विदेशों में भी किफायती और प्रभावी होम्योपैथी चिकित्सा का परचम लहरा रहे हैं डॉ. राम कुमार
डॉ. राम कुमार सिर्फ भारत तक ही सीमित नहीं हैं। विदेशों से भी मरीज उनसे संपर्क करते हैं। टेलीफोन, इंटरनेट और अन्य माध्यमों से वे इलाज कराते हैं और बेहतर परिणाम भी प्राप्त कर रहे हैं। यह होम्योपैथी की व्यापकता और प्रभावशीलता को दर्शाता है।

कई बार जीवन हमें ऐसे मोड़ पर लाकर खड़ा कर देता है, जहां से आगे अंधकार ही अंधकार नजर आता है। जब पटना के बड़े डॉक्टरों ने कह दिया कि 95 प्रतिशत ब्लॉकेज है और अब कुछ नहीं हो सकता, तब एक बेटे ने अपनी मां के लिए जो किया, वह किसी प्रेरणास्रोत से कम नहीं। बात करीब 25 साल पुरानी है, जब डॉ. राम कुमार की माताजी गंभीर हृदय रोग से पीड़ित थीं। तमाम बड़े अस्पतालों में इलाज के बाद जब डॉक्टरों ने जवाब दे दिया, तब उनके पिता ने होम्योपैथी की ओर रुख किया। यही वह मोड़ था जिसने डॉ. राम कुमार को होम्योपैथी की राह पर चलने के लिए प्रेरित किया ओर डॉ. राम कुमार ने बी.आर.ए.बी.यू. से बी.एच.एम.एस. की डिग्री प्राप्त की और फिर एम.डी. (होम्योपैथिक) किया। वे अपने विश्वविद्यालय के गोल्ड मेडलिस्ट रहे। शिक्षा पूर्ण करने के बाद उन्होंने आर.बी.टी.एस. होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल, मुजफ्फरपुर में एसोसिएट प्रोफेसर के रूप में कार्यभार संभाला। वे डॉक्टर एसोसिएशन, रामदयालु, मुजफ्फरपुर के सचिव भी हैं।
डॉ. राम कुमार होम्योपैथी जगत में एक मिसाल हैं। डॉ. राम कुमार के पिता डॉ. केदारनाथ सिंह खुद एक होम्योपैथिक चिकित्सक रहे। वे वर्षों तक नि:स्वार्थ भाव से मरीजों की सेवा करते रहे। जब उनकी पत्नी बीमार हुईं, तब उन्होंने अपनी चिकित्सा पद्धति पर पूरा विश्वास जताया। उनके इसी विश्वास का नतीजा है कि आज 25 साल बाद भी डॉ. राम कुमार की माताजी स्वस्थ हैं और सामान्य जीवन जी रही हैं। इसी घटना ने डॉ. राम कुमार के जीवन की दिशा तय की। उन्होंने यह तय कर लिया कि वे भी अपने पिता की तरह इस चिकित्सा पद्धति के जरिए जरूरतमंदों की सेवा करेंगे।
विदेशों से भी संपर्क में रहते हैं मरीज
एक खास बात यह है कि डॉ. राम कुमार सिर्फ भारत तक ही सीमित नहीं हैं। विदेशों से भी मरीज उनसे संपर्क करते हैं। टेलीफोन, इंटरनेट और अन्य माध्यमों से वे इलाज कराते हैं और बेहतर परिणाम भी प्राप्त कर रहे हैं। यह होम्योपैथी की व्यापकता और प्रभावशीलता को दर्शाता है। डॉ. राम कुमार का मानना है कि होम्योपैथी को फर्स्ट चॉइस बनाना चाहिए। उनका कहना है कि अधिकतर मरीज तब आते हैं जब वे पहले ही एलोपैथी पर बहुत समय और पैसा खर्च कर चुके होते हैं। अगर शुरुआत में ही होम्योपैथी को चुना जाए तो न सिर्फ समय और पैसा बचेगा, बल्कि परेशानी भी कम होगी और रोग का समुचित इलाज संभव होगा।
अपने अनुभवों के आधार पर वे यह भी कहते हैं कि मरीज का इलाज केवल दवाइयों से नहीं होता, बल्कि सेवा भाव, पारदर्शिता और सच्ची नीयत भी उतनी ही जरूरी है।
मरीज डॉक्टर पर विश्वास करता है और डॉक्टर का यह कर्तव्य है कि वह उस विश्वास को पूरी ईमानदारी से निभाए।
युवा पीढ़ी के लिए उनका स्पष्ट संदेश है—"अगर आप चिकित्सा के क्षेत्र में आना चाहते हैं तो कड़ी मेहनत करें, ईमानदारी से काम करें और सेवा भावना को कभी न भूलें। यह क्षेत्र सिर्फ एक प्रोफेशन नहीं है, यह समाज सेवा का माध्यम है।"

