A name that became a symbol of trust Dr P K Pandey एक नाम जो बना विश्वास का प्रतीक : डॉ. पी. के. पाण्डेय, Brand-post Hindi News - Hindustan
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एक नाम जो बना विश्वास का प्रतीक : डॉ. पी. के. पाण्डेय

चिकित्सक बनने की प्रेरणा जब सेवा की भावना से उपजे तो उसका परिणाम समाज में सकारात्मक परिवर्तन के रूप में सामने आता है। डॉक्टर पी. के. पाण्डेय की जीवन यात्रा भी कुछ ऐसी ही है,

Brand PostFri, 30 May 2025 02:54 PM
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एक नाम जो बना विश्वास का प्रतीक : डॉ. पी. के. पाण्डेय

चिकित्सक बनने की प्रेरणा जब सेवा की भावना से उपजे तो उसका परिणाम समाज में सकारात्मक परिवर्तन के रूप में सामने आता है। डॉक्टर पी. के. पाण्डेय की जीवन यात्रा भी कुछ ऐसी ही है, जहां संघर्षों को पार करते हुए उन्होंने न सिर्फ चिकित्सा क्षेत्र में अपना नाम स्थापित किया, बल्कि सामाजिक सरोकारों को भी अपने कार्यक्षेत्र का हिस्सा बनाया।

डॉ. पी. के. पाण्डेय की कहानी सिर्फ एक डॉक्टर की नहीं, बल्कि एक प्रेरणास्रोत की भी है। संघर्ष से सफलता तक का उनका सफर, समाज और सेवा के प्रति उनका समर्पण, तथा भविष्य के लिए उनकी दूरदृष्टि - ये सभी पहलू हमें यह सिखाते हैं कि अगर इच्छा सच्ची हो, तो कोई भी सपना असंभव नहीं है। चिकित्सा उनके लिए केवल पेशा नहीं, बल्कि समाज के लिए समर्पण है और यही उन्हें एक सच्चा "जन-चिकित्सक" बनाता है।

किसान परिवार में हुआ जन्म

डॉ. पी. के. पाण्डेय का जन्म एक सामान्य किसान परिवार में हुआ। उनके पिता श्री केदारनाथ पाण्डेय एक मेहनती किसान हैं, जो आज भी खेती-बाड़ी से जुड़े हुए हैं। माता स्व. तपेश्वरी देवी एक आदर्श गृहिणी थी, जिन्होंने पारिवारिक संस्कारों की मजबूत नींव रखी। डॉक्टर साहब की पत्नी श्रीमती विद्यावती देवी भी एक गृहिणी है। उनके दो संतान है बेटा हर्ष पाण्डेय, जो कक्षा 6वीं में पढ़ाई कर रहा है और बेटी ऋचा पाण्डेय, जो 11 वीं कक्षा की छात्रा है। डॉ. पाण्डेय बताते हैं, जब मैंने इंटर पास किया, तो कई लोगों ने सुझाव दिया कि चिकित्सा क्षेत्र में जाना एक श्रेष्ठ विकल्प होगा। उस समय गांवों और जिलों में डॉक्टरों की संख्या बेहद कम थी। बीमारियों के इलाज के लिए लोगों को काफी दूर जाना पड़ता था। यह देखकर मेरे मन में ठान लिया कि मैं एक चिकित्सक बनूंगा और अपनी सेवा अपने राज्य को दूंगा।

शैक्षणिक उपलब्धियां और सैन्य सेवा का अनुभव

इस प्रेरणा को लक्ष्य में बदलने के लिए डॉ. पाण्डेय ने मेहनत शुरू की और सफलता के पहले सोपान के रूप में उन्होंने पीएमटी (प्री-मेडिकल टेस्ट) क्वालीफाई किया। इसके बाद उन्होंने मोतीलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज, इलाहाबाद से एमबीबीएस की डिग्री प्राप्त की। पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने भारतीय सेना में बतौर चिकित्सक सेवा देने का निर्णय लिया। सेना में उन्होंने मेजर रैंक तक की सेवा की और पांच वर्षों तक सैनिको के स्वास्थ्य की देखभाल की। इस दौरान न केवल उन्होंने अपनी चिकित्सकीय दक्षता को बढ़ाया बल्कि अनुशासन और नेतृत्व जैसे गुणों को भी अपनाया। इसके बाद आर्मी हॉस्पिटल में एमडी (पीडियाट्रिक्स) करने का अवसर मिला, जिससे उन्हें बाल रोग चिकित्सा में विशेषज्ञता हासिल हुई।

