बोले मेरठ : समस्याओं के दलदल में फंसा मोहकमपुर गांव
Meerut News - मेरठ का मोहकमपुर क्षेत्र विकास से कोसों दूर है। यहां के लोग टूटी सड़कों, गंदगी और जलभराव से जूझ रहे हैं। पिछले कई वर्षों में प्रशासनिक आश्वासनों के बावजूद समस्याएं जस की तस बनी हुई हैं। इलाके में...

मेरठ शहर की रफ्तार आज रैपिड रेल की गति से दौड़ रही है, लेकिन इस दौड़ती-भागती जिंदगी में मोहकमपुर क्षेत्र जैसे इलाके अब भी वहीं खड़े हैं, जहां वर्षों पहले थे। विकास से कोसों दूर, समस्याओं के दलदल में फंसा मोहकमपुर, वार्ड छह का हिस्सा है। जिसे नगर निगम में शामिल हुए 35 साल से भी अधिक हो चुके हैं। इतने लंबे समय में न जाने कितनी सरकारें आईं और गईं, लेकिन इस इलाके की तकदीर नहीं बदली। आज भी इस इलाके में पहुंचने के लिए लोगों को जद्दोजहद करनी पड़ती है और टूटे-फूटे, गंदगी से भरे रास्ते से होकर गुजरना पड़ता है।
जिसके बनने का आज भी लोग इंतजार कर रहे हैं। दिल्ली रोड पर रैपिड स्टेशन से पहले मोहकमपुर गांव है, कभी यह क्षेत्र दो पार्षदों के अधीन आता था, जब मेरठ में सिर्फ 30 वार्ड होते थे, और जनसंख्या भी दो से ढाई हजार हुआ करती थी। यहां सबसे पहले पार्षदी के चनुाव 1989 में हुए थे और कालूराम ठेकेदार व कैलाशचंद भारती पार्षद चुने गए थे। आज शहर बढ़ गया है, इस इलाके की जनसंख्या भी पंद्रह हजार के लगभग पहुंच गई है। दर्जनों फैक्ट्रियां इस इलाके की शान हैं और रैपिड मेट्रो की लाइनें मोहकमपुर के बाहर से निकल चुकी है, लेकिन इस क्षेत्र में अंदर प्रवेश करने के लिए आज भी टूटी सड़कें, गंदगी और बदहाल व्यवस्था दिखाई देती है। हिन्दुस्तान बोले मेरठ की टीम ने इस क्षेत्र की समस्याओं को लेकर यहां के लोगों से संवाद किया, उनका दर्द जानने की कोशिश की। टूटी सड़कें तोड़ती उम्मीदें रैपिड रेल स्टेशन से चंद कदम की दूरी पर दिल्ली रोड से मोहकमपुर गांव क्षेत्र में जाने का मुख्य मार्ग है। यह पूरा रास्ता कीचड़, गंदगी और जलभराव से जूझ रहा है। इस रास्ते से रोजाना इलाके में रहने वाले हजारों लोग, फैक्ट्रियों के मजदूर और स्कूली बच्चे गुजरते हैं। इस रास्ते पर चलना एक जोखिमभरा काम है, गड्ढों से भरा, कीचड़ से सना और हर पल दुर्घटना का डर बना रहता है। लोगों का कहना है कि इस रास्ते पर आने से पहले लोग कई बार सोचते हैं। हर दिन कोई न कोई गिरकर घायल हो जाता है। कई बच्चों को स्कूल छोड़ना पड़ा, क्योंकि रास्ता ही उन्हें स्कूल तक नहीं जाने देता। आश्वासन बहुत मिले, समाधान एक भी नहीं यहां रहने वाले ओमपाल सिंह, मनोज कुमार, अभिषेक, नीरज कुमार और रूपचंद गौतम रास्ते की हालत दिखाते हुए कहते हैं, कि पिछले चार साल से यह रास्ता टूटा पड़ा है, जबकि मोहकमपुर में लोगों के आने का यही मुख्य रास्ता है। इसके किनारे बना नाला उफनता रहता है, उसका गंदा पानी इस रास्ते पर बहता है, जिसकी कोई निकासी नहीं है। कई बार इस रास्ते को लेकर धरने दिए, अधिकारियों के चक्कर लगाए। कई बार कमिश्नर के यहां ट्रैक्टर भरकर लोग गए, हर बार एक ही जवाब मिला, काम जल्द होगा। लेकिन यह 'जल्द' कभी 'आज' नहीं बन पाया। इस रास्ते का निस्तारण आजतक नहीं हुआ, समस्याएं जस की तस बनी हुई हैं। गंदगी की गिरफ्त में ज़िंदगी यहां के लोगों का कहना है कि इलाके की सफाई व्यवस्था एकदम खराब है। नालियां कचरे से चोक हैं, कूड़ा कई-कई दिनों तक पड़ा रहता है। बारिश के मौसम में पूरा मोहकमपुर मानों तालाब बन जाता है। पूरे इलाके में ड्रेनेज सिस्टम ही नहीं है, निकासी की व्यवस्था नदारद है। इलाके में