Santosh touched the stars of the sky while living on the ground जमीन पर रहते हुए संतोष ने छुए आसमान के सितारे, Brand-post Hindi News - Hindustan
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जमीन पर रहते हुए संतोष ने छुए आसमान के सितारे

पश्चिम चंपारण के संतोष कुमार ने अपनी मेहनत और ईमानदारी से न सिर्फ व्यापार जगत में नाम कमाया, बल्कि समाजसेवा और पारिवारिक एकता का भी एक बेहतरीन उदाहरण पेश किया है।

Brand PostSat, 31 May 2025 04:57 PM
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जमीन पर रहते हुए संतोष ने छुए आसमान के सितारे

आज यह बाम जिले के हर व्यक्ति के खूब पर है। ऐसा कोई यक्षेत्र वहीं जिसमें संलीष कुमार कर नहीं है। बसाय हो या समाजसेवा, परिवार को संगठित कर बलाना हो या गरीब कन्याओं की शादी करवान, सभी में लोग संतेग कुमार से सीनाने की बात कहते हैं। कैसे जमीन पर रहते हुए आसमान के सितारों को छूए यह कोई उनसे सीखे। अमूमन समाज में अग्रिम पंक्ति में पहुंचने के बाद लोग पीछे देखना भूल जाते हैं। लेकिन संतोष ऐसे व्यक्ति हैं कि उनसे कोई जुड़ गया तो

उसे वह ताउम्र याद रखते हैं। वहीं अपने अतीत को याद रखते हैं और उससे सीखकर भविष्य गढ़ते हैं। व्यवसाय से लेकर सभी क्षेत्रों में उन्होंने ऐसा कर दिखाया है। 1997 में ही उन्होंने आदित्या ट्रेडिंग कंपनी की स्थापना की। यह कंपनी धान-गेहूं की खरीद बिक्री करती है। इसके बाद 2005 में शिक्षक के रूप में करियर शुरू करने वाले संतोष ने जिले के नामचीन व्यवसायियों और समाजसेवियों में स्थान बनाया है। वे शुरू से ही कुछ अलग करने की चाहत रखते थे। इसलिए 2014 में उन्होंने शिक्षक की नौकरी छोड़ दी। इसके बाद व्यवसाय की दुनिया में अंगद की तरह कदम रखा। 2015 में पांच लाख रुपये बैंक से कर्ज लेकर एमके कंस्ट्रक्शन कंपनी स्थापित की। शुरू में थोड़ी दिक्कत आई लेकिन सभी बाधाओं को पार करते हुए उन्होंने न सिर्फ ब्याज के साथ कर्ज चुकाया, बल्कि कंपनी को अपने मुकाम था पहुंचाया।

इस व्यवसाय के जरीय सैकड़ों लोगों को उन्होंने प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार दिया। अपनी मेहनत की बदौलत कंपनी का टर्नओवर 15 करोड़ रुपये से ऊपर पहुंच गया है। कंस्ट्रक्शन कंपनी के जरीए उन्होंने जिले में दर्जनों सड़कों, पुलों का गुणवतापूर्ण निर्माण किया।

इससे उसके पैर जमते गये। आज स्थिति है कि अंगद की तरह उनके पैर इस क्षेत्र में जम गये हैं। संतोष का कहना है कि यदि आप मेहनत और लगन से सही काम करें तो मंजिल आपके करीब आती है। सफलता आपके कदम चूमती है। मैंने भी यहीं किया, अपने काम के प्रति पूरी तरह ईमानदारी बरती। किसी भी स्थिति में गुणवत्ता से समझौता नहीं किया। इसके लिए मैंने दिन को दिन और रात को रात नहीं समझा, बस मेहनत करता गया। उम्मीद ही नहीं मुझे पूरा विश्वास था कि अपने तथ किये लक्ष्य को एक दिन जरूर प्राप्त करूंगा। अब यह मैंने हासित कर किया है।

 

 

 

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समाजसेवा के लिए हर समय तैयार रहते हैं संतोष :

संतोष कुमार ने न सिर्फ व्यवसाय की दुनिया में नाम कमाया, बल्कि समाजसेवा के क्षेत्र में भी उनका नाम सम्मान से लिया जाता है। बाढ़ हो या कोई अन्य आपदाए वे हमेशा अपने जिले के लोगों के साथ खड़े रहे। प्रत्येक जिले के कई प्रखंडों में आने वाले बाढ़ में पीड़ितों की मदद करते हैं। उन्हें खाद्य सामग्री से लेकर कपड़े तक उपलब्ध कराते हैं। उनका खुद का इलाज नवलपुर का दियारा क्षेत्र प्रत्येक वर्ष गंडक में आने वाली बाढ़ की चपेट में आता है। यहां के लोगों को वे बाढ़ का पानी रहने तक मदद कराते हैं। यहीं नहीं एक पखवाड़ा पूर्व चौतरवा थाना क्षेत्र के बथुवरिया देसरहिया में भीषण अगलगी हुई थी। इसमें सौ से अधिक लोगों के घर आग ने लील लिये। जानकारी होते ही संतोष कुमार वहां पहुंचे और आग से पीड़ित लोगों के हमदर्द बने। उन्हें खाद्य सामग्री, कपड़े आदि उपलब्ध कराया। इसके साथ ही अन्य किसी भी तरह की मदद के लिए अपने घर के दरवाजे पीड़ितों के लिए 24 घंटे खुले होने की बात कही।

