बोले कटिहार: ट्रैफिक पुलिस तैनात की जाए, चले अतिक्रमण हटाओ अभियान
सुबह की पहली किरण के साथ जब एक मां अपने बच्चे को स्कूल भेजने की तैयारी करती है तो उसकी सबसे बड़ी चिंता होती है।

प्रस्तुति: ओमप्रकाश अम्बुज, मणिकांत रमण सुबह की पहली किरण के साथ जब एक मां अपने बच्चे को स्कूल भेजने की तैयारी करती है तो उसकी सबसे बड़ी चिंता होती है - क्या समय पर स्कूल पहुंच पाएगा? एक बुजुर्ग दवा लेने निकले तो सोचते हैं - क्या रास्ता जाम में फंसेगा? और जब कोई एंबुलेंस सायरन बजाती है तो लोग दुआ करते हैं - भगवान करे, वक्त पर अस्पताल पहुंच जाए। कोढ़ा और कुरसेला जैसे इलाके, जहां जिंदगी रोज ट्रैफिक की भेंट चढ़ जाती है, वहां हर परिवार की सुबह इसी डर और परेशानी से शुरू होती है। क्या कभी सुकून से चल पाएगी इन सड़कों पर जिंदगी? यह बातें हिन्दुस्तान के बोले कटिहार संवाद के दौरान उभर कर सामने आईं।
नगर पंचायत बनने के बाद कोढ़ा और कुरसेला के लोगों ने उम्मीद की थी कि अब बुनियादी सुविधाएं सुधरेंगी, लेकिन ट्रैफिक व्यवस्था की दुर्दशा ने उन उम्मीदों को कुचल दिया है। एनएच 31 और स्टेट हाइवे से सटे इन इलाकों में रोजाना घंटों का जाम आम बात हो गई है। स्कूल जाने वाले बच्चों से लेकर अस्पताल जा रहे मरीज और नौकरी-पेशा लोग तक, सभी इस अव्यवस्था के शिकार हैं। सबसे गंभीर स्थिति सुबह और शाम के समय होती है, जब ट्रैफिक का दबाव चरम पर होता है। चौक-चौराहों पर यातायात पुलिस की तैनाती नहीं है। नतीजतन, ऑटो, टोटो और यात्री वाहन जहां-तहां खड़े कर दिए जाते हैं। सड़कें अतिक्रमण की चपेट में हैं, जिससे दोपहिया से लेकर चारपहिया तक फंसे रहते हैं। खासकर कोढ़ा बाजार, कुरसेला शहीद चौक, और स्टेट हाइवे के किनारे बेतरतीब पार्किंग से स्थिति और बिगड़ जाती है। ट्रैफिक जाम का असर अब आम जीवन पर साफ नजर आने लगा है। छात्रों को स्कूल, कॉलेज और कोचिंग तक समय पर पहुंचने में दिक्कत होती है। मरीजों को अस्पताल ले जाने में देर होती है, जिससे कई बार स्थिति गंभीर हो जाती है। पैदल चलने वालों के लिए तो हालात और भी बुरे हैं - कहीं जगह ही नहीं बची। स्थानीय लोग बताते हैं कि वर्षों से यहां ट्रैफिक नियंत्रण के लिए कोई स्थायी व्यवस्था नहीं है। प्रशासन की ओर से कई बार निरीक्षण हुए, बैठकें हुईं, लेकिन नतीजा शून्य रहा। दुकानदारों द्वारा सड़क पर फैलाए गए सामान, फुटपाथ पर पार्किंग और सड़कों पर बैठा अतिक्रमण हर योजना को विफल कर देता है। स्थिति तब और विकट हो जाती है जब हल्की बारिश भी हो जाती है। जलजमाव के कारण सड़कों पर गाड़ी चलाना मुश्किल हो जाता है और ट्रैफिक पूरी तरह थम जाता है। कोढ़ा-पटना और कुरसेला-पूर्णिया मार्ग पर घंटों जाम लग जाता है, जिससे यात्रियों को भारी परेशानी झेलनी पड़ती है। लोगों ने की है मांग स्थानीय नागरिकों की मांग है कि नगर पंचायत के अंतर्गत अब ट्रैफिक प्रबंधन को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाए। चौक-चौराहों पर स्थायी ट्रैफिक पुलिस की तैनाती, सड़क किनारे नो-पार्किंग जोन का निर्धारण और अतिक्रमण हटाना अब टालने योग्य विषय नहीं रह गया है। लोगों की जिंदगी हर रोज जाम में फंसी है - सवाल ये है कि प्रशासन कब जागेगा? लोगों ने प्रशासन से तत्काल कार्यवाही करने की मांग की है। जिससे लोगों को जाम की समस्या से निजात मिल सकेगा। इससे लोगों का समय बर्बाद नहीं होगा और तय समय में सफर कर सकेंगे। हर सुबह जाम के डर से पहले घर से निकलना पड़ता है। ऑटो-टोटो जहां-तहां खड़े रहते हैं, जिससे सड़क और तंग हो जाती है। – अनिरुद्ध कुमार हमारे कुरसेला बाजार में सड़कों की हालत खराब है, ऊपर से अतिक्रमण और जाम ने जीना मुश्किल कर दिया है। दवाइयां लाने में देर हो जाती है। – अनिल साह मैंने कई बार देखा है कि स्कूली बच्चे ट्रैफिक में फंसे रहते हैं और कोई देखने वाला नहीं होता। दुकानदारों ने फुटपाथ पर कब्जा कर रखा है। – रामसेवक सड़क पर ट्रैफिक का हाल देखकर लगता है जैसे यहां कोई सरकार ही नहीं