स्टाइपेंड भुगतान पर बनी बात; PMCH के जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल खत्म, ओपीडी बहाल
चार महीनों से स्टाइपेंड नहीं मिलने से आक्रोशित जूनियर डॉक्टरों ने पीएमसएच में हड़ताल कर दी। इस दौरान ओपीडी काफी देर तक बंद रही। जिसके चलते मरीजों को दिक्कतों का सामना करना पड़ा। स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे के हस्तक्षेप के बाद हड़ताल को खत्म किया।

पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल (PMCH) आखिरकार जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल खत्म हो गई है। ओपीडी सेवाओं को फिर से बहाल कर दिया गया है। हड़ताल के चलते मरीजों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा। जूनियर डॉक्टरों ने बीते चार महीनों से स्टाइपेंड नहीं मिलने के विरोध में काम बंद कर दिया था। पंजीकरण काउंटरों पर ताला लगा दिया था। राज्य के सबसे पुराने मेडिकल कॉलेज पीएमसीएच ने 25 फरवरी को अपने 100 साल पूरे होने का जश्न मनाया था। जिसमें राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुईं थीं
स्टाइपेंड के भुगतान और बकाया राशि अगले कुछ दिनों में खातों में जमा कराने के आश्नवासन के बाद डॉक्टरों ने हड़ताल वापस ले ली। अस्पताल प्रशासन ने स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे से बात की, जिन्होंने मामले में हस्तक्षेप किया और कुछ घंटों के भीतर भुगतान की प्रक्रिया शुरू कर दी। वित्त विभाग ने 24 फरवरी को धनराशि आवंटन को मंजूरी देकर वजीफा वितरण की मंजूरी दे दी थी, लेकिन स्वास्थ्य विभाग में तीन दिन तक फाइल लंबित पड़ी रही। असंतुष्ट चिकित्सकों ने, जिन्होंने पहले हड़ताल का नोटिस दिया था, शुक्रवार सुबह पंजीकरण काउंटरों को जबरन बंद करके काम बंद कर दिया।
पीएमसीएच के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. आईएस ठाकुर ने कहा, उम्मीद है कि चार महीने की पूरी स्टाइपेंड राशि कल (शनिवार) मेडिकोज के बैंक खाते में जमा कर दी जाएगी। मेडिकल इंटर्न को हर महीने स्टाइपेंड के तौर पर 20 हजार रुपए मिलते हैं, जो बीते 4 महीने नहीं मिल रहा था। PMCH के चिकित्सा अधीक्षक ने बताया कि मैंने पहले भी इंटर्न को वजीफा देने के लिए धन आवंटित करने के लिए स्वास्थ्य विभाग को लिखा था, लेकिन धन की कमी और भुगतान प्रणाली को सीएफएमएस-2 में स्थानांतरित करने में शुरुआती समस्याओं ने परेशानी और बढ़ा दी, जिसके चलते शुक्रवार को मेडिकोज ने हड़ताल कर दी।
हालांकि, उन्होंने दोपहर 12 बजे के बाद काम फिर से शुरू कर दिया। डॉक्टरों की हड़ताल के कारण दूर-दराज से आए कई मरीजों को डॉक्टरों से सलाह लिए बिना लौटना पड़ा। एमबीबीएस छात्र साढ़े चार साल की सैद्धांतिक पढ़ाई पूरी करने के बाद एक साल का इंटर्नशिप कार्यक्रम करते हैं।