तीन साल बाद कर पुनर्मूल्यांकन में छूटी आय 50 लाख से अधिक हो
पटना हाई कोर्ट ने आयकर करदाताओं के पक्ष में फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा कि तीन साल बाद पुनः कर निर्धारण की प्रक्रिया अनुचित है। न्यायालय ने टैक्स अधिकारियों को इनकम टैक्स एक्ट की धारा-149 का पालन...

पटना हाई कोर्ट ने आयकर करदाताओं के पक्ष में एक अहम फैसला दिया है। कोर्ट ने अनुचित रूप से तीन साल बाद फिर से कर निर्धारण किए जाने को लेकर फैसला दिया है। न्यायमूर्ति राजीव रंजन प्रसाद और न्यायमूर्ति अशोक पांडेय की खंडपीठ ने मामले पर कहा कि ऐसे में टैक्स अधिकारी इनकम टैक्स एक्ट की धारा-149 को नजरअंदाज नहीं कर सकते। कृत्रिम रूप से रकम को ज्यादा दिखा कार्रवाई नहीं कर सकते हैं। आवेदक की ओर से अधिवक्ता अक्षत अग्रवाल का कहना था कि तीन वर्ष के बाद पुनः कर निर्धारण के लिए इनकम का निर्धारण 50 लाख से ज्यादा का होना चाहिए। कर अधिकारी पुनर्मूल्यांकन कार्यवाही शुरू करते समय धारा-149 के तहत निर्धारित सीमा अवधि को दरकिनार करने के लिए राशि को कृत्रिम रूप से नहीं बढ़ा सकते हैं। तीन वर्ष से अधिक समय के बाद पुनर्मूल्यांकन के लिए, वास्तव में मूल्यांकन से छूटी आय 50 लाख रुपये से अधिक होनी चाहिए। आयकर अधिकारी वैधानिक समय सीमा से बचने के लिए आंकड़ों को कृत्रिम रूप से बढ़ा-चढ़ाकर नहीं बता सकते। कोर्ट क्षेत्राधिकार के आधार की जांच कर सकता हैं। वैधानिक समय सीमा को नजरअंदाज करने के लिए अधिकारी आंकड़े को बनावटी रूप से नहीं बढ़ा सकते हैं। उन्होंने आयकर कानून की धारा-148 ए की नोटिस का हवाला देते हुए कहा कि कानूनी तौर पर यह प्रभावी नहीं होगी। वहीं आयकर विभाग की ओर से वरीय अधिवक्ता अर्चना सिन्हा ने पक्ष रखा।
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