समाजसेवा के प्रति अटूट समर्पण

डॉ. पाण्डेय चिकित्सा सेवा के साथ-साथ सामाजिक उत्तरदायित्व को भी प्रमुखता देते हैं। उनका मानना है कि समाज को केवल इलाज से नहीं, बल्कि सामाजिक सुधारों से भी स्वस्थ बनाया जा सकता है। इसी सोच के साथ वे कई सामाजिक गतिविधियों से जुड़े हुए हैं। सामूहिक विवाह आयोजन और शैक्षणिक कोचिंग कार्यक्रम उनके प्रमुख प्रयासों में से हैं। वे बताते हैं, "हम 11 वीं कक्षा के लिए 25 बच्चों को चयन प्रक्रिया के माध्यम से निःशुल्क कोचिंग उपलब्ध कराने जा रहे हैं। चयन हेतु टेस्ट और इंटरव्यू की प्रक्रिया अपनाई जाएगी।" यह कार्यक्रम आर्थिक रूप से कमजोर लेकिन प्रतिभाशाली विद्यार्थियों को नई दिशा देने के लिए शुरू किया जा रहा है।

आसान नहीं थी राह, परिवार का मिला साथ

डॉ. पाण्डेय यह स्वीकार करते हैं कि उनकी राह आसान नहीं थी। एक किसान परिवार से आने के कारण प्रारंभिक आर्थिक चुनौतियां थी, लेकिन परिवार का सहयोग उन्हें लगातार प्रेरित करता रहा। वह बताते हैं कि मेरी सफलता में मेरे पिता का सहयोग अमूल्य रहा। कठिन समय में भी उन्होंने मुझे पढ़ाई से विचलित नहीं होने दिया।

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बिहार वापसी और अत्याधुनिक मां मुंडेश्वरी अस्पताल की स्थापना

सेना से रिटायरमेंट लेने के बाद डॉ. पाण्डेय ने बिहार लौटकर अपने जिले बक्सर में एक ऐसे हॉस्पिटल की स्थापना की, जहां अत्याधुनिक मशीनों और तकनीक के साथ गुणवत्तायुक्त चिकित्सा सुविधा उपलब्ध हो सके। 2018 में उन्होंने बक्सर जिले में "सेव बेबी विद सेफ माइंड" की सोच के साथ एक बाल रोग केंद्र की स्थापना की। High Frequency Ventilator, Therapeutic Hypothermia, Inhaled Nitric Oxide सहित अन्य आधुनिक उपकरण से सुसज्जित यह बिहार का पहला अस्पताल है जो बक्सर जैसे छोटे शहर में स्थित है। यहां ICU, वेंटिलेटर सहित आपातकालीन चिकित्सा सेवाएं मौजूद है। डॉ. पाण्डेय बताते हैं, हमारे हॉस्पिटल में पांच चिकित्सक कार्यरत हैं, जिनमें से तीन मुख्य डॉक्टर प्रतिदिन उपलब्ध रहते हैं। विशेष रूप से बच्चों के लिए हमने ऐसी मशीने उपलब्ध कराई है जो नवजात शिशु के रोने की क्रिया में विलंब होने पर मस्तिष्क पर पड़ने वाले प्रभाव को कम करने में मदद करती है।

