नीतीश के वीडियो पर तेजस्वी के साथ प्रशांत किशोर? सुशील मोदी का नाम लेकर किया यह दावा
- प्रशांत किशोर ने कहा है कि सीएम ने सचमुच राष्ट्रगान का अपमान किया है क्योंकि उनका मानसिक स्वास्थ्य ठीक नहीं है। यह बात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह भी जानते हैं लेकिन वोट के लालच में कुछ नहीं कर रहे हैं।

नीतीश कुमार के राष्ट्रगान वाले वीडियो पर बिहार में सियासी घमासान जारी है। लालू प्रसाद, तेजस्वी यादव, राबड़ी देवी और रोहिणी आचार्य के बाद जन सुराज के प्रशांत किशोर इसमें कूद पड़े हैं। इस मसले पर वे तेजस्वी यादव के साथ हैं। उन्होंने कहा है कि सीएम ने सचमुच राष्ट्रगान का अपमान किया है क्योंकि उनका मानसिक स्वास्थ्य ठीक नहीं है। यह बात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह भी जानते हैं लेकिन वोट के लालच में कुछ नहीं कर रहे हैं। पुरानी बातों की चर्चा करते हुए पीके ने सुशील मोदी को भी याद किया।
जन सुराज के सूत्रधार प्रशांत किशोर ने शुक्रवार को जन सुराज उद्घोष यात्रा के तहत हाजीपुर पहुंचे जहां उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित करके पत्रकारों से बातचीत की। उन्होंने पटना में नीतीश कुमार द्वारा राष्ट्रगान का अपमान किए जाने की घटना पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि पिछले 2 वर्षों से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की मानसिक स्थिति पर सवाल उठ रहे हैं। जन सुराज और मैं खुद पिछले 2 महीनों से हर मंच से सरकार से अपील कर रहे हैं कि नीतीश कुमार की मानसिक स्थिति की जांच होनी चाहिए और इसकी विस्तृत रिपोर्ट बिहार की जनता के सामने रखी जानी चाहिए। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि बिहार के मुख्यमंत्री शारीरिक और मानसिक रूप से थक चुके हैं।
पीके ने कहा कि अब नीतीश कुमार सरकार चलाने और फैसले लेने के लिए पूरी तरह स्वस्थ नहीं हैं। आश्चर्य की बात यह है कि प्रधानमंत्री मोदी और गृह मंत्री अमित शाह भी इस बात से वाकिफ हैं कि नीतीश कुमार की मानसिक स्थिति ठीक नहीं है, लेकिन दिल्ली की सरकार चलाने के लिए वे बिहार की जनता के साथ अन्याय कर रहे हैं। इसके साथ ही प्रशांत किशोर ने दावा किया है कि जब भी नीतीश कुमार सार्वजनिक मंचों पर मौजूद होंगे तो कल जैसी घटनाएं दोहराई जाएंगी।
पीके ने कहा कि सबसे पहले भाजपा नेता सुशील कुमार मोदी ने नीतीश कुमार के मानसिक हालात पर सवाल उठाया था। 2023 नवम्बर में उन्होंने विधानसभा में कहा था कि नीतीश कुमार किसी गंभीर मानसिक बीमारी के शिकार हैं। उनके बाद कई बड़े नेताओं ने यह बात कही। बीपीएससी आन्दोलन के दौरान सरकार के कई बड़े नेता और अधिकारियों की बातचीत से यह बता चला कि नीतीश कुमार इस स्थिति में नहीं हैं कि विषयों का संज्ञान लेकर कोई अहम फैसला कर सकें। अगर कोई सिपाही भी बनता है तो उसका मेडिकल होता है। लेकिन मुख्यमंत्री के स्वास्थ्य पर बार बार चर्चा होने पर कुछ नहीं होता है। उनके भरोसे पूरा बिहार छोड़ा हुआ है यह बिहार का दुर्भाग्य है। इसके लिए भाजपा वाले भी दोषी हैं। पीएम नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह को भी यह बात पता है लेकिन बिहार को हाशिए पर छोड़ रखा है ताकि केंद्र में सरकार चलाने के लिए बिहार से सांसद मिलते रहें।