मां के नाम पर मां शांति होमियो केयर की स्थापना
डॉ. राम कुमार ने माताजी के नाम पर 'मां शांति होमियो केयर' की स्थापना की, जहां वे पिछले 23 वर्षों से मरीजों का इलाज कर रहे हैं। यह क्लीनिक सिर्फ एक अस्पताल नहीं, बल्कि सेवा और समर्पण का प्रतीक बन चुका है। गरीब और जरूरतमंद मरीजों के लिए यह आशा की किरण है। हर रविवार वे अपने गांव जाकर नि:शुल्क सेवा देते हैं। गांव में मरीजों से केवल दवा का शुल्क लिया जाता है। सेवा को उन्होंने अपना धर्म बना लिया है और आज भी उसी भाव से अपने कर्तव्यों का निर्वहन कर रहे हैं। डॉ. राम कुमार की ख्याति केवल बिहार तक सीमित नहीं है। आज उनके पास भारत के कोने-कोने से मरीज इलाज के लिए आते हैं। कैंसर, ब्रेन स्ट्रोक, ल्यूकोडर्मा सोरायसिस, गठिया, कोमा जैसी जटिल बीमारियों से ग्रसित मरीज उनके यहां इलाज करवा चुके हैं। वे बताते हैं कि उनके पास ऐसे मरीज आते हैं जिन्हें एलोपैथी ने निराश कर दिया होता है, लेकिन होम्योपैथी में उन्हें नई उम्मीद मिलती है।
मरीजों की मुस्कान है सबसे बड़ी उपलब्धि
डॉ. राम कुमार के लिए सबसे बड़ी उपलब्धि कोई पुरस्कार या सम्मान नहीं, बल्कि मरीजों की मुस्कान और उनका स्वस्थ जीवन है। वे कहते हैं कि जीवन में कर्म ही सबसे बड़ा पुरस्कार है। मरीज जब स्वस्थ होकर उन्हें आशीर्वाद देते हैं, वही उनके लिए सबसे बड़ा सम्मान होता है। बिहार जैसे राज्य में, जहाँ स्वास्थ्य सुविधाएं अब भी अपेक्षाकृत सीमित हैं, वहां डॉ. राम कुमार जैसे डॉक्टरों की भूमिका और अधिक महत्वपूर्ण हो जाती है। वे न केवल चिकित्सा के क्षेत्र में बल्कि सामाजिक उत्तरदायित्व के मामले में भी एक आदर्श प्रस्तुत कर रहे हैं। मां के लिए किए गए इलाज से शुरू हुई यह यात्रा आज हजारों मरीजों की सेवा का जरिया बन चुकी है। यह कहानी सिर्फ एक डॉक्टर की नहीं, बल्कि एक बेटे की भी है, जिसने अपने विश्वास, मेहनत और समर्पण से होम्योपैथी को जन-जन तक पहुँचाने का कार्य किया है। ऐसे डॉक्टर सचमुच समाज का गौरव होते हैं और उनके जैसे लोग ही देश को नई दिशा देते हैं।
रविवार को करते हैं गांवों में सेवा
शहर में व्यस्त जीवन के बावजूद डॉ. राम कुमार हर रविवार गांव जाकर मरीजों की सेवा करते हैं। यह सेवा नि:शुल्क होती है, केवल दवाओं का मूल्य लिया जाता है। उनका मानना है कि सेवा ही उनका धर्म है और यही उद्देश्य उनके जीवन का केंद्रबिंदु है।
हर कठिन केस को चुनौती मानते हैं
उनके क्लीनिक में ऐसे अनेक मरीज आते हैं जो एलोपैथी से निराश हो चुके होते हैं। डॉ. राम कुमार उन्हें केवल इलाज नहीं, एक नई उम्मीद देते हैं। चाहे कोमा में गया मरीज हो, ब्रेन स्ट्रोक का शिकार या ल्यूकोरायोसिस जैसी जटिल बीमारी उन्होंने हर चुनौती को स्वीकारा और सफलता पाई। आज उनके पास 45 कैंसर मरीजों का इलाज चल रहा है।

अक्सर लोग सभी विकल्प आजमा कर जब थक जाते हैं, तब होम्योपैथी की ओर आते हैं। तब तक समय और पैसा दोनों बर्बाद हो चुके होते हैं। अगर शुरुआत से ही होम्योपैथी अपनाई जाए, तो बेहतर परिणाम मिल सकते हैं।
- डॉ. राम कुमार
उनका मानना है कि होम्योपैथी को लोगों की (फर्स्ट च्वाइस) बनना चाहिए।
डॉ. राम कुमार
(होम्यौपैथिक चिकित्सक)
संक्षिप्त जीवन परिचय
नाम : डॉ. राम कुमार
(होम्यौपैथिक चिकित्सक)
बी.एच.एम.एस. ( बी.आर.ए.बी.यू. ), एम.डी ( होम्योपैथिक ) गोल्ड मेडलिस्ट एसोसिएट प्रोफेसर आर.बी.टी.एस होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल, मुजफ्फरपुर, सचिव डॉक्टर एसोसिएशन रामदयालु, मुजफ्फरपुर (बिहार)
पिता : डॉ. केदारनाथ सिंह
माता : श्रीमति शांति देवी
पत्नी : रूबी कुमारी
भाई : लालबाबू सिंह (डालमिया में कार्यरत)
पुत्री : खुशी सिंह
पुत्र : उत्कर्ष राज
(अस्वीकरण : इस लेख में किए गए दावों की सत्यता की पूरी जिम्मेदारी संबंधित व्यक्ति / संस्थान की है)
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