प्रत्येक वर्ष कराते हैं 11 गरीब कन्याओं की शादी, मंदिर का उठाते हैं खर्च

संतोष कुमार गरीबों के मसीहा के रूप में जिले भर में जाने जाते हैं। नवलपुर बाजार में रामजानकी संस्था की और से प्रत्येक वर्ष सामूहिक विवाह का आयोजन किया जाता है। इसमें प्रत्येक वर्ष कल्याओं की शादी संतोष कुमार कराते हैं। सिर्फ वे कन्याओं की शादी के लिए राशि व सामग्री ही नहीं उपलब्ध कराते हैं, बल्कि शादी के बाद भी वे उस सच्ची को अपनी बेटी की तरह प्यार देते हैं। उसके सुख-दुख में हिस्सा बनते हैं। इसके साथ ही वे वर्ष 2000 में अपने दादा त्रिवेणी साह की ओर से बनवाये गये मंदिर का 2008 से खर्च उठाते हैं। दादा के बाद उनके चाचा ने मंदिर की देखभाल की, उसके बाद संतोष कुमार ने मंदिर की जिम्मेवारी खुद के ऊपर ले लिया। मंदिर के रख-रखाव से लेकर डेंट पेंट तक सभी खर्च संतोष उठाते हैं।

बड़े भाई मनोज की हत्या से टूट गया परिवार, संतोष ने संभाला

10 दिसंबर 2014 को संतोष के घर पर वज्रपात हुआ। उनके बड़े भाई मनोज गुप्ता की हत्या अपराधियों में कर दी। चार भाईयों का संतोष का परिवार इस वज्रपात से पूरी तरह टूट गया। दुःख की इस घड़ी में संतोष आगे आये और परिवार को संभाला। उन्होंने परिवार की जिम्मेदारी उठाई। उनके भाई डॉ. अखिलेश कुमार अपना अस्पताल चलाते हैं। डॉ. सरोज वर्मा नर्सिंग होम का संचालन अपनी पत्नी डॉ. आकांक्षा के साथ करते हैं। यहां उनके भाई मरीजों की सेवा भी करते हैं। ई. मिथिलेश गुप्ता को भी उहोंने संभाला और आज भी चारों भाइयों का परिवार एक साथ हंसी-खुशी साथ रहता है। बड़े भाई मनोज की याद में वे प्रत्येक वर्ष 10 दिसंबर को हेल्थ चेकअप कैंप लगाते हैं। इसमें मरीजों के इलाज हो लेकर दवा तक का खर्च उठाते हैं। बड़ी बहन गायत्री देवी और प्रेमशिला देवी भी संतोष की परिवार को एक धागे में बांधकर साथ रहने की कला की दाद देती हैं। संतोष के बड़े पुत्र शिवम् गुप्ता बीटेक करने के बाद एमटेक की तैयारी कर रहे हैं। वहीं दूसरे पुत्र सुंदरम गुप्ता देहरादून से एमबीए कर रहे हैं। वे फर्स्ट सेमेस्टर के छात्र है। संतोष में अपनी सूझ-बुझ से सुनामी से अपने परिवार को निकालने के साथ उसे आगे भी बढ़ाया। वर्तमान में लोग न्यूक्लियर फैमिली की बात करते हैं, शादी के बाद लोगों के घर टूट जा रहे हैं। लेकिन संतोष का परिवार बढ़ रहा है, लेकिन छोटा नहीं हो रहा है। सब साथ रह रहे हैं। इसके लिए लोग उन्हें उदाहरण के तौर पर देखते है।

 

 

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संक्षिप्त जीवन परिचय

नाम: संतोष कुमार

पिता: स्व. विश्वनाथ प्रसाद गुप्ता

माता: आदित्या देवी

एजुकेशन: इंटर

पत्नी: मंजू देवी

बच्चे: शिवम गुप्ता, सुंदरम गुप्ता

व्यवसाय: एमडी, एमके कंस्ट्रक्शन व आदित्य ट्रेडिंग कंपनी

पता: सेमरी भवानीपुर, थाना-नवलपुर, प्रखंड - योगापट्टी, पश्चिम चंपारण

(अस्वीकरण : इस लेख में किए गए दावों की सत्यता की पूरी जिम्मेदारी संबंधित व्यक्ति / संस्थान की है)

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