ओल्ड या न्यू टैक्स स्ट्रक्चर...कौन सा है आपके लिए बेहतर, यहां जानिए
- Old Tax Regime VS New Tax Regime - कुछ लोग अब भी ओल्ड या न्यू टैक्स रिजीम को लेकर कन्फ्यूज हैं। कई लोग यह नहीं समझ पा रहे हैं कि उनके लिए इन दोनों में कौन सा ऑप्शन बेस्ट है। आइए हम आपको समझाने की कोशिश करते हैं।

Old Tax Regime VS New Tax Regime: नए फाइनेंशियल ईयर FY26 की शुरुआत हो चुकी है। इसी के साथ अब नौकरीपेशा लोगों को बीते वित्त वर्ष के लिए इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल करने की चिंता होने लगी है। कुछ लोग अब भी ओल्ड या न्यू टैक्स रिजीम को लेकर कन्फ्यूज हैं। कई लोग यह नहीं समझ पा रहे हैं कि उनके लिए इन दोनों में कौन सा ऑप्शन बेस्ट है। आइए हम आपको समझाने की कोशिश करते हैं।
ओल्ड या न्यू टैक्स रिजीम, कौन बेहतर?
दोनों टैक्स स्ट्रक्चर के अपने-अपने फायदे और नुकसान हैं। आप कौन सी व्यवस्था चुनते हैं, यह आपकी प्रोफाइल और आपके द्वारा किए गए निवेश पर निर्भर करता है। उदाहरण के लिए यदि आप हाई टैक्स ब्रैकेट में आते हैं और कम टैक्स डिडक्शन के हकदार हैं तो नई कर व्यवस्था अधिक उपयुक्त है। इसके विपरीत जब आपने PPF, ELSS और KVP जैसे कई टैक्स सेविंग फैसलिटीज में निवेश किया है और HRA के हकदार हैं तो पुरानी कर व्यवस्था अधिक उपयुक्त हो सकती है।
बजट ऐलान में टैक्स छूट का मिलेगा फायदा?
टैक्सपेयर्स को 1 फरवरी 2025 को घोषित किए गए बदलाव का फायदा इस बार नहीं मिलेगा। दरअसल, यह बदलाव एक अप्रैल 2025 से प्रभावी होंगे जो वित्त वर्ष 2025-26 के लिए है। इसका आयकर रिटर्न आप 2026 में दाखिल करेंगे। इस बार, बजट 2024 में घोषित प्रावधान लागू होंगे। बता दें कि बीते एक फरवरी को बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने न्यू टैक्स रिजीम में 12 लाख रुपये तक की आय पर कोई आयकर नहीं लगाए जाने का ऐलान किया। इसके अलावा स्लैब और स्टैंडर्ड डिडक्शन में बदलाव भी किए गए।
स्टैंडर्ड डिडक्शन कितना?
पुरानी कर व्यवस्था के तहत स्टैंडर्ड डिडक्शन 50000 रुपये है, जबकि नई कर व्यवस्था में यह 75,000 रुपये है।
न्यू टैक्स रिजीम कैसे सलेक्ट करें
आपको नई व्यवस्था चुनने की जरूरत नहीं है। यह एक डिफॉल्ट व्यवस्था है। आपको पुरानी कर व्यवस्था सही लगता है तो इसके लिए चयन करना होगा।