बेहतर प्रशिक्षण और सुविधा मिले तो िजले के फुटबॉलर विश्व में चमकेंगे
समस्तीपुर के खिलाड़ियों में प्रतिभा की कमी नहीं है, लेकिन खेल मैदानों और सामग्री की कमी के कारण उन्हें मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। पटेल मैदान की स्थिति जर्जर है, जिससे खिलाड़ी चोटिल हो रहे...

समस्तीपुर। जिले के खिलाड़ियों में प्रतिभा की कमी नहीं है। शहर के पटेल मैदान ने किक्रेटर वैभव सूर्यवंशी जैसे खिलाड़ी को तराशा है। वहीं फुटबॉलरों की बात करें तो राहुल कुमार नेशनल स्तर पर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा चुके हैं। फुटबॉल के खिलाड़ियों ने बताया कि जिले में अच्छा खेल मैदान नहीं है। पटेल मैदान की स्थिति जर्जर है। यहां महिला खिलाड़ियों के लिए चेंजिंग रूम तक की व्यवस्था नहीं है। मैदान भी उबड़-खाबड़ है। खिलाड़ी आए दिन गिरकर चोटिल हो रहे हैं। मैदान में पेयजल से लेकर शौचालय की भी व्यवस्था नहीं है। खिलाड़ियों ने कहा कि अच्छा मैदान मिले तो विश्व में प्रतिभा का लोहा मनवाएंगे।
समस्तीपुर जिला खेल और खिलाड़ियों की अनदेखी का गवाह बन रहा है। खासकर फुटबॉल के क्षेत्र में बच्चों और युवाओं की बढ़ती रुचि के बावजूद, मैदान और खेल सामग्री की कमी खिलाड़ियों के लिए ब्रेकर बन जाते हैं। जिला प्रशासन और सरकार की उदासीनता ने समस्तीपुर के खिलाड़ियों को हतोत्साहित कर दिया है। समस्तीपुर के राहुल कुमार नेशनल लेवल पर खेल चुके हैं। राष्ट्रीय स्तर पर अंडर-19, अंडर-17 व अंडर-14 भी खेल चुके हैं। सरकार से सहयोग नहीं मिलने के कारण जीविकोपार्जन के लिए काशीपुर चौक पर जेनरल स्टोर की दुकान चलाने को मजबूर हैं। प्रशासन, जनप्रतिनिधि और खेल विभाग से सहयोग मिले तो इन खिलाड़ियों का भविष्य चमक सकता है। हिन्दुस्तान के साथ संवाद के दौरान खिलाड़ियों ने अपनी समस्या बताई। समस्तीपुर के फुटबॉल खिलाड़ियों को खेल सामग्री की कमी है। इन बुनियादी संसाधनों के अभाव में न केवल उनके प्रदर्शन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है, बल्कि उनकी प्रतिभा भी निखर नहीं पा रही। आज बच्चे डिजिटल उपकरणों और वर्चुअल गेम्स की ओर आकर्षित हो रहे हैं, जो कई मामलों में खतरनाक भी साबित हो रहे हैं। ऐसे में मैदानी खेलों का महत्व और भी बढ़ जाता है। फुटबॉल का खेल बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। टीम भावना, अनुशासन और नेतृत्व जैसे गुणों का विकास करता है। स्थानीय स्तर पर खेल सुविधाओं के अभाव से बच्चों और युवाओं का उत्साह कम हो जाता है, जिससे वे खेलों से दूर होने लगते हैं। समस्तीपुर में कई प्रतिभाशाली खिलाड़ी हैं, जो राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नाम कमा सकते हैं, लेकिन उन्हें सही दिशा और अवसर देने की जरूरत है। खेल मैदानों का विकास, गुणवत्तापूर्ण सामग्री की उपलब्धता और कोचिंग की सुविधा में सुधार करके बच्चों को प्रोत्साहित किया जा सकता है। स्थानीय प्रशासन, खेल संघों और समुदाय को मिलकर इस दिशा में प्रयास करना चाहिए। खेल सामग्री और मैदान की कमी से खिलाड़ियों की मुश्किल बढ़ीं : समस्तीपुर पटेल मैदान में स्कूल आफ सॉकर नामक फुटबॉल ट्रेनिंग चलाने वाले रंजन गांधी ने बताया कि स्थानीय खिलाड़ी इस समय गहरे संकट का सामना कर रहे हैं। पूरे जिले में फुटबॉल खिलाड़ियों के लिए खेलने योग्य मैदानों की भारी कमी है। समस्तीपुर में एकमात्र पटेल मैदान है। यहां विभिन्न खेलों का अभ्यास और आयोजन होता है, लेकिन इस स्टेडियम की स्थिति भी दयनीय है। स्टेडियम में घास की कमी के कारण, बच्चे गिरते और चोटिल होते हैं। मैदान की साफ-सफाई और रखरखाव पर भी ध्यान नहीं दिया जा रहा है। चेंजिंग रूम को लेकर लड़कियों को काफी समस्या होती है। यहां तक कि एक वॉशरूम भी मैदान में नहीं है। मैदान के मुख्यद्वार के बगल में गंदगी है। मैदान में कई जगह गड्ढे है। खिलाड़ियों ने बताया कि कई बार विषैले सांप निकल आते हैं। जान का भी खतरा बना रहता है। बोले-जिम्मेदार पंचायत स्तर पर स्पोर्ट्स क्लब का गठन किया जा रहा है जो सरकार की एक अच्छी पहल है। इससे फूटबाॅल खिलाड़ियों को भी फायदा होगा। पटेल मैदान के जीर्णोद्धार के लिये योजना बनाई जा की जा रही है। खेल विभाग इसके लिये तत्पर है। -आकाश, जिला खेल पदाधिकारी, समस्तीपुर
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