर्ज कराई। उनका कहना था कि कई छात्रों ने इसके खिलाफ हाईकोर्ट में केस दायर किया। कोर्ट ने उन्हें राहत देते हुए 4 जून से होने वाली परीक्षा में बैठने की अनुमति दी है। आवेदक को भी परीक्षा में बैठने देने की अनुमति दी जाये। वहीं सरकारी वकील प्रशांत प्रताप ने अर्जी का विरोध करते हुए कहा कि उस केस में समय दिये जाने के बावजूद जवाबी हलफनामा दायर नहीं किया गया। जिस कारण कोर्ट ने आवेदकों को अंतरिम राहत दी है। उनका कहना था कि मेडिकल के छात्रों को परीक्षा में नकल करना समाज के खिलाफ एक गंभीर अपराध है। आवेदक भविष्य के जीवन रक्षक हैं और अनुचित तरीकों से परीक्षा पास कर डॉक्टर बन जाने से नई पीढ़ियों को परेशानी झेलनी पड़ेगी। उनका कहना था कि आवेदक ने अपने कारण बताओ नोटिस के जवाब में खुद माना है कि उसके स्थान पर एक अन्य छात्र परीक्षा दे रहा था। उन्होंने अंतरिम राहत का कड़ा विरोध करते हुए कहा कि जिसके हाथ में किसी का जीवन हो और वह चोरी से परीक्षा पास करता है तो ऐसे छात्र को कोई राहत नहीं मिलनी चाहिए। कोर्ट ने स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव को जवाब दाखिल करने का आदेश दिया। पूर्व के कोर्ट के आदेश से विवि को अवगत कराने की जिम्मेदारी सौंपी।
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