संक्रमण फैलने का डर हर घर में रहता है। छोटे बच्चों की सेहत पर इसका सीधा असर पड़ता है। कई बार गंभीर बीमारियां घरों में दस्तक दे चुकी हैं। नालियों और नालों की सफाई हुए लंबा समय बीत गया है। मोहकमपुर आने वाले रास्ते के किनारे खाली जगह पर इलाके का पानी इकट्ठा होता है। जो दिन-ब-दिन जानलेवा सबित होता जा रहा है। तालाब बना बीमारी का घर मोहकमपुर गांव के लोग इलाके के बीचोंबीच बने एक पुराने तालाब पर लेकर गए, जहां के हालात बहुत ही खराब थे। चारों ओर गंदगी का अंबार था, तालाब की जगह कूड़ा-करकट और गंदा पानी भरा हुआ था। लोगों का कहना है कि कभी यह तालाब 16 बीघा में फैला हुआ। इलाके का पानी इसमें जाया करता था, लेकिन गंदगी नाम को नहीं थी। लेकिन आज यह सिर्फ चार बीघा रह गया है, जिसे अतिक्रमण और गंदगी ने निगल लिया। यह तालाब अब गंदे पानी और बीमारियों का केंद्र बन चुका है। इसके आसपास लोग रह तो रहे हैं, लेकिन यहां सांस लेना दूभर हो जाता है। जहरीले कीड़े-मकौड़े इसमें पनप रहे हैं। कैंसर और अन्य बीमारियों को दावत इलाके में मौजूद तालाब को देखते ही लोगों की हालत का अंदाजा लगाया जा सकता है, जिसको लेकर लोगों का कहना है, कि आसपास के इलाकों शेखपुरा, नई बस्ती से गंदा पानी आता है। इस तालाब की स्थिति बहुत ही खराब हो चुकी है, आसपास रहने वाले बच्चों में खांसी, बुखार और त्वचा रोग आम हो गए हैं। तालाब के पास रहने वाले अमित कहते हैँ, कि तालाब में गंदगी के कारण कैंसर जैसी बीमारी ने लोगों को जकड़ लिया है। फैक्ट्रियों का कैमिकल वाला गंदा पानी भी इसकी एक वजह है। इस जगह की साफ-सफाई करने के बाद भराव कराया जाए और सौंदर्यकरण हो तो लोगों को राहत मिलेगी। श्मशान और शिक्षा के मंदिर तक का कठिन सफर इस क्षेत्र के लोगों का कहना है कि सबसे बड़ी समस्या तब सामने आती है, जब कोई व्यक्ति दुनिया से चला जाता है। मोहकमपुर से श्मशानघाट तक जाने वाला यही रास्ता है और सबसे बदहाल है। जहां से शवयात्रा केवल चार कंधों पर ही निकल पाती है। उसके बाद लोग मजबूरन दूसरे रास्तों से श्मशान तक पहुंचते हैं। यश चौधरी कहते हैं कि स्कूल जाने के लिए भी बच्चों को जूझना पड़ता है, इस रास्ते से बच्चे निकल ही नहीं पाते हैं। कई बार बच्चे गिरकर घायल हो जाते हैं, कपड़े गंदे हो जाते हैं और बहुत से बच्चों ने तो स्कूल ही आना बंद कर दिया। इस रास्ते का किसी तरह उद्धार हो जाए। रास्तों पर अंधेरा, स्ट्रीट लाइटें बेकार लागों का कहना है, कि रात के समय इस इलाके में सन्नाटा और अंधेरा हो जाता है। इलाके में अधिकतर स्ट्रीट लाइटें जलती ही नहीं हैं। मुख्य रास्ते पर अंधेरा होने के कारण कई बार घटनाएं हो चुकी है। कामगार महिलाएं और छात्राएं इस सुनसान, टूटे-फूटे रास्ते से निकलती हैं। स्कूल में पढ़ने वाली संजना कहती है, कि किसी तरह इस रास्ते को ठीक किया जाए और स्ट्रीट लाइट की व्यवस्था हो, तभी जाकर लोगों को सुरक्षित महसूस होगा। इस खराब रास्ते की वजह से लड़कियों और महिलाओं का आना-जाना भी दूभर हो गया है। सीएचसी या पीएचसी की हो व्यवस्था मोहकमपुर के लोगों का कहना है कि इलाके में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की व्यवस्था होनी चाहिए, ताकि बीमार लोगों का इलाज कराया जा सके। क्योंकि जिला अस्पताल और मेडिकल कॉलेज काफी दूर हैं। यह इलाका नगर निगम में आता है, शहर का हिस्सा है, लेकिन स्थिति गांव से भी बदतर है। लोग बीमार होते रहते हैं, लेकिन उनके इलाज की आसपास व्यवस्था नहीं है। लोगों की मांग है कि मुख्य मार्ग का पुनर्निर्माण, जल