Mother’s Day: हर कष्ट पहचान लेती थी मां, टॉपर की राह उसने ही बनायी
मां, अम्मा या मम्मी। नाम चाहे जो भी दे दीजिए लेकिन हर शब्द में ममता का वही अहसास होगा। मां जिसने केवल देना सीखा है। कच्ची मिट्टी सरीखे बालक को कामयाब बनने की सीख देने के साथ मां कामयाब भी बनाती है।...

मां, अम्मा या मम्मी। नाम चाहे जो भी दे दीजिए लेकिन हर शब्द में ममता का वही अहसास होगा। मां जिसने केवल देना सीखा है। कच्ची मिट्टी सरीखे बालक को कामयाब बनने की सीख देने के साथ मां कामयाब भी बनाती है। इस साल विभिन्न बोर्डों में टॉपर रहे छात्र-छात्राओं ने अपनी मां के बारे में बताया कि कैसे उन्होंने उनके टॉपर बनने की राह बनायी।
मां भले ही पढ़ी-लिखी हो, या ना हो, परंतु संसार का महत्वपूर्ण एवं अनुभव भरा ज्ञान हमें मां से ही मिलता है। परेशानी में जब हम होते हैं तो तुरंत पहचान लेती है। हमारी खामोशी को भी वह पढ़ लेती है। यह कला सिर्फ मां में ही होती है। मुझे हर पल मेरी मां का साथ मिला। पता नहीं चला कि यह सफर इतना आसान कैसे हुआ, क्योंकि मां ने कभी इसका अहसास नहीं होने दिया। परेशान होने से पहले ही उसे सब पता होता है।
कहने की जरूरत नहीं होती थी कि मुझे क्या चाहिए। ये उन बच्चों का कहना है जो जिंदगी की पहली सीढ़ी बोर्ड परीक्षा में अव्वल आए हैं। आज मदर्स डे है... इस पर जब हमने 10वीं और 12वीं टॉपर्स से बात की तो सभी ने कहा -हमारी सफलता में सबसे ज्यादा किसी का योगदान रहा तो वो हमारी मां है।
मां के नियमों से चिढ़ होती थी पर उसी से मिली सफलता
कई बार मां का बात-बात पर टोकना सफलता की राह तय करती है। कुछ ऐसा ही इन दिनों मरियम रजा खान महसूस कर रही हैं। सीबीएसई 12वीं साइंस की टॉपर मरियम रजा खान (97.7 फीसदी) ने बताया कि मेरी मां बहुत कड़ी है। उनके कायदे कानून से कई बार चिढ़ होती थी। कई बार मां पर गुस्सा आता था। लड़ भी लेती थी लेकिन कितना भी गुस्सा हो, जब एक बार उनके पास जाती थी तो वो ऐसे मिलती थीं जैसे कुछ हुआ ही नहीं हो। हमेशा मुझे मां का साइलेंट सपोर्ट मिला। आज जब मुझे ये सफलता मिली तो अब सारी बातें समझ में आती हैं। वहीं मरियम रजा की मां शाहिना रजा ने बताया कि मैंने अपने बच्चे की खुद काउंसिलिंग की। किशोरावस्था में जब वो आयी तो उसे उन सभी बातों की मैंने खुद जानकारी दी और उसके साथ रही, जब उसकी जरूरत मेरी सबसे ज्यादा थी।
मेरी मां पढ़ी नहीं है, लेकिन उनका अनुभव मुझे शक्ति देता है
बच्चे पास हो या दूर हो, मां हर कुछ बच्चे के आवाज सुन पकड़ लेती है। बिहार बोर्ड मैट्रिक के स्टेट टॉपर सावन राज भारती ने बताया कि मेरी मां कम पढ़ी है, लेकिन उनका अनुभव देखकर मुझे लगता है कि हर मां ऐसी ही होती हैं। भगवान ने हर मां का दिल एक जैसा बनाया है। मैं बहुत गरीब परिवार से हूं। जिस दिन सिमुलतला आवासीय विद्यालय में नामांकन हुआ तो वो बहुत खुश थीं। हर महीने मुझसे मिलने आती थीं। बस हमेशा खुश रहने और शांत होकर पढ़ाई करने को उत्साहित करती थीं। मेरी आवाज सुन कर वो मेरी हर परेशानी पकड़ लेती थी। सावन राज भारती की मां शबनम कुमारी ने बताया कि मैं तो पढ़ नहीं पायी, लेकिन अपने सपने बच्चे में देख रही हूं। बस हमेशा उसे सही रास्ते पर चलने की सीख देती रही।
पॉजिटिव सोच से मैं हमेशा अपनी मां से जुड़ी रही
मेरी मां हमेशा कहती है कि अगर हम सकारात्मक सोचते हैं तो आपके पास का सारा वातावरण भी सकारात्मक होता है। यह कहना है आईसीएसई की 10वीं की स्टेट टॉपर वारुणी वत्स का। उसने बताया कि पॉजिटिव सोच ही मेरी और मेरी मां के बीच सबसे मजबूत कड़ी है। यह सब कब हुआ यह मुझे भी पता नहीं चला पर मेरी सफलता में इसका बहुत योगदान है। मेरी बड़ी दीदी त्रिसला और मां का हर पल साथ मिलता गया और मै आगे निकलती चली गयी। कभी भी परेशानी हुई पोजिटिव सोच ने बाहर निकलती चली गयी। वारुणी वत्स की मां रश्मि झा ने बताया कि मुझे लगता है कि संगीत एक ऐसा माध्यम है जो हमें टेंशन आदि से दूर करता है। बच्चे के उपर पढ़ाई का दबाव कम हो, इसके लिए मैने बेटी को भरतनाट्यम सिखाया। इसका बहुत फायदा मिला।
कभी दोस्त की जरूरत नहीं हुई क्योंकि मेरी दोस्त भी है मेरी मां
कभी टीचर बन कर तो कभी दोस्त बन कर, कभी डांट कर तो कभी प्यार से समझाती है। जब भी मौका लगता है तो वो मेरे साथ रहती है। सीबीएसई का 10वीं बोर्ड टॉपर प्रियांशु कुमार ने बताया कि मुझे मेरी मां का साथ इतना मिलता है कि कभी मुझे दोस्त की जरूरत महसूस नहीं हुई, क्योंकि मेरी मां मेरी सबसे अच्छी दोस्त है। उनकी मुस्कुराहट मेरी ताकत है। वहीं प्रियांशु कुमार की मां डॉ. अर्चना सिन्हा ने बताया कि मेरे कॅरियर में मेरे बेटे का बहुत योगदान रहा है। मैं जब मेडिकल की पढ़ाई कर रही थी तो उसे कभी नानी और दादी के पास छोड़ देती थीं। जब जरूरत हुआ तो उसे समझाया। उसकी सबसे बड़ी खासियत है कि वो पढ़ाई को ही इंज्वाय करता है। कॅरियर के लिए उसे खुला विकल्प छोड़ दिया है। कभी उस पर दबाव नहीं डालती हूं।