निलंबित सीओ प्रिंस राज के ठिकानों पर बिहार और झारखंड में छापे, विजिलेंस को क्या मिला?
आरोप हैं कि प्रिंस राज ने सुपौल में अंचलाधिकारी रहते हुए भ्रष्टाचार के जरिए काली कमाई की। उन्हें सरकार ने पूर्व में निलंबित किया था और आय से अधिक संपत्ति का मामला चल रहा है।

बिहार के निलंबित अंचलाधिकारी (सीओ) प्रिंस राज के चार ठिकानों पर एक साथ छापेमारी की गई। विशेष निगरानी इकाई (स्पेशल विजिलेंस यूनिट) ने मधुबनी और शेखपुरा के अलावा झारखंड के हजारीबाग में भी बुधवार को रेड मारी। इस दौरान प्रिंस राज और उनकी पत्नी के नाम पर कई आवासीय मकान और फ्लैट की जानकारी मिली है। उनके विभिन्न बैंक खातों और निवेश की भी जानकारी मिली है। बताया जा रहा है कि प्रिंस राज ने अपनी जन्म तारीख में हेरफेर कर चार साल तक अवैध नौकरी का अवैध लाभ भी लिया।
बिहार की विशेष निगरानी इकाई ने बुधवार को मधुबनी जिले के बेनीपट्टी में झिकटी स्थित प्रिंस राज के आवास, शेखपुरा जिले के अरियरी में सीओ अंकु गुप्ता के आवास, मधुबनी रेलवे स्टेशन के समीप चकधर स्थित उनके निर्माणाधीन आवास और झारखंड के हजारीबाग में दीपागरधा स्थित आवासीय परिसर में एक साथ छापेमारी की। हजारीबाग के बैंक ऑफ इंडिया में प्रिंस राज की पत्नी अंकु गुप्ता के नाम पर एक लॉकर की भी जानकारी मिली है, जिसकी छानबीन चल रही है।
प्रिंस राज के आवास से मैट्रिक परीक्षा पास करने के दो प्रमाण पत्र मिले हैं। पहले प्रमाण पत्र में धर्मेंद्र कुमार के नाम से द्वितीय श्रेणी में पास दिखाया गया है। वहीं, दूसरे प्रमाण पत्र में प्रिंस राज के नाम से प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण दिखाया गया है। दूसरे प्रमाण पत्र का ही इस्तेमाल कर प्रिंस ने बीपीएससी की परीक्षा पास की थी।
बताया जा रहा है कि विजिलेंस यूनिट ने यह कार्रवाई भ्रष्टाचार और आय से अधिक संपत्ति से जुड़े मामले में की गई। प्रिंस राज पर सुपौल में अंचलाधिकारी रहते हुए काली कमाई से अकूत संपत्ति बनाने का आरोप है। सूत्रों के अनुसार, छापेमारी टीम में आर्थिक अपराध इकाई (ईओयू) और साइबर विशेषज्ञ भी शामिल रहे। कार्रवाई के दौरान टीम को कई ऐसे दस्तावेज और बैंकिंग ट्रेल्स मिले हैं जो उनकी घोषित आय की तुलना में 90% से अधिक संपत्ति के संकेत दे रहे हैं।
हालांकि सरकार पहले ही प्रिंस राज को निलंबित कर चुकी है। अब उनके खिलाफ कड़ा कानूनी शिकंजा कसना तय माना जा रहा है। बताया जा रहा है प्रारंभिक जांच में जिन लेन-देन और अघोषित संपत्तियों का पता चला था, उन्हीं को आधार बनाकर एसवीयू ने कोर्ट से सर्च वारंट लेकर यह कार्रवाई की।