पचरुखी बाजार अतिक्रमण का शिकार, सुविधाओं की भी कमी
पचरुखी बाजार को मूलभूत सुविधाओं की कमी का सामना करना पड़ रहा है। अतिक्रमण के कारण व्यापार में वृद्धि नहीं हो रही है, जिससे लोग खरीददारी के लिए जिला मुख्यालय की ओर जा रहे हैं। बाजार में स्वच्छ पेयजल और...

पचरुखी, एक संवाददाता। पचरुखी बाजार को मूलभूत सुविधाओं की दरकार है। बाजार अतिक्रमण का शिकार है, जिससे व्यापार बढ़ नहीं पा रहा है। अतिक्रमण के चलते लोग जाम में नहीं फंसना चाहते और खरीददारी के लिए जिला मुख्यालय की ओर चले जाते हैं। वहीं बाजार में स्वच्छ पेयजल व शौचालय की समस्या से निजात लोगों को नहीं मिल पा रही है। साल 2022 में बाजार के बीच सड़क की मरमती, चौड़ीकरण एवं नाला निर्माण के बाद लोगों को सुविधाओं में बढोत्तरी की उम्मीद जगी थी। लेकिन, वह अब तक पूरी नहीं हो पाई है। जबकि आसपास के सैकड़ों गांवों के साथ ही दूसरे बाजारों के लोग भी यहां सामानों की खरीददारी के लिए आते हैं।
कारण, यह बाजार काफी पुरानी मानी जाती है। बर्ष 1979 में व्यापारियों की सुरक्षा के लिए पुलिस थाना स्थापित किया गया था। वहीं बाजार के एक किनारे पर प्रखंड मुख्यालय भी अवस्थित है। जहां लोगों के स्वास्थ्य संबंधित सुविधाओं के लिए पहले पीएचसी खोली गई, बाद में उच्चीकृत कर सीएचसी में तब्दील कर दिया गया। वर्तमान में यह बाजार मोहमदपुर मोड़ से जसौली पटेल चौक तक करीब दो किलोमीटर में रच बस गया है। जैसे-जैसे बाजार का आकार बढ़ता गया, वैसे-वैसे समस्याएं भी बढ़ती गईं। आज स्थिति यह है, कि पूरा बाजार अतिक्रमण का शिकार है। लोगों ने दुकान के आगे टीन टप्पर रखकर अवैध रूप से कब्जा कर लिया है। यही नहीं टीन टप्पर के आगे भी डंडा लगाकर बोरा बारदाना बिछाकर सड़कों तक सामान को फैला कर रखते हैं। एक दूसरे की देखी देखा अधिकतर दुकानदार ऐसा कर रहे हैं। जिससे आने वाले ग्राहकों को अपनी दुपहिया या चौपहिया वाहनों को सामानों की खरीदारी करते समय सड़कों पर ही मजबूरन खड़ा करना पड़ता है। जिससे लोगों को जाम के समस्या से जूझना पड़ता है। यही नही, त्योहारों के समय तो बड़ी संख्या में लोगों की खरीदारी करने के लिए आने से जाम की स्थिति और भयावह हो जाती है। जिससे बाजार को पार करने में लोगों को घंटे का समय लगता है और वाहनों में बैठे-बैठे लोगों को घुटन सी महसूस होती है।
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