संकल्प-सिद्धि के ग्यारह साल
वर्ष 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब भारत की बागडोर संभाली, तब देश एक अहम मोड़ पर खड़ा था। एक ऐसा देश, जहां आकांक्षाएं तो थीं, पर उनके पूरे होने की दिशा स्पष्ट न थी। मगर बीते 11 वर्षों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में…

पीयूष गोयल, केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री
वर्ष 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब भारत की बागडोर संभाली, तब देश एक अहम मोड़ पर खड़ा था। एक ऐसा देश, जहां आकांक्षाएं तो थीं, पर उनके पूरे होने की दिशा स्पष्ट न थी। मगर बीते 11 वर्षों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत ने जिस दिशा और गति से विकास की यात्रा तय की है, वह आज ‘न्यू इंडिया’ के रूप में दुनिया के सामने खड़ा है। आज का भारत आत्मविश्वास से भरा, आत्मनिर्भरता की ओर अग्रसर और वैश्विक मंचों पर अपनी स्पष्ट आवाज रखने वाला राष्ट्र है।
इस बदलाव की शुरुआत गरीबों के जीवन-स्तर को सुधारने से हुई। आजादी के छह दशकों के बाद भी विशाल संख्या में भारतवासी घर, शौचालय, स्वच्छ पेयजल और स्वास्थ्य सेवा जैसी मूलभूत सुविधाओं से वंचित रहे। इस दिशा में पहल करते हुए प्रधानमंत्री आवास योजना व स्वच्छ भारत अभियान के तहत करोड़ों गरीब परिवारों को पक्के घर और शौचालय बनाकर दिए गए। उज्ज्वला योजना के माध्यम से नि:शुल्क गैस कनेक्शन देकर करोड़ों महिलाओं को धुएं से मुक्ति दिलाई गई, जबकि आयुष्मान भारत जैसी स्वास्थ्य योजना ने गरीबों को पांच लाख रुपये तक की बीमा सुरक्षा देकर उन्हें आर्थिक आपदा से बचाया। हर घर जल अभियान के माध्यम से करोड़ों ग्रामीण परिवारों को नल से जल उपलब्ध कराया गया।
ये योजनाएं कागजी नहीं थीं, बल्कि जमीनी हकीकत में तब्दील होकर ये आम जनजीवन को बदल चुकी हैं। जन-धन योजना के माध्यम से आजादी के बाद पहली बार करोड़ों भारतीयों को बैंकिंग व्यवस्था से जोड़ा गया, जिससे देश में आर्थिक समावेशन को मजबूती मिली है। बुनियादी ढांचे के क्षेत्र में भी भारत ने ऐतिहासिक प्रगति की है। जिन गांवों में कभी बिजली और पक्की सड़कें एक सपना हुआ करती थीं, वहां अब सोलर लाइटें जलती हैं। दूर-दराज के गांवों की राष्ट्रीय राजमार्गों से कनेक्टिविटी सुनिश्चित की जा चुकी है। स्मार्ट सिटी मिशन और मेट्रो परियोजनाओं ने शहरी जीवन की गुणवत्ता में सुधार किया है।
भारत की यह विकास यात्रा डिजिटल रूप से भी क्रांतिकारी रही है। डिजिटल इंडिया अभियान ने देश को तकनीकी रूप से सक्षम बनाया और यूपीआई ने तो भारत को दुनिया में सबसे अधिक डिजिटल लेन-देन करने वाला देश बना दिया है। आधार, मोबाइल और जन-धन की ‘त्रिमूर्ति’ ने ‘डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर’ को सहज बनाते हुए भ्रष्टाचार व बिचौलियों की भूमिका लगभग समाप्त कर दी। इसी तरह, महिला सशक्तीकरण मोदी सरकार की प्रमुख प्राथमिकताओं में रहा। बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ अभियान से लेकर मातृत्व अवकाश में वृद्धि और सुकन्या समृद्धि योजना जैसे कार्यक्रमों ने महिलाओं और बेटियों को सामाजिक व आर्थिक रूप से सशक्त किया है। एनडीए और भारतीय सेना में महिलाओं को स्थायी कमीशन जैसी पहल ने साबित किया है कि सरकार के लिए महिला सशक्तीकरण केवल नारा नहीं, बल्कि नीति और नीयत, दोनों का हिस्सा बन चुका है।
