2 महीने में 10 गुना बढ़ गई थी इस शेयर की कीमत, सेबी ने कंपनी पर लिया यह फैसला
बता दें कि एलएस इंडस्ट्रीज के शेयर की कीमत सिर्फ 2 महीने में 10 गुना बढ़ गई थी। इसके बाद सेबी ने जांच के बाद फरवरी महीने में कंपनी और प्रमोटर्स को प्रतिबंधित कर दिया।

शेयर बाजार में लिस्टेड कंपनी-एलएस इंडस्ट्रीज समेत कंपनी के प्रमोटर्स पर प्रतिबंध बरकरार रहेगा। दरअसल, बाजार नियामक सेबी ने धोखाधड़ी गतिविधियों और स्टॉक मूल्य हेरफेर के आरोपों के बाद जांच के नतीजे आने तक एलएस इंडस्ट्रीज, इसके प्रमोटर और चार अन्य को सिक्योरिटीज मार्केट से प्रतिबंधित रखा है। बता दें कि एलएस इंडस्ट्रीज के शेयर की कीमत सिर्फ 2 महीने में 10 गुना बढ़ गई थी। इसके बाद सेबी ने जांच के बाद फरवरी महीने में कंपनी और प्रमोटर्स को प्रतिबंधित कर दिया।
अब बाजार नियामक सेबी ने यह भी कहा कि इस मामले में जांच पूरी करने की समयसीमा 15 नवंबर तक बढ़ा दी गई है। इसके साथ ही प्रमोटर, उनके संस्थाओं को सेबी की जांच में सही तरीके से सहयोग करने का निर्देश दिया गया है।
इन पर भी सेबी की कार्रवाई
एलएस इंडस्ट्रीज के प्रमोटर प्रोफाउंड फाइनेंस, जहांगीर पनिक्कावेटिल पेरुम्बरम्बाथु, एलएस इंडस्ट्रीज के दुबई स्थित एनआरआई पब्लिक शेयरधारक, सुरेश गोयल, अलका साहनी, शशि कांत साहनी एचयूएफ को बाजारों से प्रतिबंधित कर दिया गया है।
फरवरी में की थी कार्रवाई
बता दें कि इस साल फरवरी में सेबी ने एक अंतरिम आदेश पारित किया था और आरोपों के बाद कंपनी को प्रतिबंधित किया था। सेबी ने जहांगीर पनिक्कावेटिल पेरुम्बरम्बाथु को प्रथम दृष्टया धोखाधड़ी योजना के तहत शेयरों की बिक्री से 1.14 करोड़ रुपये के अवैध लाभ को जब्त करने का भी निर्देश दिया था।
क्या है पूरा मामला
यह मामला एलएस इंडस्ट्रीज से संबंधित है। आरोप है कि कंपनी के प्रमोटर्स और सहयोगी नगण्य राजस्व और वित्तीय अस्थिरता के बावजूद कंपनी के शेयर की कीमत को कृत्रिम रूप से बढ़ाने में शामिल थे। सेबी के मुताबिक एलएस इंडस्ट्रीज ने पिछले तीन वित्तीय वर्षों (वित्त वर्ष 22-वित्त वर्ष 24) और वित्त वर्ष 25 की पहली तीन तिमाहियों में नगण्य राजस्व की सूचना दी, जो दिखाता है कि कंपनी इस अवधि के दौरान व्यवसाय नहीं कर रही थी।
खराब वित्तीय स्थिति के बावजूद एलएस इंडस्ट्रीज का शेयर मूल्य 23 जुलाई, 2024 और 27 सितंबर, 2024 के बीच 22.50 रुपये से 10 गुना बढ़कर 267.50 रुपये के उच्च स्तर पर पहुंच गया, जिससे कंपनी लगभग 22,700 करोड़ रुपये के मार्केट कैप पर पहुंच गई। इसके बाद सेबी की निगरानी कंपनी और प्रमोटर्स पर पर बढ़ गई और बुनियादी बातों में कोई सार्थक बदलाव किए बिना शेयर की कीमत में अचानक उतार-चढ़ाव संदिग्ध ट्रेडिंग पैटर्न जांच के दायरे में आए।