हृदयविदारक अनुभव के बाद आया पीडियाट्रिशन बनने का विचार

जब डॉक्टर पी. के. पाण्डेय कैमूर जिले में रहते थे, तब उनकी पुत्री का जन्म वही के जिला अस्पताल में हुआ। दुर्भाग्यवश, अस्पताल में पर्याप्त चिकित्सा सुविधाओं की कमी के कारण वे अपनी बेटी को बचा नहीं पाए। इस हृदयविदारक अनुभव ने डॉक्टर पाण्डेय को यह महसूस कराया कि जिले में बच्चों के लिए विशेष रूप से प्रशिक्षित डॉक्टरों (बाल चिकित्सको) की अत्यंत आवश्यकता है। इसी भावना के साथ उन्होंने बाल चिकित्सा को अपने करियर का क्षेत्र चुना और यह संकल्प लिया कि वे जिले में बच्चों के लिए एक अत्याधुनिक अस्पताल की स्थापना करेंगे। उन्होंने ऐसे अस्पताल की नींव रखी, जिसमें हाई फ्रिक्वेंसी वेटीलेटर,, थेरेपेटिक हाइपोथर्मिया और इनहेल्ड नाइट्रिक ऑक्साइड जैसी आधुनिक उपकरण उपलब्ध है। यह अपने प्रकार का बिहार का पहला अस्पताल बना, जिसमें नवजात शिशुओं के उपचार के लिए विश्वस्तरीय व्यवस्थाएं की गई। इस अस्पताल में अब तक अनेक बच्चों की जान बचाई जा चुकी है, और साथ ही उनके मस्तिष्क को भी गंभीर नुकसान से सुरक्षित रखा गया है। डॉक्टर पाण्डेय का यह प्रयास जिले के स्वास्थ्य क्षेत्र में एक मील का पत्थर साबित हुआ है।

जरूरत के मुताबिक कंपोनेंट ब्लड की सुविधा शुरू

बक्सर जिले में लंबे समय तक कंपोनेंट ब्लड की व्यवस्था नहीं थी, जिसके चलते जरूरतमंद मरीजों को होल ब्लड (पूरा रक्त) लेना पड़ता था। जबकि चिकित्सकीय दृष्टिकोण से यह तरीका शरीर के लिए हमेशा उपयुक्त नहीं होता, क्योंकि कई बार मरीज को केवल प्लेटलेट, प्लाज्मा या रेड ब्लड सेल्स की ही आवश्यकता होती है। इस गंभीर समस्या को समझते हुए मां मुंडेश्वरी अस्पताल ने जिले में पहली बार कंपोनेंट ब्लड की सुविधा शुरू की। यह डॉक्टर साहब का दूरदर्शी विजन था, जिसे उन्होंने न केवल साकार किया बल्कि इसे सरकारी दरों पर उपलब्ध कराया, ताकि आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को भी इसका लाभ मिल सके। अब आवश्यकता अनुसार मरीज को सिर्फ वहीं ब्लड कंपोनेट दिया जाता है, जिसकी उसे जरूरत है-जैसे कि प्लेटलेट्स, प्लाज्मा या रेड ब्लड सेल्स जिससे उपचार अधिक प्रभावी और सुरक्षित हो पाया है। डॉक्टर साहब का यह प्रयास जिले की स्वास्थ्य सेवाओं में एक महत्वपूर्ण बदलाव साबित हुआ है।

भविष्य की योजनाएं

डॉ. पाण्डेय का सपना है कि उनका हॉस्पिटल न केवल बक्सर, बल्कि पूरे बिहार में बाल चिकित्सा क्षेत्र में एक उदाहरण बने। वे चाहते हैं कि यहां सभी आधुनिक उपकरण हो, इलाज की गुणवत्ता में कोई कमी न रहे, और गरीबों को भी बेहतर चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध हो।

 

 

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संदेश....

" आज की महंगी चिकित्सा व्यवस्था में यह बेहद जरूरी है कि हर व्यक्ति के पास हेल्थ इंश्योरेंस हो। इससे न सिर्फ परिवारों को राहत मिलती है, बल्कि समय पर इलाज की संभावना भी बढ़ जाती है। चिकित्सा सेवा का कार्य है। जब कोई पीड़ित व्यक्ति हमारे इलाज से स्वस्थ होता है, तो उससे बड़ी संतुष्टि कोई नहीं होती। समाज में चिकित्सकों की छवि लगातार बेहतर हो रही है और हमें इसे और सशक्त बनाना है।

डॉ. पी. के. पाण्डेय

पीडियाट्रिक्स

संक्षिप्त जीवन परिचय

नाम : डॉ. पी. के. पाण्डेय

शिक्षा: MBBS, MD (पीडियाट्रिक्स) बाल रोग विशेषज्ञ

पिता का नाम: केदारनाथ पाण्डेय

माता का नामः स्व. तपेश्वरी देवी

पत्नी का नाम: विद्यावती देवी

बेटा : हर्ष पाण्डेय

बेटी : ऋचा पाण्डेय

पता : मुख्य बाइपास रोड पर, बस स्टैंड के पास बाजार में स्थित

(अस्वीकरण : इस लेख में किए गए दावों की सत्यता की पूरी जिम्मेदारी संबंधित व्यक्ति/ संस्थान की है)

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