चीन के एक फैसले से संकट में फंसी भारत की ये कंपनियां, कभी भी बंद हो सकता है काम
चीन की ओर से रेयर अर्थ मैग्नेट के एक्सपोर्ट पर लगाई गई पाबंदियों से भारत में अगले एक महीने में ही दिनों में गाड़ियों का प्रोडक्शन पूरी तरह से ठप हो सकता है।

India China Business: भारत में कार बनाने वाली कंपनियों को बड़ा झटका लग सकता है। न्यूज एजेंसी रॉयटर्स की एक रिपोर्ट में इसकी जानकारी दी गई है। दरअसल, कंपनी के अधिकारियों और उद्योग समूहों के दस्तावेजों के अनुसार, चीन की ओर से रेयर अर्थ मैग्नेट के एक्सपोर्ट पर लगाई गई पाबंदियों से भारत में कुछ ही दिनों में गाड़ियों का प्रोडक्शन पूरी तरह से ठप हो सकता है। ऐसे में देश की ऑटो कंपनी चाहती है कि सरकार प्रतिबंधों में ढील देने के लिए चीन पर दबाव बनाए।
क्या है डिटेल
भारतीय कंपनियों का कहना है कि दुनिया के तीसरे सबसे बड़े कार बाजार में तेजी से घटते स्टॉक और नई सप्लाई प्राप्त करने की कठिन प्रक्रिया के कारण संकट बढ़ गई हैं। रॉयटर्स द्वारा देखे गए एक अप्रकाशित दस्तावेज के अनुसार, पिछले सप्ताह वाणिज्य मंत्रालय के अधिकारियों के साथ एक बैठक में, सोसाइटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स (SIAM) नामक एक उद्योग समूह ने कहा कि ऑटो पार्ट निर्माताओं के पास मई के अंत तक इन्वेंट्री खत्म होने की उम्मीद है। ऐसे में अगर जल्द समाधान नहीं निकला, तो जून की शुरुआत से गाड़ियों का उत्पादन पूरी तरह रुक सकता है।
SIAM ने सरकार से मांगी मदद
SIAM 4 अप्रैल से चीनी बंदरगाहों पर रखे मैग्नेट तक पहुंचने में मदद के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार के हस्तक्षेप की मांग कर रहा था। SIAM ने दस्तावेज में कहा, "मई के अंत या जून की शुरुआत से ऑटो उद्योग का उत्पादन पूरी तरह से ठप हो जाने की उम्मीद है।" यह दस्तावेज 19 मई को मारुति सुजुकी, महिंद्रा एंड महिंद्रा और टाटा मोटर्स के अधिकारियों की मौजूदगी में आयोजित एक बैठक में प्रस्तुत किया गया था। जबकि चीन ने वोक्सवैगन सहित कुछ चुंबक उत्पादकों से निर्यात को मंजूरी दे दी है। तीन ऑटो उद्योग के अधिकारियों ने रॉयटर्स को बताया कि उन्हें डर है कि चीन और नई दिल्ली के बीच तनावपूर्ण संबंधों के कारण भारत को तुरंत मंजूरी मिलने की संभावना कम हो सकती है। जब भारत में चुंबक प्रतिबंधों के प्रभाव के बारे में पूछा गया, तो नई दिल्ली में चीन के दूतावास ने कहा कि यह कानूनी और रेगुलेटरी आवश्यकताओं के अनुसार "कंप्लायंस बिजनेस को सक्रिय रूप से सुविधाजनक और सुव्यवस्थित कर रहा है।"
कहां फंस रहा है पेंच
रेयर अर्थ मैग्नेट इलेक्ट्रिक वाहन मोटरों में एक महत्वपूर्ण कंपोटेंट होते हैं। इनका इस्तेमाल गाड़ियों के कई जरूरी हिस्सों में लगते हैं, जैसे-इलेक्ट्रिक मोटर,पॉवर विंडो,स्पीकर और कई ऑटो पार्ट्स में। भारत ज्यादातर ये मैग्नेट चीन से खरीदकर लाता है। हालांकि, चीन द्वारा रेयर अर्थ मैग्नेट के एक्सपोर्ट पर लगाई गई पाबंदियों के बाद अब कंपनियों को शिपमेंट के लिए चीन सरकार से इजाजत लेनी होगी। भारतीय कंपनियों को चीन से मैग्नेट मंगाने के लिए 'एंड-यूज सर्टिफिकेट' देना होगा। इसमें यह बताना पड़ेगा कि यह चुम्बक सैन्य उद्देश्यों के लिए नहीं हैं। इसके बाद इन डॉक्युमेंट को नई दिल्ली में चीनी दूतावास द्वारा वेरिफिकेशन कराना पड़ेगा और कंपनियों के चीनी आपूर्तिकर्ताओं को भेजना पड़ेगा। इसके बाद चीन लाइसेंस जारी करता है। SIAM दस्तावेज में कहा गया है कि भारत को आयातकों के आवेदनों को "कुछ ही घंटों में" अप्रूवल करना चाहिए और चीनी दूतावास और वाणिज्य मंत्रालय को उन्हें "तत्काल आधार पर" अनुमोदित करने के लिए दबाव डालना चाहिए।
क्या कहते हैं आंकड़े
सीमा शुल्क डेटा से पता चलता है कि प्रतिबंधों के बाद अप्रैल में चीन के स्थायी चुंबकों का निर्यात पिछले साल की तुलना में 51% गिरकर 2,626 टन रह गया। उद्योग के अनुमान के अनुसार, भारत के ऑटो सेक्टर ने 31 मार्च को समाप्त वित्त वर्ष में 460 टन दुर्लभ पृथ्वी चुम्बक आयात किए, जिनमें से अधिकांश चीन से थे और इस वर्ष 30 मिलियन डॉलर मूल्य के 700 टन आयात की उम्मीद है।