है। वाहन बेतरतीब खड़े रहते हैं। – कुंदन कुमार यादव कोढ़ा से कटिहार तक जाने में जो समय पहले 20 मिनट लगता था, अब जाम के कारण एक घंटा लग जाता है। ट्रैफिक पुलिस नदारद हैं। – सोनू कुमार यहां के बाजारों में तो सड़क जैसी कोई चीज़ ही नहीं बची है। पूरी सड़क पर दुकानों का कब्जा है और बीच में से वाहन निकलते हैं। – ललन जायसवाल हम व्यापारी लोग भी परेशान हैं, ग्राहक जाम के डर से दुकान तक नहीं पहुंच पाते। ट्रैफिक जाम से व्यवसाय पर असर पड़ता है। – आलोक कुमार ट्रैफिक जाम अब सिर्फ परेशानी नहीं, बल्कि डर बन गया है। कभी भी कोई दुर्घटना हो सकती है। न कोई ट्रैफिक सिग्नल है, न नियंत्रण। – विजय जायसवाल अगर कोई मरीज हो और उसे अस्पताल ले जाना हो तो कोढ़ा की जाम वाली सड़क किसी बुरे सपने से कम नहीं लगती। – बबलू ठाकुर कुरसेला के शहीद चौक पर रोज जाम लगता है। कभी दो गाड़ियाँ आमने-सामने हो जाएं तो पीछे की पूरी लाइन घंटों रुक जाती है। – मोहम्मद इरफान हमने कई बार वार्ड के रहनुमा से लेकर बीडीओ तक को जानकारी दिया है, लेकिन नतीजा कुछ नहीं निकलता। – मोहम्मद जलाल मेरी दुकान सड़क किनारे है, पर जाम के कारण ग्राहक आते ही नहीं। ट्रैफिक का इतना बुरा हाल मैंने कभी नहीं देखा। – सनी जायसवाल ट्रैफिक व्यवस्था की सबसे बड़ी कमी यह है कि कोई सिस्टम ही नहीं है। कोढ़ा और कुरसेला दोनों जगह हालात खराब हैं। छात्रों को स्कूल समय पर पहुंचाना मुश्किल हो गया है। – धर्मवीर गुप्ता राज्य सरकार अगर नगर पंचायत का दर्जा देती है, तो उसे सुविधाएं भी देनी चाहिए। सिर्फ नाम से कुछ नहीं होता। ट्रैफिक का ये हाल देख कर अफसोस होता है। – राजीव चौधरी गाड़ियों की बेतरतीब पार्किंग, सड़क पर अतिक्रमण और ट्रैफिक कर्मियों की गैरहाजिरी ने जिंदगी का चैन छीन लिया है। अब तो स्कूल जाने से भी डर लगता है। – केदार साह हर कोई कहता है कि जाम बड़ी समस्या है, लेकिन कार्रवाई कोई नहीं करता। अतिक्रमण से लेकर सड़क पर खड़े वाहनों तक, हर चीज़ अव्यवस्थित है। – अरविंद जायसवाल बोले जिम्मेदार कोढ़ा और कुरसेला नगर पंचायत क्षेत्रों में ट्रैफिक व्यवस्था सुधारना हमारी प्राथमिकता है। अतिक्रमण हटाने और ऑटो स्टैंड चिह्नित करने की प्रक्रिया चल रही है। ट्रैफिक नियंत्रण के लिए जिला प्रशासन से स्थायी पुलिस बल की मांग की गई है। जल निकासी की व्यवस्था को भी मजबूत किया जा रहा है ताकि बारिश में जलजमाव न हो। नागरिकों से भी सहयोग की अपेक्षा है, क्योंकि बिना जनभागीदारी के व्यवस्था नहीं सुधर सकती। हम लगातार निरीक्षण कर रहे हैं और जल्द ही व्यवस्थित व सुरक्षित यातायात का लक्ष्य हासिल करेंगे। इससे लोगों को आवागमन में असुविधा नहीं होगी। उनकी यात्रा सुखमय होगी। – संतोष कुमार, नगर आयुक्त, कटिहार शिकायत 1. सालों से कोई ट्रैफिक कर्मी नहीं दिखा, जिससे चौक-चौराहों पर अराजकता बनी रहती है। 2. दुकानदारों ने सड़क पर अतिक्रमण कर लिया है, जिससे चलना तक मुश्किल हो गया है। 3. हल्की बारिश में भी जलजमाव हो जाता है, जिससे ट्रैफिक पूरी तरह ठप हो जाता है। 4. प्रशासन को कई बार आवेदन देने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई। 5. अस्पताल ले जाते समय जाम में फंसने से कई बार मरीजों की हालत बिगड़ जाती है, फिर भी सुधार की कोई योजना नहीं बन रही। इससे लोग परेशान हैं। सुझाव 1. प्रमुख चौकों पर ट्रैफिक पुलिस की स्थायी तैनाती की जाए ताकि वाहन संचालन नियंत्रित हो सके। 2. ऑटो और टोटो के लिए तय स्टैंड निर्धारित किए जाएं जिससे वे अनावश्यक रूप से सड़क पर न खड़े रहें। परेशानी से बचेंगे। 3. अतिक्रमण हटाने का नियमित अभियान चलाया जाए ताकि पैदल और वाहन चालकों को रास्ता मिले। 4. सड़क किनारे नो-पार्किंग जोन चिह्नित किया जाए और उल्लंघन पर जुर्माना लगे। इससे राहत मिलेगी। 5. सीसीटीवी और ट्रैफिक लाइट की व्यवस्था हो ताकि चौक-चौराहों पर ट्रैफिक नियंत्रण में रहे। जिससे लोग जाम में फंसने से बचेंगे।
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