युद्ध शैली कलारीपट्टू मार्शल आर्ट की प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे बच्चे
पूर्णिया, हिन्दुस्तान संवाददाता। शिक्षा विभाग द्वारा संचालित संस्थान किलकारी बिहार बाल भवन के चक धूम धूम समर कैंप में मार्शल आर्ट कलारीपत्तू के क

पूर्णिया, हिन्दुस्तान संवाददाता।शिक्षा विभाग द्वारा संचालित संस्थान किलकारी बिहार बाल भवन के चक धूम धूम समर कैंप में मार्शल आर्ट कलारीपत्तू के कार्यशाला से लाभान्वित हो रहे प्रतिभागी बच्चे। कलारीपयट्टू केरल की एक प्राचीन मार्शल आर्ट है, जिसे दुनिया की सबसे पुरानी युद्ध कलाओं में से एक माना जाता है। इसका अभ्यास मुख्य रूप से केरल और तमिलनाडु के कुछ हिस्सों में किया जाता है। कलारी का अर्थ है व्यायामशाला या युद्ध का मैदान और पयट्टू का अर्थ है युद्ध या व्यायाम। कलारीपयट्टू में शारीरिक कौशल, हथियारों का उपयोग और मानसिक और आध्यात्मिक विकास पर जोर दिया जाता है। प्रमंडल कार्यक्रम समन्वयक त्रिदीप शील ने बताया कि इस विद्या के विशेषज्ञ के रूप में किलकारी पूर्णिया ने केरल के राष्ट्रीयस्तर के दिलसागर को आमंत्रित किया।
दिलसागर इस विद्या के राष्ट्रीय स्तर के व्यस्ततम प्रशिक्षकों में से एक है। इस आर्ट फॉर्म के अंतर्गत बच्चों को इस मार्शल आर्ट में प्रयोग होने वाले विभिन्न जीव जंतु के स्टैंड्स और मूव्स जैसे सिंह, मयूरी, सांप, मेंढक और मछली सभी मूव्स के सेल्यूटेशन को बच्चों ने बड़े मनोयोग से सीख रहे है। उनके साथ हमारे किलकारी के प्रशिक्षक कृष्णा रावत और कुमार वरुण ने निरंतर सहयोग किया। इस विद्या के कार्यशाला से लगभग 182 बच्चें लाभान्वित हुए।
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