कृषि प्रधान देश होने के बावजूद हमारा कृषि क्षेत्र लंबे समय तक उपेक्षित रहा, मगर बीते एक दशक में कृषि क्षेत्र में अभूतपूर्व परिवर्तन आए हैं। आज पीएम किसान सम्मान निधि के माध्यम से देश के हर छोटे किसान को प्रत्यक्ष वित्तीय सहायता दी जा रही है। फसल बीमा योजना, ई-नाम पोर्टल, माइक्रो सिंचाई योजनाओं और ड्रोन टेक्नोलॉजी के प्रयोग ने कृषि को सिर्फ उपज की दृष्टि से नहीं, बल्कि आय के स्रोत के रूप में मजबूत किया है। शिक्षा और कौशल विकास के क्षेत्र में भी कई ऐतिहासिक पहल की गईं। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति से स्कूली शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा तक में गुणात्मक परिवर्तन आए हैं। स्किल इंडिया के अंतर्गत लाखों युवाओं को रोजगारपरक प्रशिक्षण दिया गया है, जिससे युवा अब नौकरी मांगने वाले नहीं, देने वाले बन रहे हैं।
स्वास्थ्य के क्षेत्र में भारत ने कोविड-19 महामारी के दौरान जो साहसिक और तेज निर्णय लिए, वे पूरी दुनिया में सराहे गए। स्वदेशी वैक्सीन बनाने और कोविन पोर्टल का सफल संचालन दर्शाता है कि भारत अब केवल उपभोक्ता नहीं, तकनीक व विज्ञान के क्षेत्र में उत्पादक, निर्माता देश भी है। प्रधानमंत्री मोदी की ‘लोकल को ग्लोबल’ बनाने की दूरदर्शी सोच ने मेक इन इंडिया, स्टार्टअप इंडिया और आत्मनिर्भर भारत अभियान के माध्यम से घरेलू उद्योगों एवं नवाचारों को वैश्विक प्रतिस्पर्द्धा में उतरने की शक्ति दी है। भारत आज तीसरा सबसे बड़ा ‘स्टार्टअप इकोसिस्टम’ बन चुका है।
एक ओर, जहां आर्थिक और तकनीकी विकास हुआ, वहीं सांस्कृतिक और धार्मिक पुनर्जागरण ने भी समाज में नई चेतना पैदा की है। अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि मंदिर का निर्माण काशी-विश्वनाथ धाम, महाकाल लोक और केदारनाथ पुनर्निर्माण जैसे प्रकल्पों ने सांस्कृतिक आस्था को सम्मान और भव्यता, दोनों दिए हैं। योग दिवस को वैश्विक मान्यता दिलाकर भारत ने पूरी दुनिया को भारतीय दर्शन से जोड़ने का भी कार्य किया है। स्वच्छता और पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में स्वच्छ भारत मिशन ने समाज में जागरूकता की नई क्रांति पैदा की। भारत अब सौर ऊर्जा व इलेक्ट्रिक मोबिलिटी में अग्रणी भूमिका निभा रहा है।
अंतरराष्ट्रीय संबंधों में भी हमने पहली बार ‘फॉलोवर’ से ‘लीडर’ की भूमिका निभाई है। जी-20 की अध्यक्षता, वैक्सीन मैत्री, अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन, ‘वॉइस ऑफ ग्लोबल साउथ’ जैसे प्रयासों ने भारत को विकासशील देशों का नेतृत्वकर्ता बना दिया है। भारत अब संयुक्त राष्ट्र की स्थायी सदस्यता की दिशा में गंभीर दावेदारी कर रहा है। नरेंद्र मोदी सरकार की सबसे बड़ी विशेषता उसकी राजनीतिक इच्छाशक्ति रही है, चाहे वह अनुच्छेद-370 को हटाने का ऐतिहासिक निर्णय हो, तीन तलाक जैसी सामाजिक बुराई को समाप्त करना हो या एक देश-एक कर जैसी जटिल, मगर आवश्यक व्यवस्था को लागू करना हो। पारदर्शी शासन और टेक्नोलॉजी का उपयोग कर देश में ‘अंत्योदय’ को व्यावहारिक रूप दिया गया है।
आज जब बीते 11 वर्षों की ओर पीछे देखें, तो स्पष्ट दिखता है कि यह केवल योजनाओं की सूची नहीं है, बल्कि एक राष्ट्रीय पुनर्जागरण की जीवंत तस्वीर है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश ने ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास’ का संकल्प लिया था, वह अब नारा नहीं, भारत की पहचान बन चुका है। यह सिद्धि केवल सरकार की नहीं, हर उस नागरिक की है, जिसने इस संकल्प में आस्था रखी। यही 21वीं सदी के भारत का असली परिचय है।
(ये लेखक के अपने विचार हैं)
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