निकासी की उचित व्यवस्था, तालाब की सफाई और सौंदर्यकरण, स्ट्रीट लाइट्स लगाई जाएं। समस्या - मुख्य मार्ग क्षतिग्रस्त और कीचड़ से भरा हुआ है - पूरे इलाके में निकासी की कोई व्यवस्था नहीं है - खंभों पर स्ट्रीट लाइटें अधिकतर खराब स्थिति में हैं - गांव के बीचोंबीच तालाब संक्रमण का केंद्र बना हुआ है - नालियां और नाले पूरी तरह चोक हुई पड़ी हैं सुझाव - मोहकमपुर में आने वाले मुख्य मार्ग निर्माण होना चाहिए - इस क्षेत्र में निकासी की व्यवस्था हो, ताकि जलभराव ना हो - क्षेत्र में लगे खंभों पर स्ट्रीट लाइटें ठीक की जाएं - तालाब की व्यवस्था सुधारी जाए, सौंदर्यकरण किया जाए - इलाके में सीवर लाइन बिछे और नालियों की सफाई हो मोहकमपुर के लोगों का दर्द यहां आने के लिए लोगों को पहले ही टूटे रास्ते से गुजरना पड़ता है, बिन बरसात के इस रास्ते पर जलभराव रहता है। - मनोज कुमार मोहकमपुर गांव में आने का यही मुख्य रास्ता है, हजारों लोग रोजना इसी रास्ते से आते हैं, जो परेशानी का सामना करते हैं। - नीरज कुमार पूरे क्षेत्र में कहीं भी सीवर लाइन नहीं है, घरों और फैक्ट्रियों का पानी नालियों व नाले में बहता है, वही सड़कों पर आ जाता है। - अभिषेक कई साल से रास्ते को बनने का इंतजार कर रहे हैं, अधिकारियों से बहुत बार शिकायत की गई, आश्वासन के अलावा कुछ नहीं हुआ। - ओमपाल सिंह मोहकमपुर इलाका आता तो नगर निगम के वार्ड में है, लेकिन यह ना तो गांव रहा है और ना ही पूरी तरह शहर बन पाया है। - बिजेंद्र कुमार नालियां पूरी तरह चोक हुई पड़ी हैं, निकासी कहीं है नहीं, ऐसे में बरसात के दौरान पूरा इलाका तालाब में तब्दील हो जाता है। - रूपचंद गौतम नगर निगम और प्रशासनिक अधिकारियों को रास्ता बनाने के लिए मांगपत्र दिया जा चुका है, इसके बावजूद कुछ नहीं हुआ। - हरीश कुमार पास में मौजूद इंडस्ट्रियल एरिया डेवलप हो गया, वहां भी लोग बहुत परेशान थे, लेकिन यह इलाका आज भी उपेक्षित है। - राहुल सिंह गंदगी की समस्या पूरे क्षेत्र में है, कूड़ा कई दिनों तक पड़ा रहता है, जिसको उठाने के लिए कई दिनों तक इंतजार करते हैं। - रविंद्र कुमार गांव के बीच में मौजूद तालाब दयनीय स्थिति में है, जिसमें गंदगी भरी रहती है, और लोगों को संक्रमण का खतरा रहता है। - धमेंद्र तालाब के आसपास रहने वाले लोग गंभीर बीमारियों के शिकार हो रहे हैं, इसका समाधान किया जाए, सौंदर्यकरण होना चाहिए। - राम प्रसाद इलाके में स्ट्रीट लाइटें नहीं जलतीं, रात में अंधेरा पसर जाता है, ऐसे में मुख्य मार्ग और भी अधिक जानलेवा हो जाता है। - अतुल कुमार इसी मुख्य रास्ते से श्मशान घाट तक जाया जाता है, रास्ता खराब होने के चलते लोगों समस्याओं का सामना करना पड़ता है। - शिवम कुमार रास्ता इतना खराब है कि कोई उससे जाना पसंद नहीं करता, महिलाएं कई बार फिसलकर गिर चुकी हैं, चोटिल हो चुकी हैं। - ओमेश्वरी इस क्षेत्र की सबसे बड़ी समस्या ही यह रास्ता है, जिसको जल्द ही बनाया जाना चाहिए, ताकि लोगों को राहत की सांस मिले। - नीलम रानी हम लोग पढ़ने जाते हैं तो जलभराव और गंदगी के कारण परेशानी उठानी पड़ती है, कई बार बहुत दूर से घूमकर जाते हैं। - संजना साफ-सफाई, निकासी की समस्या इस क्षेत्र की बड़ी दिक्कतें हैं, कहीं भी सीवर लाइन नहीं है, मुख्य सड़कें टूटी पड़ी हैं। - राजू मिस्त्री इस रास्ते पर स्कूल भी पड़ता है, जिसमें आने के लिए बच्चों को बहुत परेशानी होती है, कई बार बच्चे गिरकर घायल हो जाते हैं। - यश चौधरी
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