मथुरापुर पुल का जाम लोगों का दम निकाल रहा, निदान जरूरी
समस्तीपुर के मथुरापुर पुल पर जाम की समस्या बढ़ती जा रही है। अतिक्रमण के कारण सड़क संकीर्ण हो गई है, जिससे वाहनों की लंबी कतारें लगती हैं। इससे मरीजों को भी परेशानी होती है। स्थानीय लोगों का कहना है कि...
समस्तीपुर। मथुरापुर पुल शहर की लाइफ लाइन है। पुल के दोनों ओर अतिक्रमण से सड़क संकीर्ण हो गई है। बड़े वाहनों के चलने से इसपर जाम की स्थिति बन जाती है। अक्सर लोग यहां जाम में फंसकर अपना घंटों मूल्यवान समय गंवाते हैं। शहर के मथुरापुर पुल पर जाम की समस्या लोगों के लिए धीरे-धीरे सिरदर्द बनता जा रहा है। यह पुल कई मायने में काफी महत्वपूर्ण है। शहर को दो हिस्सों में बांटने वाली बूढ़ी गंडक नदी पर बने इस पुल से हर रोज करीब पांच से सात हजार छोटे बड़े वाहन गुजरते हैं। जाम से सबसे अधिक परेशानी मरीजों को होती है।
शहर के मथुरापुर पुल पर जाम की समस्या लोगों के लिए धीरे-धीरे सिरदर्द बनता जा रहा है। यह पुल कई मायने में लोगों के लिए काफी महत्वपूर्ण है। शहर को दो हिस्सों में बांटने वाली बूढ़ी गंडक नदी पर बने इस पुल से हर रोज करीब पांच से सात हजार छोटे बड़े वाहन गुजरते हैं। वहीं हर रोज करीब पचास से साठ हजार लोग आवागमन करते हैं। इस कारण पुल पर घंटों जाम लगा रहता है। स्थिति यह है कि एम्बुलेंस भी जाम में फंसकर बेदम हो जाते हैं। उसे भी निकलने का रास्ता नहीं मिलता है। इससे कई तो मरीजों की जान पर भी बन आती है।सुबह-शाम पुल के दोनों तरफ वाहनों की लंबी कतारें देखी जाती हैं। स्कूली बच्चों, नौकरीपेशा लोगों, व्यापारी वर्ग और आम जनता सभी को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। पुल की इस समस्या से रोज लोगों का व्यवसाय और काम प्रभावित होता है। बोले हिन्दुस्तान के तहत स्थानीय लोगों ने खुलकर अपनी समस्याएं बतायीं। शहर के शैलेन्द्र कुमार सिंह कहते हैं कि पुल पर लगने वाले जाम से आम आदमी तो परेशान है ही, रोजाना डेढ़ से दो करोड़ का कारोबार भी प्रभावित होता है। न तो स्थाई पार्किंग है न ही यातायात पुलिस की सक्रियता। पुल के दोनों तरफ गाड़ियां बेतरतीब जहां-तहां खड़ी होती हैं। नतीजतन, पहले जहां बाजार ग्राहकों से गुलजार रहता था, अब लोग जाम के कारण खरीदारी के लिए आने से भी कतराते हैं। मुकेश कुमार ने बताते हैं कि शहर की सड़कों पर पार्किंग की समुचित व्यवस्था नहीं है, जिससे वाहन चालक सड़क पर ही गाड़ियां खड़ी कर देते हैं। ऑटो और ई-रिक्शा चालक भी मनमानी करते हैं। इनके लिए कोई रूट भी तय नहीं किया गया है। यातायात विभाग के अधिकारी जाम की समस्या से निपटने के लिए कड़े कदम उठाए जाने का आश्वासन तो देते हैं, लेकिन समाधान नहीं दे पा रहे। अगर प्रशासन जल्द उचित कदम नहीं उठाता है तो आने वाले समय में कारोबार और अधिक प्रभावित हो जाएगा। व्यवसायी मनोज कहते हैं कि शहर की आर्थिक स्थिति पर भी इसका गहरा असर पड़ रहा है। जरूरत इस बात की है कि प्रशासन कारोबारियों और आम जनता की समस्याओं को गंभीरता से ले और इस परेशानी का स्थाई समाधान निकालने के लिए कदम उठाए। लोग चुपचाप जाम की समस्या से जूझ रहे हैं। जाम की समस्या से उच्च रक्तचाप, मानसिक तनाव, चिड़चिड़ा और मूड स्विंग जैसी बीमारी से ग्रसित होने की संभावना बढ़ जाती है। पुल के आसपास फुटपाथ पर फुटकर दुकानदारों का अतिक्रमण है। लोगों को आने-आने में परेशानी होती है। राजेश कुमार झा ने कहा कि जहां-तहां ऑटो खड़े करने से भी जाम की समस्या बनी रहती है। जाम से निपटने के लिए लगातार प्रयास किया जाता है और असफल परिणाम देखने को मिलता है। शहरवासी जब एक जगह से दूसरी जगह या फिर रोजमर्रा की चीजें लेने के लिए निकलते हैं तो अक्सर जाम की समस्या से जूझते हैं। कई घंटे के बाद अपने गंतव्य पर पहुंचते हैं। जाम से सिर्फ समय ही बर्बाद नहीं होता बल्कि सेहत पर भी हमला किया जाता है। शहरवासी जब निकलते हैं तो यह मानकर निकलते हैं कि जाम के कारण कई घंटे का समय लग सकता है। जाम की वजह से शहरवासियों का समय खराब होता है लेकिन इनकी सुधी लेने वाला कोई नहीं है। अरूण कुमार सिन्हा ने कहा कि सड़क पर मनमाने तरीके से यातायात को संचालित किया जाता है। बोले-जिम्मेदार मथुरापुर घाट को अतिक्रमण मुक्त कराने को लेकर एक बार फिर अभियान चलाया जाएगा। पुल जाम रहने के कारण कई तरह की परेशानियां हो रही है। इसको लेकर ट्रैफिक पुलिस को आवश्यक निर्देश दिया जा रहा है। पुल के दोनों तरफ पर्याप्त संख्या में बल लगाया जाएगा। -दिलीप कुमार, एसडीओ, सदर
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।