कोरोना काल के बाद उत्तराखंड में खूब बिका घी-पनीर और दही, 5 सालों का डेटा देखिए
उत्तराखंड को-ऑपरेटिव डेयरी फेडरेशन (यूसीडीएफ) की रिपोर्ट के अनुसार,पिछले पांच साल से हर वर्ष घी और पनीर की ब्रिकी बढ़ी है। रिपोर्ट के मुताबिक 2020-21 से 2024-25 तक राज्य में कुल 22 लाख 60 हजार 625 किलो पनीर और 10 लाख 94 हजार 710 किलो घी बिका।

उत्तराखंड में कोरोना काल के बाद लोग सेहत को लेकर अधिक सतर्क हो गए हैं। प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए लोग दूध से बने उत्पादों को तवज्जो देने लगे हैं। घी और पनीर की साल दर साल बढ़ रही खपत इस बात की पुष्टि कर रही है। राज्य में वर्तमान में पनीर की औसतन 7.24 लाख तो घी की 4.35 लाख किलो औसतन प्रतिवर्ष ब्रिकी हो रही है।
उत्तराखंड को-ऑपरेटिव डेयरी फेडरेशन (यूसीडीएफ) की रिपोर्ट के अनुसार,पिछले पांच साल से हर वर्ष घी और पनीर की ब्रिकी बढ़ी है। रिपोर्ट के मुताबिक 2020-21 से 2024-25 तक राज्य में कुल 22 लाख 60 हजार 625 किलो पनीर और 10 लाख 94 हजार 710 किलो घी बिका। सर्वाधिक घी और पनीर बेचने वाला जिला नैनीताल रहा। जबकि पिथौरागढ़, हरिद्वार, उत्तरकाशी और चमोली जिलों में घी और पनीर की ब्रिकी अन्य जिलों से कम रही। यह सभी उत्पाद आंचल के रहे। वर्तमान में वित्तीय वर्ष 2025-26 में उत्तराखंड का डेयरी विकास विभाग दुग्ध उत्पादों के उत्पादन में 15 प्रतिशत वृद्धि पर है।
एमडी,यूसीडीएफ जयदीप अरोड़ा ने कहा कि राज्य के सभी दुग्ध संघों में काम हो रहा है। इसी का परिणाम है कि दुग्ध उत्पादों की ब्रिकी बढ़ रही है। काश्तकारों को प्रोत्साहन राशि भी मिल रही है। जिससे वह अधिक मेहनत कर रहे हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक राज्य में दही का उत्पादन और ब्रिकी भी बड़ी मात्रा में होती है। औसतन 2.78 लाख किलो प्रतिवर्ष राज्य में दही की खपत होती है। वहीं जाड़ों के दौरान इसमें 15 प्रतिशत तक कमी आ जाती है। गर्मी के दौरान मांग बढ़ती है। दिसंबर,जनवरी,फरवरी और मार्च को छोड़ दें तो बाकी के आठ महीनों में दही काफी बिकता है। सबसे ज्यादा दही भी नैनीताल डेयरी विकास विभाग बेचता है।
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