सरकारी अस्पतालों में 1 मिनट में होगा इलाज, एसीएस प्रत्यय अमृत ने किया टाइट; रेप पीड़िता की मौत के बाद नींद खुली
अस्पतालों को कहा गया है कि कई बार ऐसे मरीज आते हैं, जिनके इलाज के लिए कई विभागों की सहभागिता की जरूरत होती है। ऐसे मामले में सभी विभागों से समन्वय बनाते हुए त्वरित इलाज होना चाहिए।

बिहार में इमरजेंसी मरीजों का तत्काल बेहतर इलाज सुनिश्चित करने को लेकर स्वास्थ्य विभाग ने नए मानक तय किए हैं। इसको लेकर विभाग ने सभी मेडिकल कॉलेज अस्पतालों और जिला अस्पतालों को लिखित दिशा-निर्देश जारी किया है। इमरजेंसी मरीजों के अस्पताल में आते ही कौन-कौन सी पहल करनी है, इसको लेकर विस्तार से जानकारी इसमें दी गई है। स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव प्रत्यय अमृत ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से मीटिंग कर मानकों के अनुसार कार्य करने का निर्देश भी दिया है।
इस संबंध में विभागीय पदाधिकारी बताते हैं कि पीएमसीएच और मुजफ्फरपुर स्थित एसकेएमसीएच में दुष्कर्म पीड़िता के इलाज को लेकर उठे सवाल के बाद नए सिरे से यह मानक तय किए हैं, ताकि किसी भी स्तर पर कोई लापरवाही नहीं हो, इसे सुनिश्चित किया जा सके। मालूम हो दुष्कर्म पीड़िता के निधन के बाद उक्त दोनों ही अस्पतालों में पदाधिकारियों के ऊपर कार्रवाई की गई है। साथ ही दोनों अस्पतालों में जांच टीम भेजकर पूरे मामले की छानबीन भी की गयी है।
विभागों से समन्वय बना होगा मरीजों का त्वरित इलाज
हर मरीज को सही समय पर सही इलाज मिले, यह सुनिश्चित करने का निर्देश अस्पतालों को दिया गया है। अस्पतालों को कहा गया है कि कई बार ऐसे मरीज आते हैं, जिनके इलाज के लिए कई विभागों की सहभागिता की जरूरत होती है। ऐसे मामले में सभी विभागों से समन्वय बनाते हुए त्वरित इलाज होना चाहिए। विभाग का यह भी निर्देश है कि हर महीने समीक्षा बैठक कर उपलब्ध सुविधाओं की जायजा लें और कर्मियों को संवेदीकरण करते रहें।
हर माह समीक्षा बैठक कर उपलब्ध सुविधाओं का जायजा लेगी टीम
विभाग ने अस्पतालों को सख्त हिदायत दी है कि अति गंभीर मरीजों का इलाज एक मिनट के अंदर शुरू हो जाना चाहिए। विभाग ने यह भी तय किया है कि हर मेडिकल कॉलेज और जिला अस्पताल में इमरजेंसी के लिए कोर टीम गठित होगी। तीनों शिफ्ट के लिए अलग-अलग टीम होगी, ताकि 24 घंटे यह सुविधा वहां उपलब्ध रहे। इस टीम में एक केजुअल्टी मेडिकल ऑफिसर, चार नर्स, एक फार्मासिस्ट, एक लैब तकनीशियन, एक एक्स-रे तकनीशियन, दो ड्रेसर और अन्य सहयोगी कर्मी रहेंगे। पूरी टीम की सामूहिक भागीदारी इलाज में सुनिश्चित की जाएगी।
इमरजेंसी में यह नहीं कहा जा सकता कि बेड नहीं हैं
मेडिकल कॉलेज अस्पतालों को विशेष रूप से कहा गया है कि इमरजेंसी में किसी को यह नहीं कहा जा सकता है कि बेड नहीं हैं। विभाग ने यह भी कहा है कि गंभीर मरीजों के सही इलाज के प्रबंधन में कोई कमी रहने पर अक्सर विधि-व्यवस्था का मसला सामने आ जाता है। इमरजेंसी विभाग अस्पताल में उपलब्ध स्वास्थ्य सेवाओं का आइना होता है। इसलिए गंभीर मरीजों का तुरंत बेहतर-से-बेहतर इलाज आवश्यक है।